
Chhattisgarh: धान की बेशुमार किस्मों का संगम, भारत का असली धान का कटोरा
हमारे किसान सदियों से कृषि-जलवायु और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार फसलें उगा रहे हैं। वही कृषि समुदाय, जो कि हर कोने में फैला हुआ है, अपनी जैव-विविधता पर निर्भरता रखता है। इस विविधता में चावल का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दुनिया की आधी से अधिक आबादी के लिए मुख्य भोजन का स्रोत है। वही चावल (धान) की बात करे तो छत्तीसगढ़ राज्य का नाम आना बनता है। छत्तीसगढ़ राज्य जिसे 'धान का कटोरा' कहा जाता है। आइए आज जानते है क्या है आखिर सच ?

चावल (धान) की बात करे तो छत्तीसगढ़ राज्य का नाम आना बनता है। छत्तीसगढ़ राज्य जिसे 'धान का कटोरा' कहा जाता है। आइए आज जानते है क्या है आखिर सच ?
1) छत्तीसगढ़: भारत का धान का कटोरा
छत्तीसगढ़ राज्य, जिसे 'धान का कटोरा' कहा जाता है, भारत में धान की खेती का प्रमुख केंद्र है। यहाँ 20,000 से अधिक धान की किस्मों की खेती होती है। राज्य में उगाए जाने वाले कुल खाद्यान्न में 88.37% भाग केवल चावल का है, और लगभग 39.91 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है। यहाँ की जलवायु और भू-परिस्थितियाँ धान की खेती के लिए बहुत उपयुक्त हैं, जिस वजह से इस क्षेत्र के किसान सदियों से धान की खेती कर रहे हैं।

2) छत्तीसगढ़ की धान खरीद में योगदान
साल 2023 में हुई धान खरीदी की डिटेल जानिए: साल 2023 में 96 दिनों तक धान खरीदी चली. सीएम साय ने 31 जनवरी 2023 को खत्म होने वाले धान खरीदी के डेट को बढ़ाकर चार फरवरी कर दिया था. जिससे किसानों को धान बेचने में बड़ा फायदा हुआ. राज्य सरकार की रिपोर्ट के मुताबिर साल 2023-24 खरीफ वर्ष में समर्थन मूल्य पर 144.92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई. जबकि साल 2022-23 के खरीफ साल में 107.53 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई. साल 2023-24 खरीफ वर्ष में कुल 37.39 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी ज्यादा हुई.
1. साल 2019 में 80.37 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी हुई.
2. साल 2020 में 83.94 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया.
3. साल 2021 में 92 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी.
4. साल 2022 में 107 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी.
5. साल 2023 में 145 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई.

3) औषधीय गुणों वाले चावल
छत्तीसगढ़ के कई धान की किस्मों में औषधीय गुण भी पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। जैसे कि:
1. कंठई बांको (छत्तीसगढ़), मेहर, सरिफुल, और डनवार (उड़ीसा) में औषधीय गुण हैं।
2.महाराजी नामक एक किस्म गर्भवती महिलाओं को शक्ति और सहनशक्ति प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध है।
4) छत्तीसगढ़ में उगाई जाने वाली धान की प्रमुख किस्में
छत्तीसगढ़ के किसानों द्वारा धान की विभिन्न किस्मों की खेती की जाती है, जो विविध प्रकार के स्वाद, पौष्टिकता और जलवायु के अनुकूल होती हैं। कुछ प्रमुख धान की किस्में हैं:
कृष्ण भोग: बेहतरीन सुगंध वाला और भोजन के लिए सर्वोत्तम।
हंसराज: इसकी लंबी दाने वाली विशेषता और सुगंध इसे खास बनाती है।
चिनोर: कम पानी में भी उगने वाली, स्वादिष्ट और हल्की सुगंध वाली किस्म।
5) छत्तीसगढ़ की कृषि जलवायु और धान की विविधता
छत्तीसगढ़ की कृषि जलवायु धान की विविधता के लिए बेहद अनुकूल है। इस वजह से यहां के किसान धान की 19,000 से अधिक किस्मों की खेती करते आ रहे हैं। यही कारण है कि यह राज्य धान की खेती के लिए सर्वोत्तम माने जाने वाले क्षेत्रों में से एक है। छत्तीसगढ़ ने न केवल चावल उत्पादन में अपनी एक पहचान बनाई है, बल्कि औषधीय गुणों वाले चावल के संरक्षण और विविधता में भी योगदान दिया है। यह राज्य वास्तव में चावल की खेती, उत्पादन और परंपरा का एक अद्वितीय उदाहरण है।

6) छत्तीसगढ़ के धान: प्रकार, उपज का समय और खास बातें:-
छत्तीसगढ़, जो भारत का असली धान का कटोरा है, यहाँ अनगिनत धान की किस्में उगाई जाती हैं। इस क्षेत्र की विविध जलवायु और मिट्टी के कारण किसान यहां उच्च गुणवत्ता वाले चावल का उत्पादन करते हैं। छत्तीसगढ़ के चावल की विशेषता यह है कि इनमें औषधीय गुण भी होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।
कुछ चावल की किस्में अद्भुत औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं, जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करने में मददगार होती हैं। ये चावल अपच, मधुमेह, गठिया, लकवा, और मिर्गी जैसे रोगों के उपचार में बेहद प्रभावी होते हैं। प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में इन चावलों के औषधीय लाभों का उल्लेख किया गया है। भारत में कंठई बांको (छत्तीसगढ़), मेहर, सरिफुल, डनवार (उड़ीसा), आतीकाया, और कारी भट्ट (कर्नाटक) जैसी कई औषधीय चावल की किस्में आम हैं। विशेष रूप से, महाराजी चावल गर्भवती महिलाओं को जन्म के बाद शक्ति और सहनशक्ति प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध है।

7) उच्चभूमि पर लगाई जाने वाले धान (Rice Grown in Upland)

8) सूखा प्रतिरोधी किस्में (Drought Resistant Varieties)
सूखा-रोधी (Drought Resistant) पौधे वे हैं जो सूखे में भी जीवित रहते हैं। इनमें गहरी जड़ें होती हैं जो मिट्टी से नमी खींचती हैं, और उनकी पत्तियाँ पानी की बचत के लिए मोटी और मोमी होती हैं। ये पौधे शुष्क परिस्थितियों में भी बढ़ने में सक्षम होते हैं। सूखा सहनशीलता के तंत्र ये पौधे शुष्कता सहन, विषहरण, और जाइलम एम्बोलिज्म मरम्मत जैसे तंत्रों से सूखे में भी पानी की आपूर्ति बनाए रखते हैं। इसी वजह से ये शुष्क क्षेत्रों में भी अच्छी तरह उगते हैं।

9) लघु एवं मध्यम अवधि वाली किस्में (Short and Medium Duration Varieties)






10) सुगंधित चावल की किस्में Aromatic Rice varieties)


11) जल भराव की स्थिति के लिए उपयुक्त (Suitable for Water Logging Condition)



12) जैविक तनाव के लिए उपयुक्त: रोग प्रतिरोधी (suitable for biotic stresses : Disease Resistant)


13) जैविक तनाव के लिए उपयुक्त: कीट प्रतिरोधी (Suitable for biotic stresses : Insect Resistant)

