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Independence Day: हमने चुना रिफॉर्म का रास्ता, आज सरकार घर तक पहुंच रही... लालकिले से बोले PM Modi

पीएम मोदी ने कहा, दुर्भाग्य से हमारे देश को आजादी तो मिली लेकिन एक प्रकार से माई-बाप कल्चर से गुजरना पड़ा। सरकार के पास मांगते रहो, हाथ फैलाते रहो, सिफारिश के रास्ते खोजते रहो, वही कल्चर डिवेलप होता था। हमने इस कल्चर को बदला है।

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PM Modi ने 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्र को संबोधित किया
PM Modi ने 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्र को संबोधित किया

PM Modi ने 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर चर्चा की। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में रिफॉर्म पर भी चर्चा की। पीएम ने बैंकिंग सेक्टर से लेकर डिफेंस सेक्टर में हुए रिफॉर्म पर जोर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि जब रिफॉर्म की बात आती है तो एक लंबा परिवेश है। अगर चर्चा में लग जाऊं तो घंटों निकल जाएंगे। बैंकिंग क्षेत्र में रिफॉर्म को ही देख लीजिए। आप सोचिए, बैंकिंग क्षेत्र का क्या हाल था। न विकास होता था, न विस्तार होता था, न विश्वास बढ़ता था। इतना ही नहीं, जिस प्रकार के कारनामे चले उसके कारण हमारे बैंक संकट से गुजर रहे थे। हमने संकट से उबारने के लिए कई रिफॉर्म करे और आज उसके कारण हमारे बैंक देश के कुछ गिने-जुने मजबूत बैंकों में अपना स्थान बनाया। जब बैंक मजबूत होते हैं तो फॉर्मल इकॉनमी की ताकत बढ़ जाती है।

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'कुछ नहीं होने वाला की मानसिकता को तोड़ा' 

पीएम मोदी ने आगे कहा कि हम ये न भूलें कि देश आजादी के बाद भी उन परिस्थितियों से दशकों तक समय बिताया है। एक वक्त था जब कहते थे अरे यार ये तो चलेगा, अरे हमें क्या मेहनत करने की जरूरत है, अरे मामला है अगला पीढ़ी देखेगी। अरे हमें मौका मिला है मौज करो। आगे वाला आगे का जाने, हमें क्या, हम अपना समय निकाल लें। कुछ नया करने जाओगे तो बवाल उठ जाएगा। पता नहीं क्यों देश में स्टेटस क्यू का माहौल बन गया था। लोग तो कहते थे कि छोड़ो अब कुछ होने वाला नहीं है, चलो। ऐसे ही मन मर गया था। हमें इस मानसिकता को तोड़ना था। हमें विश्वास से भरना था और हमने उस दिशा में प्रयास किया। 

'हमने रिफॉर्म के रास्ते को चुना'

उन्होंने कहा, कई लोग तो कहते थे कि अगली पीढ़ी के लिए काम हम अभी से क्यों करें, हम तो आज का देखेंगे। लेकिन देश का सामान्य नागरिक ये नहीं चाहता था। वह बदलाव के इंतजार में था। वह बदलाव चाहता था। ललक थी। लेकिन उसके सपनों को किसी ने तवज्जो नहीं दी। उसकी आशाओं-आकांक्षाओं, अपेक्षाओं को तवज्जो नहीं दी गई। इस कारण वह मुसीबतों को झेलते हुए गुजारा करता रहा। वह रिफॉर्म्स का इंतजार करता रहा। हमें जिम्मेदारी दी गई और हमने बड़े रिफॉर्म्स जमीन पर उतारे। गरीब हों, मिडल क्लास हों, वंचित वर्ग हों, हमारी बढ़ती शहरी आबादी हों, हमारे नौजवानों के सपने हों, संकल्प हों, आकांक्षाएं हों, उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए हमने रिफॉर्म का मार्ग हमने चुना।

'देश को मजबूत करने के लिए कर रहे रिफॉर्म' 

हम देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि रिफॉर्म के प्रति जो हमारी प्रतिबद्धता है वह पिंक पेपर के एडिटोरियल के लिए सीमित नहीं है। हमारे रिफॉर्म की ये प्रतिबद्धता है, ये चार दिन की वाह वाही के लिए नहीं है। रिफॉर्म की हमारी प्रक्रिया किसी मजबूरी में नहीं है बल्कि देश को मजबूती देने के इरादे से है। इसलिए मैं आज कह सकता हूं कि रिफॉर्म का हमारा ये मार्ग ग्रोथ का ब्लू प्रिंट बना हुआ है। ये रिफॉर्म सिर्फ बहस के लिए, चर्चा का विषय नहीं है। हमने राजनीतिक मजबूरी के लिए नहीं किया है। हम जो भी सुधार कर रहे हैं वह राजनीति के भाग-गुणा के लिए नहीं करते हैं। हमारा एक ही मंत्र होता है नेशन फर्स्ट।

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'आज सरकार लोगों के घर जाती है' 

पीएम मोदी ने कहा, दुर्भाग्य से हमारे देश को आजादी तो मिली लेकिन एक प्रकार से माई-बाप कल्चर से गुजरना पड़ा। सरकार के पास मांगते रहो, हाथ फैलाते रहो, सिफारिश के रास्ते खोजते रहो, वही कल्चर डिवेलप होता था। हमने इस कल्चर को बदला है। हमने गवर्नेंस के इस मॉडल को बदला है। आज सरकार खुद लाभार्थी-हितार्थी के पास जाती है। आज सरकार खुद उसके घर जाती है, गैस का चूल्हा पहुंचाती है। उसके घर पानी पहुंचाती है। बिजली पहुंचाती है। आज सरकार खुद उसे आर्थिक मदद देकर विकास के नए आयामों को छूने के लिए प्रेरित करती है। आज सरकार खुद नौजवान के स्किल डिवेलपमेंट के लिए अनेक कदम उठा रही है। हमारी सरकार बड़े रिफॉर्म के लिए प्रतिबद्ध है।

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