How To Stop Panic Attacks: पैनिक अटैक और एंग्जाटी में क्या होता है अतंर?
अक्सर लोग एंग्जायटी और पैनिक अटैक में भ्रमित हो जाते हैं। उन्हें एंग्जायटी और पैनिक अटैक में फ़र्क़ ही नहीं मालूम होता है। कुछ लोगों को तो दोनों ही एक समान लगते हैं जबकि इनके लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं मगर उसके बावजूद एंग्जायटी और पैनिक अटैक में होता है बहुत अहम अंतर। एंग्जायटी एक लंबे समय तक चलती है जबकि पैनिक अटैक एकदम से आते हैं।

एंग्जायटी और पैनिक अटैक सुनने में नयी समस्यायें हैं पर ये बहुत पहले से ही लोगों के बीच में हैं। पहले लोग मानसिक तनाव को खुल कर बताते नहीं थे बल्कि इसे पागलपन कहा जाता था। बदलते दौर में लोगों की मानसिकता भी बदल रही है और अब लोग खुल कर इन विषयों पर ना सिर्फ़ चर्चा करते हैं बल्कि इन समस्याओं के विषेज्ञ तक अब उपलब्ध हैं।
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एंग्जायटी और पैनिक अटैक में फ़र्क़
अक्सर लोग एंग्जायटी और पैनिक अटैक में भ्रमित हो जाते हैं। उन्हें एंग्जायटी और पैनिक अटैक में फ़र्क़ ही नहीं मालूम होता है।
कुछ लोगों को तो दोनों ही एक समान लगते हैं जबकि इनके लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं मगर उसके बावजूद एंग्जायटी और पैनिक अटैक में होता है बहुत अहम अंतर। एंग्जायटी एक लंबे समय तक चलती है जबकि पैनिक अटैक एकदम से आते हैं।
एंग्जायटी एक मानसिक अवस्था
एंग्जायटी एक मानसिक अवस्था है, जिसमें जी बेचैन होता है और घबराहट होती है। हाल फ़िलहाल या आने वाले कल के विषय में अत्यधिक विचार-विमर्श करने पर घबराहट और बेचैनी से एंग्ज़ाइटी होती है। वहीं पैनिक अटैक अचानक से होने वाली मानसिक स्थिति है। इसमें एकदम से डर लगने लगता है, घबराहट या बेचैनी होने लगती है बस ये महसूस होता है कि अब सब ही कुछ ख़त्म होने को है या कुछ अनहोनी होने वाली है।
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एंग्जायटी और पैनिक अटैक में काफ़ी लक्षण
एंग्जायटी और पैनिक अटैक में काफ़ी लक्षण महसूस होते हैं। ये ज़रूरी नहीं कि सबको एक से ही लक्षण महसूस हों। कुछ आम लक्षण इस प्रकार है: धुंधला दिखना, सिर का भारी होना, मुंह सूखना, चक्कर आना, गला सूखना, बहुत ज़्यादा ठंड या गर्मी लगना, हाथ-पैरों का सुन्न पड़ जाना, पेट में दर्द, सांस लेने में परेशानी होना। इन कुछ लक्षणों से पता लग सकता है कि क्या किसी को एंग्जायटी या पैनिक अटैक जैसा हो रहा है। एंग्जायटी में इन लक्षणों की इंटेंसिटी कम होती है तो वहीं पैनिक अटैक में ये लक्षण बहुत ज़्यादा बढ़ जाते हैं बस ऐसा लगता है जैसे मानों जान ही जा रही हो।
काउंसलिंग या साइकोथेरेपी
एंग्जायटी और पैनिक अटैक लगभग एक जैसे ही प्रतीत होते हैं। इनको हल्के में लेना भारी पड़ सकता है। इनका इलाज भी उतना ही ज़रूरी है जितना बाक़ी रोगों के लिए कोई इलाज। मानसिक स्तिथि के बिगड़ने पर प्रोफेशनल मदद ज़रूरी है। जैसे काउंसलिंग या साइकोथेरेपी। साइकोलॉजिस्ट से बात कर समझा जा सकता है कि आख़िर समस्या है क्या जिसके मदद कर सकते हैं समस्या से उभरने के लिए। सबसे आम इलाज है दवाइयां खाना। कई बार घबराहट या एंग्जायटी केमिकल्स के असंतुलित ढंग की वजह से होती है। इन केमिकल्स को संतुलित करने और लेवल में लाने के लिए दवाइयों को दिया जाता है। ये दवाइयां किसी भी साइकेट्रिस्ट या मनोविज्ञान विभाग के डॉक्टर के साथ सलाह-मशवरा कर ले सकते हैं। कई बार ऐसा होता है जब थेरेपी और दवाइयां दोनों का ही इस्तेमाल करना पड़ता है। इसके लिए साइकयाट्रिस्ट या साइकोलॉजिस्ट से ही मिलकर जानना उचित रहता है।
यदि आप भी इन समस्याओं से जूझ रहे हैं तो तुरंत ही बिना किसी विलंभ के शीघ्र ही किसी एक साइकेट्रिस्ट या साइकोलॉजिस्ट से मिल अपने मानसिक स्थिति की जाँच करायें और एक स्वस्थ जीवन खुशहाली से बिताएँ।