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Learn Stock Markets Part 1: जानिए शेयर मार्केट में कौन-कौन से शब्दों का होता है प्रयोग, क्या है इनके मायने?

जब भी कोई ट्रेडर कोई सौदा खरीदता है तो इससे ट्रेडर की पॉजिशन का पता भी चलता है। अगर आपने निफ्टी इंडेक्स इस उम्मीद पर खरीदा है कि इंडेक्स ऊपर जाएगा तो आपकी इंडेक्स पर लांग पोजीशन है। अगर आपकी किसी स्टॉक या इंडेक्स पर लाँग पोजीशन है तो आपको तेजी वाला ट्रेडर या बुलिश (Bullish) माना जाएगा।

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ऑल टाइम हाई और ऑल टाइम लो भी 52 हफ्तों की ऊँचाई या निचाई की तरह स्टॉक की कीमत बताता है
ऑल टाइम हाई और ऑल टाइम लो भी 52 हफ्तों की ऊँचाई या निचाई की तरह स्टॉक की कीमत बताता है

आमतौर पर शेयर बाजार में अक्सर ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है जिनके बारे में आम लोगों को कई बार जानकारी नहीं होती है लेकिन इस लेख के जरिए हम आपको कुछ शब्दों का अर्थ बताने की कोशिश कर रहे हैं जो अक्सर प्रयोग में आते हैं। सबसे पहले बात करते हैं बुल मार्केट की। 

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आखिर क्या होता है बुल मार्केट?

अगर किसी को लगता है कि बाजार ऊपर जाएगा और शेयरों की कीमत बढ़ेगी तो कहा जाता है कि वो तेजी में है। अगर एक तय समय में बाजार लगातार ऊपर की तरफ जाता रहता है तो कहा जाता है कि बाजार बुल मार्केट में है, या फिर बाज़ार में तेजी का माहौल है।  

क्या होती है बेयर मार्केट?

बेयर मार्केट (मंदी):  तेजी के माहौल का ठीक उल्टा मंदी का माहौल होता है। अगर आपको लगता है कि आने वाले समय में बाजार नीचे की तरफ जाएगा तो कहा जाता है कि आप उस स्टॉक को लेकर बेयरिश (Bearish) हैं।अगर बाजार लंबे समय तक गिरावट में रहता है तो आप इसे बेयर मार्केट या मंदी की मार्किट भी कह सकते हैं। 

क्या होता है बाजार का ट्रेंड?

 ट्रेंड:  बाजार की दिशा और उस दिशा की ताकत को ट्रेंड कहा जाता है । उदाहरण के लिए, अगर बाजार  तेजी से नीचे जा रहा है तो कहते हैं कि बाजार में गिरावट का ट्रेंड है या अगर बाजार ना उपर जा रहा है ना अधिक नीचे तो उसे “साइडवेज” या दिशाहीन ट्रेंड कहा जाता है। या फिर अगर बाजार नीचे की तरफ जा रहा है तो आप कह सकते हैं बेयरिश ट्रेंड है। आमतौर पर ट्रेंड का आंकलन चार्ट देखकर किया जाता है।

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क्या होता है 52 हफ्तों का हाई या लो?

किसी भी स्टॉक का विश्लेषण  52 हफ्ते के आधार पर किया जाता है। कई बार अक्सर आपने एक्सपर्ट को सुना होगा जो कहते है कि ये स्टॉक की पिछले 52 हफ्तों में सबसे ऊँची कीमत है। इसी तरह 52 हफ्तों  के लो मतलब होता है कि ये स्टॉक पिछले 52 हफ्तों में लो पर है।

क्या होता है All time high/ low?

 ऑल टाइम हाई और ऑल टाइम लो भी 52 हफ्तों की ऊँचाई या निचाई की तरह स्टॉक की कीमत बताता है, फर्क सिर्फ इतना है कि ऑल टाइम हाई या लो किसी स्टॉक के बाजार में लिस्ट होने के बाद से अब तक की सबसे ऊँची कीमत या नीची कीमत बताता है। जैसे कोई स्टॉक 100 रूपये पर लिस्ट हुआ और फिर अपनी लिस्टिंग के एक साल के अंदर 200 रुपये पर पहुंचकर फिर से 100 रुपये पर आ जाए तो हम कहेंगे कि इस स्टॉक ने 200 का ऑल टाइम हाई लगाया है।

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क्या होता है बाजार में अपर सर्किट/लोअर सर्किट (Upper Ciruit / Lower circuit)

अक्सर आप रोज अपर सर्किट और लोवर सर्किट के बारे में पढ़ते होंगे। दरअसल एनएसई या बीएसई स्टॉक एक्सचेंज हर स्टॉक के लिए कीमत की एक सीमा तय कर देते हैं। एक ट्रेडिंग दिन में स्टॉक की कीमत उस सीमा के बाहर नहीं जाने दी जाती है, ना ऊपर की तरफ और ना ही नीचे की तरफ। आमतौर पर एक्सचेंज ये सीमा  5%, 10%, या 20% रखते हैं। इसके भी अपने नियम है। जैसे बड़े स्टॉक्स का अपर सर्किट आमतौर पर 20 परसेंट होता है।

क्या होती है लॉंग पॉजिशन?

जब भी कोई ट्रेडर कोई सौदा खरीदता है तो इससे ट्रेडर की पॉजिशन का पता भी चलता है।  अगर आपने निफ्टी इंडेक्स इस उम्मीद पर खरीदा है कि इंडेक्स ऊपर जाएगा तो आपकी इंडेक्स पर लांग पोजीशन है। अगर आपकी किसी स्टॉक या इंडेक्स पर लाँग पोजीशन है तो आपको तेजी वाला ट्रेडर या बुलिश (Bullish) माना जाएगा।

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( अगले भाग में हम बात करेंगे कि इंट्रा डे पॉजिशन के बारे में)