डिजिटल इकोनॉमी कैसे ग्रामीण भारत का कर सकती है उत्थान
सरकार प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के माध्यम से समय पर, लागत प्रभावी और पर्याप्त कर्ज भी दे रही है। इसके तहत, सूक्ष्म और लघु व्यवसायों के लिए बिना गारंटी 10 लाख रुपये तक के कुल 29.93 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज स्वीकृत किए गए हैं। आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के मुताबिक, इन उपायों ने 2021-2022 तक गैर-संस्थागत कर्ज की हिस्सेदारी को 23 फीसदी तक कम कर दिया है। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश भी बढ़ रहा है।

भारत में वंचित लोगों तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने के लिए 10 साल पहले अगस्त में शुरू की गई प्रधानमंत्री जन-धन योजना एक अग्रणी पहल रही है। इसकी शुरुआत से लेकर अब तक 52 करोड़ से अधिक जन-धन खाते खोले जा चुके हैं। इन खातों 2.30 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा है।
सरकार प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के माध्यम से समय पर, लागत प्रभावी और पर्याप्त कर्ज भी दे रही है। इसके तहत, सूक्ष्म और लघु व्यवसायों के लिए बिना गारंटी 10 लाख रुपये तक के कुल 29.93 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज स्वीकृत किए गए हैं। आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के मुताबिक, इन उपायों ने 2021-2022 तक गैर-संस्थागत कर्ज की हिस्सेदारी को 23 फीसदी तक कम कर दिया है। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश भी बढ़ रहा है।
इन योजनाओं को सफल बनाने में वित्तीय प्रणाली के डिजिटलीकरण, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, शीघ्र केवाईसी, उपकरण और फोन की महत्वपूर्ण भूमिका है, जिनके जरिये लोग भुगतान कर सकते हैं या प्राप्त कर सकते हैं।
आगे का रास्ता
वित्तीय समावेशन डिजिटल रूप से कम लागत में वित्तीय सेवाओं की एक विस्तृत शृंखला के वितरण में दक्षता प्रदान करता है। यह अनुकूल वित्तीय उत्पादों के कुशलतापूर्वक और बड़े पैमाने पर वितरण में भी मदद करता है। व्यापक रूप से उपलब्ध एवं उपयोग में आसान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग टूल ग्राहक को डिजिटल लेनदेन हिस्ट्री के आधार पर वित्तीय उत्पाद मुहैया कराने की सिफारिश करते हैं। अगर कोई ग्राहक डेयरी कारोबार के लिए अधिक मवेशी खरीदना चाहता है तो उसकी डिजिटल लेनदेन हिस्ट्री के आधार पर ये टूल उसे कर्ज देने की सिफारिश की मंजूरी देते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग पूर्वानुमान मॉडल के विकास को सक्षम बनाता है, जो पारंपरिक और वैकल्पिक क्रेडिट डाटा की विशाल मात्रा का विश्लेषण कर सटीक एवं निष्पक्ष क्रेडिट आकलन को सक्षम बनाता है। यह धोखाधड़ी का भी तेजी से पता लगाता है।
चीन में हुए कई अध्ययनों से पता चला है कि स्मार्टफोन, इंटरनेट एक्सेस और डिजिटल बैंकिंग के जरिये डिजिटल वित्तीय समावेशन में तेजी लाने में मदद मिली है। इसके जरिये न सिर्फ कारोबारी गतिविधियों के लिए फंडिंग के सोर्स मिलते हैं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में विविधतापूर्ण गैर-कृषि संबंधी मांग को भी बढ़ावा मिलता है। कुल मिलाकर, डिजिटल वित्तीय समावेशन स्थानीय और अन्य जगहों पर नए उद्यमों को बढ़ावा देता है।
इसने विशेष रूप से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच आर्थिक गतिविधियों के संबंध को मजबूत किया है। डिजिटल वित्तीय समावेशन आर्थिक विकास की गुणवत्ता को भी प्रभावी ढंग से बढ़ावा दे सकता है। इसमें स्थानीय जीडीपी की वृद्धि, तकनीकी नवाचार, सर्वांगीण विकास, बाहरी दुनिया के लिए खुलापन और लोगों की आजीविका शामिल है।
आरबीआई ने फीचर फोन में यूपीआई की सुविधा देने के लिए यूपीआई123पे लॉन्च किया है। एनपीसीआई ने यूपीआई लाइट की शुरुआत की है, जो बैंकों की ओर से दी जाने वाली ऑन-डिवाइस वॉलेट सेवा है। यह भीम ऐप के जरिये 200 रुपये तक के कम मूल्य के लेनदेन की अनुमति देता है।
डिजिटल लेनदेन हर जगह बढ़ रहा है। हम यह भी देख रहे हैं कि सरकार की ओर से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के जरिये जो पैसा लाभार्थियों के खातों में पहुंचाया जा रहा है, वे उसे निकाल लेते हैं। यह दर्शाता है कि कई लोग सुविधा के लिए अब भी नकदी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
आगे का आउटलुक
डिजिटल रूप से सिफारिश और कर्ज वितरण ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी भारत में छोटे कारोबार को बढ़ावा देने के साथ आय में सुधार करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं। कुछ मामलों में, डेयरी किसानों की आय दोगुनी हुई है। इसके अतिरिक्त, केंद्रीय बजट में घोषित किसान क्रेडिट कार्ड की मदद से किसान अपनी उत्पादन जरूरतों के लिए आसानी से नकदी प्राप्त करने में सक्षम होंगे।
डिजिटल वित्तीय समावेशन के तहत, खाताधारकों की ऋण पात्रता का डाटा आधारित विश्लेषण उनके डिजिटल फुटप्रिंट के बारे में जानकारी रखने पर जोर देता है। डिजिटल फुटप्रिंट में व्यापारियों से वस्तुओं और सेवाओं के लिए ऑफलाइन एवं ऑनलाइन भुगतान, इलेक्ट्रिसिटी जैसी यूटिलिटी सेवाएं, यूपीआई जैसे भुगतान माध्यम शामिल हैं। इसके अलावा, कर्ज लेने वालों के साथ नियमित जुड़ाव की आवश्यकता होती है ताकि उन्हें नियमित अंतराल पर पुनर्भुगतान के बारे में वित्तीय रूप से साक्षर और अनुशासित बनाया जा सके। इसे भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के एक शोध पत्र में भी बताया गया है।
बैंकिंग नेटवर्क से जुड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग कर दूरदराज के क्षेत्रों में वित्तीय सेवाएं देने वाले 'बैंक मित्र' ऐसे जुड़ाव के लिए काफी कारगर सिद्ध हो रहे हैं, क्योंकि वे आमतौर पर कर्ज लेने वाले लोगों के क्षेत्र में ही रहते हैं और उनसे परिचित होते हैं। बैंक मित्र उधारकर्ताओं की पहचान करने, ऋण आवेदनों की प्रारंभिक प्रक्रिया और बैंकों में उनके प्रस्तुतीकरण, कर्ज के इस्तेमाल और पुनर्भुगतान के बारे में जागरूकता पैदा करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के मुताबिक, चीन में 1978 से 1984 के बीच यानी छह वर्षों में किसानों की वास्तविक आय दोगुनी हो गई। इससे मैन्युफैक्चर्ड (विनिर्मित) वस्तुओं की मांग में इजाफा हुआ। वित्तीय समावेशन को अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुंचाकर यानी ‘हाई टेक’ या डिजिटल और ‘हाई टच’ यानी मानवीय जुड़ाव मॉडल के माध्यम से ऋण तक पहुंच बनाकर भारत ग्रामीण आय और खपत में काफी वृद्धि कर सकता है।
( लेखक- सीमा प्रेम, सह-संस्थापक और सीईओ, FIA Global, ये लेखक के अपने विचार हैं, बिजनेस टुडे बाजार लेखक के विचारों के लिए उत्तरदायी नहीं होगा)