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ITR Filing की आखिरी तारीख निकली, तो किस परेशानी में फंस सकते हैं Taxpayers?

समय पर आयकर रिटर्न दाखिल करना न केवल कानूनी जिम्मेदारी है, बल्कि यह आपके वित्तीय प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। समयसीमा चूकने पर विलंब शुल्क, ब्याज, और निवेश से होने वाले लाभों की हानि करदाताओं के लिए गंभीर वित्तीय प्रभाव डाल सकती है। इसलिए, सभी करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे 31 जुलाई की अंतिम तिथि से पहले अपना रिटर्न दाखिल करें और किसी भी संभावित समस्याओं से बचने के लिए पूरी तैयारी करें।

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वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई नजदीक आ रही है
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई नजदीक आ रही है

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई नजदीक आ रही है, और यह नजदीकी तिथि करदाताओं के बीच चिंता और तनाव का कारण बन गई है। यह वह समय है जब करदाता और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स दोनों ही अपनी-अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं। समयसीमा के पार होने पर कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो वित्तीय दृष्टिकोण से गंभीर परिणाम भी दे सकती हैं।

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समयसीमा का महत्व

31 जुलाई की समयसीमा का पालन करना न केवल एक कानूनी आवश्यकता है, बल्कि यह आपकी वित्तीय स्थिति और कर व्यवस्था में आपके स्थान को भी प्रभावित करता है। पिछले वर्षों में जब समयसीमा को नहीं बढ़ाया गया, तब कई करदाता परेशान हो गए थे, और यह संभावना इस बार भी कम ही दिख रही है। इसलिए, अपने आयकर रिटर्न को समय पर दाखिल करना न केवल आवश्यक है बल्कि अत्यंत महत्वपूर्ण भी है।

समयसीमा चूकने पर संभावित परिणाम

चार्टर्ड अकाउंटेंट चिराग चौहान ने हाल ही में एक ट्वीट के माध्यम से इस मुद्दे को उजागर किया है कि 31 जुलाई तक आयकर रिटर्न दाखिल करने में विफल रहने वाले करदाता नई कर व्यवस्था में चले जाएंगे। नई कर व्यवस्था में पुरानी व्यवस्था की तुलना में कई लाभ जैसे छूट और कटौती नहीं मिलते हैं। इसका सीधा मतलब है कि करदाता को उच्च कर का भुगतान करना पड़ सकता है और अतिरिक्त ब्याज शुल्क भी देना पड़ सकता है।

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विलंब शुल्क

समयसीमा चूकने की स्थिति में, आयकर अधिनियम की धारा 234एफ के तहत 5,000 रुपये का विलंब शुल्क देना होता है। हालांकि, 5 लाख रुपये से कम आय वाले करदाताओं के लिए यह शुल्क घटाकर 1,000 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा, बकाया कर राशि पर 1% मासिक ब्याज भी देना होगा, जो आपकी कुल वित्तीय बोझ को बढ़ा सकता है।

निवेश में होने वाले लाभ

समय पर रिटर्न दाखिल न करने का एक और महत्वपूर्ण प्रभाव यह है कि करदाता शेयरों, म्यूचुअल फंड, प्रॉपर्टी या व्यवसायों में निवेश से होने वाले नुकसान को आगे नहीं ले जा सकते। यह प्रावधान भविष्य की आय के विरुद्ध इन नुकसानों की भरपाई करने की अनुमति देता है, लेकिन अगर रिटर्न देर से दाखिल किया जाता है, तो यह सुविधा समाप्त हो जाती है। इसका मतलब है कि भविष्य के करों में इन नुकसानों की भरपाई संभव नहीं होगी, जिससे दीर्घकालिक वित्तीय नुकसान हो सकता है।

वेतनभोगी करदाताओं के लिए चेतावनी

चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रतिभा गोयल के अनुसार, वेतनभोगी करदाता जिनकी कोई व्यावसायिक आय नहीं है और जो पुरानी कर व्यवस्था को पसंद करते हैं, उन्हें समयसीमा का गंभीरता से पालन करना चाहिए। समय पर रिटर्न दाखिल न करने पर वे नई कर व्यवस्था में फंस सकते हैं, जहां से वापसी संभव नहीं होती। यह करदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है कि वे समय पर अपनी कर फाइलिंग पूरी करें, ताकि पुरानी व्यवस्था के लाभों का लाभ उठा सकें।

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समय पर आयकर रिटर्न दाखिल

समय पर आयकर रिटर्न दाखिल करना न केवल कानूनी जिम्मेदारी है, बल्कि यह आपके वित्तीय प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। समयसीमा चूकने पर विलंब शुल्क, ब्याज, और निवेश से होने वाले लाभों की हानि करदाताओं के लिए गंभीर वित्तीय प्रभाव डाल सकती है। इसलिए, सभी करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे 31 जुलाई की अंतिम तिथि से पहले अपना रिटर्न दाखिल करें और किसी भी संभावित समस्याओं से बचने के लिए पूरी तैयारी करें।