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RBI: चौथी बार ब्याज दरें 6.5% पर बरकरार

महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। यदि महंगाई दर 7% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 93 रुपए होगा। इसलिए, महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।

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आरबीआई गवर्नर Shaktikanta Das ने आज मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के फैसलों की जानकारी दी
आरबीआई गवर्नर Shaktikanta Das ने आज मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के फैसलों की जानकारी दी

RBI ने लगातार चौथी बार ब्याज दरों को 6.5% पर जस का तस रखा है। आरबीआई गवर्नर Shaktikanta Das ने आज मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के फैसलों की जानकारी दी। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग 4 अक्टूबर को शुरू हुई थी। आरबीआई ने आखरी बार फरवरी 2023 में रेपो रेट बढ़ाकर 6.5% की थी। तब से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग हर दो महीने में होती है। इस वित्त वर्ष की पहली मीटिंग अप्रैल में हुई थी। वहीं पिछले वित्त वर्ष में रेपो रेट 6 बार में 2.50% बढ़ाई गई थी। आरबीआई के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली उपकरन है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, आरबीआई रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को आरबीआई से मिलेने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है। इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में आरबीआई रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को आरबीआई से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है। आरबीआई गवर्नर महंगाई अनुमान और GDP अनुमान भी जारी करेंगे।

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पिछली मीटिंग में आरबीआई ने महंगाई अनुमान को FY24 में 5.1% से बढ़ाकर 5.4% कर दिया था। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि महंगाई को लेकर चिंता और अनिश्चितता अभी भी बरकरार है। FY24 में रियल जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.5% पर बरकरार रखा था। वहीं FY25 की पहली तिमाही में रियल जीडीपी अनुमान 6.6% दिया था। आरबीआई गवर्नर ने कहा था कि दूसरे देशोंके मुकाबले भारत ग्‍लोबल चुनौतियों से निपटने में ज्‍यादा सक्षम है। अगस्त महीने में रिटेल महंगाई में गिरावट देखने को मिली थी। ये घटकर 6.83% पर आ गई थी। इससे पहले जुलाई में ये 7.44% रही थी। महंगाई में ये गिरावट सब्जियों के दाम कम होने से आई थी। हालांकि महंगाई दर अभी भी आरबीआई के 6% की ऊपरी टॉलरेंस लिमिट के पार ही है। अगस्त में थोक महंगाई बढ़कर -0.52% पर पहुंच गई। जुलाई में ये -1.36% रही थी। ये लगातार पांचवां महीना था जब थोक महंगाई निगेटिव रही थी। यानी शून्य से नीचे रही। वहीं अगस्त में खाने पीने की चीजें सस्ती हुई हैं, खाद्य महंगाई 7.75% से घटकर 5.62% हो गई है। महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। यदि महंगाई दर 7% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 93 रुपए होगा। इसलिए, महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।

पिछली मीटिंग में आरबीआई ने महंगाई अनुमान को FY24 में 5.1% से बढ़ाकर 5.4% कर दिया था
पिछली मीटिंग में आरबीआई ने महंगाई अनुमान को FY24 में 5.1% से बढ़ाकर 5.4% कर दिया था