Why everyone is buying Gold?: क्या सोना है सबके लिए और सदा के लिए?
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक सेंट्रल बैंक अपने रिजर्व में विविधता लाने के लिए सोने में खरीद करते हैं। अर्थव्यवस्थाओं में अनिश्चितता बढ़ने के साथ ये खरीद भी बढ़ जाती है। इससे किसी देश की सबसे अहम आर्थिक संस्थान पर जोखिम भी कम हो जाते हैं।

ग्लोबल मार्केट में सोने की कीमत (Gold Rate) बढ़ने के साथ ही भारत में भी गोल्ड की कीमत काफी बढ़ गई है। 4 अप्रैल 2024 को MCX पर गोल्ड की कीमत ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई है। चांदी (Silver Rate) भी रिकॉर्ड स्तर पर है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर गोल्ड पहली बार 70,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के पार चला गया। MCX गोल्ड (Gold Price) ने 70,248 रुपए प्रति 10 ग्राम का नया स्तर छू लिया है। चांदी भी रिकॉर्ड स्तर पर है। सोने को लेकर महिलाओं का आकर्षण कोई नई बात नहीं है केडिया कमोडिटीज की रिपोर्ट में दिए गए फरवरी के महीने के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलेगा कि दुनिया भर के सेंट्रल बैंक लगातार सोना खरीद रहे हैं। दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों को लगता है कि सोना एक सेफ इनवेस्टमेंट है। कोविड के बाद रूस यूक्रेन संघर्ष और मिडिल ईस्ट संकट और इन सबके बीच महंगाई और मंदी की मार की वजह से बढ़ती अनिश्चितता ने ही गोल्ड को सेंट्रल बैंक्स का फेवरेट बना दिया है लेकिन अभी भी सेंट्रल बैंक गोल्ड ज्यादा से ज्यादा गोल्ड खरीदकर अपना रिजर्व बढ़ा रहे हैं।
सेंट्रल बैंक की गोल्ड शॉपिंग
फरवरी के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर के सेंट्रल बैंक के गोल्ड रिजर्व में 19 टन की बढ़त देखने को मिली है। और ये लगातार 9वां महीना है जब सेंट्रल बैंक का कुल गोल्ड रिजर्व बढ़ा है। पिछले साल जून के महीने से दुनिया भर के सेंट्रल बैंक का गोल्ड रिजर्व बढ़ रहा है। हालांकि फिलहाल इजरायल युद्ध के अलावा कोई और बड़ा युद्ध का खतरा नहीं है लेकिन सोने के प्रति दिवानगी कई सवाल भी खड़े कर रही है। इससे पहले जनवरी के महीने में दुनिया भर के सेंट्रल बैंक्स ने कुल मिलाकर 45 टन सोना खरीदा था। इस साल के पहले दो महीने यानि जनवरी और फरवरी 2024 में सेंट्रल बैंक ने कुल मिलाकर 64 टन सोना जोड़ा है। ये पिछले साल के इन दो महीनों के मुकाबले 4 गुना की बढ़त है। फरवरी के महीने में सबसे ज्यादा सोना चीन के सेंट्रल बैंक ने खरीदा है। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना का गोल्ड रिजर्व फरवरी के महीने में 12 टन बढ़कर 2257 टन तक पहुंच गया है। चीन का सेंट्रल बैंक दुनिया के किसी और बैंक के मुकाबले कहीं ज्यादा अवधि से सोना जोड़ रहा है। फरवरी की ग्रोथ के साथ ये लगातार 16वां महीना था जब बैंक के गोल्ड रिजर्व बढ़े हैं। नेशनल बैंक ऑफ कजाकिस्तान का गोल्ड रिजर्व फरवरी के महीने में 6 टन बढ़ा है और केंद्रीय बैंक का कुल गोल्ड रिजर्व 306 टन से ऊपर पहुंच गया है। भारतीय रिजर्व बैंक भी लगातार सोने की खरीद कर रहा है। फरवरी के महीने में रिजर्व बैंक के गोल्ड रिजर्व में 6 टन सोना और जुड़ा है और कुल गोल्ड होल्डिंग्स बढ़कर 817 टन पर पहुंच गई है. जनवरी में रिजर्व बैंक ने 7 टन सोना खरीदा था। फरवरी के महीने में कुछ सेंट्रल बैंक की तरफ से नई खरीद देखने को मिली। फरवरी के महीने में मॉनीटरी अथॉरिटी ऑफ सिंगापुर ने सितंबर 2023 के बाद पहली बार सोने के रिजर्व में बढ़त दर्ज की. माह के दौरान गोल्ड रिजर्व 2 टन बढ़ा है। चेक नेशनल बैंक के गोल्ड रिजर्व में फरवरी 2023 के मुकाबले 183 फीसदी का उछाल देखने को मिला है. बैंक का गोल्ड रिजर्व 2 टन की बढ़त के साथ 34 टन पर पहुंच गया है। कतर सेंट्रल बैंक की तरफ से फरवरी के महीने में रिजर्व में 2 टन सोने की बढ़त की जानकारी दी गई है।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
केडिया कमोडिटी के अजय केडिया के मुताबिक भूराजनैतिक संकट अभी भी बरकरार है। ईरान-इजरायल के बीच युद्ध का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है और यही वजह है कि सेंट्रल बैंक अभी भी सोने में निवेश कर रहे हैं। दो साल से बाइंग चल रही है और कई देशों में करेंसी संकट है। यही वजह है कि सेंट्रल बैंक सोने में निवेश कर रहे हैं। अजय केडिया का कहना है कि गोल्ड में तेजी आई नहीं है, गोल्ड में तेजी अभी और आएगी। इंटरनेशनल बाजार में तेजी आई नहीं है। जिन लोगों को लगता है कि गोल्ड की रैली मिस हो गई है वो ईटीएफ के जरिए सिल्वर में निवेश कर सकते हैं। हालांकि गोल्ड में निवेश करने में कोई अभी भी मौके हैं।
क्यों है सोना खरा सोना?
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक सेंट्रल बैंक अपने रिजर्व में विविधता लाने के लिए सोने में खरीद करते हैं। अर्थव्यवस्थाओं में अनिश्चितता बढ़ने के साथ ये खरीद भी बढ़ जाती है। इससे किसी देश की सबसे अहम आर्थिक संस्थान पर जोखिम भी कम हो जाते हैं। इसके अलावा गोल्ड लंबी अवधि में महंगाई दर के खिलाफ सुरक्षा देने वाले एसेट साबित हुआ है। इससे केंद्रीय बैंकों को महंगाई के खिलाफ रणनीति बनाने में अतिरिक्त मदद हासिल होती है। वहीं गोल्ड के साथ कोई डिफॉल्ट रिस्क नहीं होती। दुनिया भर में मंदी की आशंकाओं के चलते सेंट्रल बैंक कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं और बेहतर सिक्योरिटी के लिए गोल्ड में निवेश बढ़ा रहे हैं।