अब घर में सोलर पैनल की जगह सोलर टाइल्स लगवाएं!
सौर ऊर्जा पैदा करने का अंदाज बदल सकता है। घरों या हाईराइज बिल्डिंग की छतों पर लगने वाले सोलर पैनल की जगह सोलर टाइल्स ले सकती हैं। सौर ऊर्जा की दुनिया किस कदर बदल सकती है।

सौर ऊर्जा पैदा करने का अंदाज बदल सकता है। घरों या हाईराइज बिल्डिंग की छतों पर लगने वाले सोलर पैनल की जगह सोलर टाइल्स ले सकती हैं। सौर ऊर्जा की दुनिया किस कदर बदल सकती है। इसकी झलक गुजरात के गांधीनगर में आयोजित चौथी रिन्यूएबल एनर्जी इन्वेस्टर समिट देखने को मिली। जब केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ने प्रधानमंत्री को भेंट के तौर पर सोलर टाइल दी। जिस पर गुजरात के मोढेरा में मौजूद 1 हजार साल पुराने मशहूर सूर्य मंदिर की तस्वीर उकेरी थी।
सोलर टाइल को बनाने की पूरी प्रक्रिया
सोलर टाइल को बनाने की पूरी प्रक्रिया अपने आप में अनोखी है। जल...जमीन और हवा को दूषित करने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार सिंगल यूज प्लास्टिक को माना जाता है। भारत में पहली बार बने इन सोलर टाइल्स में जिसका इस्तेमाल हुआ है। यानी सौर ऊर्जा को पैदा करने वाली ये टाइल्स प्रदूषण में कमी लाने भी योगदान करेगी।
प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग आसानी से संभव नहीं
प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग आसानी से संभव नहीं हो पाती है। प्लास्टिक या उससे बनने उत्पादों को जलाया जाए...तो उससे जहरीली गैस निकलती है। वहीं मिट्टी में दबाया जाए तो जमीन की प्रोडक्टिविटी भी खत्म हो जाती है। प्लास्टिक के टुकड़े पर्यावरण में जहरीले रसायन भी छोड़ते हैं, जो इंसानो के साथ-साथ जानवरों के लिए भी खतरनाक साबित होते हैं। इसके अलावा प्लास्टिक का कचरा बारिश के पानी को भी जमीन के नीचे जाने से रोकता है, जिससे हर साल ग्राउंड वॉटर लेवल में कमी आती है। खास बात ये है कि सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादों से बनी इन सोलर टाइल्स को फर्श..छत और दीवारों की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
सरकार...सोलर क्रांति से जुड़ी पटकथा लिखने में जुटी
ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए पिछले कुछ साल से सरकार...सोलर क्रांति से जुड़ी पटकथा लिखने में जुटी है। सौर ऊर्जा को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना की भी शुरूआत की गई है...इसके तहत 1 करोड़ घरों की छत पर सौर पैनल लगाने की लागत का 40 फीसदी तक सब्सिडी मिलने की संभावना है। यानी हर घर चमकेगा, हर घर बढ़ेगा। इमारतों के ढांचे में सोलर टाइल्स शामिल होने से वहां कभी अंधेरा नहीं छाएगा। सूरज ढलने के बाद सूरज की रोशनी इन्हें उजाला देती रहेगी।