India में मंदी की आहट? कैसे बचेगी भारत की Economy
दुनिया में सबसे तेजी से दौड़ती इकॉनमी भारत में अब सुस्ती के संकेत नजर आने लगे हैं। दरअसल, इकॉनमी की सेहत मापने के लिए डीजल की डिमांड को पैमाना माना जाता है। इसकी वजह यह है कि देश में कमर्शियल वाहनों से लेकर खेत, फैक्ट्री और तमाम जगहों पर डीजल का जमकर इस्तेमाल होता है। हाल ही में आए डेटा के मुताबिक देश में अब डीजल की डिमांड बढ़ने की ग्रोथ में सुस्ती देखी जा रही है।

दुनिया में सबसे तेजी से दौड़ती इकॉनमी भारत में अब सुस्ती के संकेत नजर आने लगे हैं। दरअसल, इकॉनमी की सेहत मापने के लिए डीजल की डिमांड को पैमाना माना जाता है। इसकी वजह यह है कि देश में कमर्शियल वाहनों से लेकर खेत, फैक्ट्री और तमाम जगहों पर डीजल का जमकर इस्तेमाल होता है। हाल ही में आए डेटा के मुताबिक देश में अब डीजल की डिमांड बढ़ने की ग्रोथ में सुस्ती देखी जा रही है।
कच्चे तेल के तीसरा सबसे बड़े आयातक भारत में डीजल की डिमांड में आया धीमापन इस बात का संकेत है कि देश की अर्थव्यवस्था अब स्लो हो रही है और खपत का पैटर्न बदल रहा है। ये दावा ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में किया गया है। आंकड़ों के मुताबिक इस साल अक्टूबर में देश में डीजल की बिक्री एक साल पहले के मुकाबले 7.64 मिलियन टन पर स्थिर रही है। तेल मंत्रालय के शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक 2024 के पहले 10 महीनों में डीजल की बिक्री में केवल 1.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जो 2020 के बाद से सबसे सुस्त चाल है। 2020 में कोरोना महामारी में लगे लॉकडाउन की वजह से मांग पर असर हुआ था। भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले तेल के हर 10 बैरल में से करीब चार बैरल डीजल होता है। ये नरमी ऐसे समय में आई है जब चीन और यूरोप में भी इसी तरह की सुस्ती आई आ रही है।
डीजल की डिमांड घटने की वजह देश के छोटे शहरों और कस्बों में खपत में अनुमान के मुताबिक बढ़ोतरी का ना होना है। इससे सामान ढोने वाले ट्रकों की आवाजाही पर असर पड़ने की आशंका है जिससे डीजल की डिमांड कम हुई है। साथ ही, इस साल बारिश लंबे समय तक चलने और अनुमान से बेहतर रहने से भी कृषि क्षेत्र में डीजल की सिंचाई के लिए कम जरुरत पड़ी। अक्टूबर में डीजल की सुस्त मांग दूसरे प्रमुख पेट्रोलियम उत्पादों में देखे गए पैटर्न से एकदम उलट है। अक्टूबर में पेट्रोल की बिक्री सालाना आधार पर 8.4 फीसदी बढ़कर 3.4 मिलियन टन हो गई। जबकि जेट-ईंधन की बिक्री 8.6 परसेंट बढ़कर 7.51 लाख टन रही।
वैसे भारत में अब लोग डीजल से पेट्रोल की तरफ रुख कर रहे हैं। बढ़ता उपभोक्ता खर्च और मध्यम वर्ग इस बदलाव को मदद कर रहे हैं। अनुमान है कि डीजल की डिमांड में इस साल 2.2 फीसदी की ग्रोथ हो सकती है। इसके बाद 2025 में ये ढाई परसेंट रहेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी में हुई 6.7 फीसदी की ग्रोथ से भी मिलते हैं जो 5 तिमाहियों में सबसे धीमी स्पीड है। बाकी संकेतों के अलावा अगस्त में रकीब दो साल में पहली बार औद्योगिक उत्पादन में भी कमी दर्ज की गई है।