विदेश में नौकरी के चक्कर में कहां गुम हो गए 29,000 भारतीय
हाल ही में आई एक रिपोर्ट "वेब ऑफ डिसीट: अंडरस्टैंडिंग ट्रांसनेशनल साइबर स्लेवरी एंड ऑर्गनाइज्ड क्राइम इन साउथईस्ट एशिया" के अनुसार, जनवरी 2022 से अब तक 29,000 से ज्यादा भारतीय नागरिक दक्षिण-पूर्व एशिया में लापता हो चुके हैं। माना जाता है कि इनमें से कई लोग संगठित अपराध के जाल में फंस गए हैं

रिपोर्ट "वेब ऑफ डिसीट
हाल ही में आई एक रिपोर्ट "वेब ऑफ डिसीट: अंडरस्टैंडिंग ट्रांसनेशनल साइबर स्लेवरी एंड ऑर्गनाइज्ड क्राइम इन साउथईस्ट एशिया" के अनुसार, जनवरी 2022 से अब तक 29,000 से ज्यादा भारतीय नागरिक दक्षिण-पूर्व एशिया में लापता हो चुके हैं। माना जाता है कि इनमें से कई लोग संगठित अपराध के जाल में फंस गए हैं, जहां उन्हें साइबर अपराध में जबरन मजदूरी करवाने के लिए फर्जी नौकरी के बहाने से फंसाया गया है। इस आधुनिक गुलामी को "साइबर गुलामी" कहा जा रहा है, और यह कंबोडिया, लाओस जैसे देशों में संगठित अपराधी गिरोहों द्वारा संचालित की जाती है। ये गिरोह भारत, नेपाल और बांग्लादेश के बेरोजगार युवाओं को विदेश में ऊंची तनख्वाह वाली नौकरियों का झांसा देकर उन्हें शिकार बनाते हैं।
दक्षिण-पूर्व एशिया में साइबर गुलामी
दक्षिण-पूर्व एशिया में साइबर गुलामी एक गंभीर संकट के रूप में उभर रही है। अपराधी सोशल मीडिया, जॉब पोर्टल और मैसेजिंग ऐप्स के जरिए 20 से 39 साल के युवाओं को लक्षित करते हैं। उन्हें आकर्षक नौकरियों जैसे "ग्राहक सेवा" या "क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग" के नाम पर ऊंची सैलरी और फायदों का लालच दिया जाता है। लेकिन जैसे ही ये लोग काम के लिए पहुंचते हैं, उनके पासपोर्ट और पहचान पत्र छीन लिए जाते हैं और उन्हें जबरन फर्जी गतिविधियों जैसे कि फ़िशिंग, क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी और ऋण घोटाले में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।
रिपोर्ट में कई संगठित अपराधी समूहों के नामों का जिक्र है, जिनमें जिन बेई ग्रुप, किंग्स रोमन्स ग्रुप, और प्रिंस ग्रुप शामिल हैं, जो बड़े पैमाने पर इन अपराधों का संचालन करते हैं। ये संगठित गिरोह स्थानीय भ्रष्ट अधिकारियों, कमजोर निगरानी व्यवस्था और एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म की गुमनामी का फायदा उठाते हैं।
29,000 से ज्यादा भारतीय नागरिक नौकरी की तलाश में
नवरी 2022 से मई 2024 के बीच 29,000 से ज्यादा भारतीय नागरिक नौकरी की तलाश में दक्षिण-पूर्व एशिया गए थे, जिनमें से अधिकतर लौट नहीं पाए हैं। इनमें से एक बड़ी संख्या कंबोडिया, थाईलैंड, लाओस और वियतनाम जैसे देशों में गई थी। खासकर, थाईलैंड में इन मामलों का लगभग 70% दर्ज किया गया है, जहां वीजा-ऑन-अराइवल का लाभ उठाकर तस्कर इन लोगों को आसानी से सीमा पार करवा देते हैं।
इस साइबर गुलामी से भारत की अर्थव्यवस्था को भी गहरा झटका लगा है। 2024 के पहले चार महीनों में ही साइबर धोखाधड़ी से भारत को 1,750 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है, जो कि साइबर गुलामी गिरोहों द्वारा संचालित था। इनसे अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में व्यक्तियों और कंपनियों को भी नुकसान होता है।
रिपोर्ट में बताया
रिपोर्ट में बताया गया है कि इन आपराधिक संगठनों का उन्मूलन चुनौतीपूर्ण है। इन अपराधियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकों जैसे एन्क्रिप्टेड संचार उपकरण, डार्क वेब और अनियमित डिजिटल मुद्राएं इन गिरोहों को पकड़ने में बड़ी बाधा बनती हैं। इस संकट से निपटने के लिए सरकारों से वीजा नियमों को सख्त करने और सीमा नियंत्रण में सुधार करने का आग्रह किया गया है। तकनीकी कंपनियों से भी फर्जी नौकरी विज्ञापनों की पहचान और उसे हटाने में सख्त कदम उठाने की अपील की गई है।
रिपोर्ट में पीड़ितों के लिए मदद, कानूनी सहायता, मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं और पुनर्वास की जरूरत पर जोर दिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को अनजान या असत्यापित स्रोतों से विदेश में नौकरी के प्रस्तावों के खतरे के बारे में जागरूक करना भी बहुत जरूरी है।