
Saudi Arab ने भारत को दिया झटका! भारत पर क्या होगा असर?
रूस और यूक्रेन की जंग पूरी दुनिया ने देखा कैसे अमेरिकी समेत यूरोपीय देशों में रूस पर प्रतिबंध लगाए। जिसके बाद रूस ने पूरी ताकत के साथ कच्चे तेल को सस्ते दामों पर बेचना शुरू किया। भारत और चीन जैसे देशों ने इस मौका पूरा फायदा उठाया और जमकर सस्ता तेल खरीदा। लेकिन इसका दूसरा असर ये है कि भारत ने सऊदी अरब से तेल खरीदना कम कर दिया। भारत ने तेजी सऊदी से आने वाले तेल की खरीदारी में कटौती की है। जाहिर सी बात है कि सऊदी अरब को ये बात अच्छी नहीं लगी और इसकी के चलते अब सऊदी अरब ने भारत समेत दुनिया के देशों को झटका देने के लिए बड़ा कदम उठाया है।

Russia और Ukraine की जंग पूरी दुनिया ने देखा कैसे American समेत यूरोपीय देशों में रूस पर प्रतिबंध लगाए। जिसके बाद रूस ने पूरी ताकत के साथ कच्चे तेल को सस्ते दामों पर बेचना शुरू किया। India और China जैसे देशों ने इस मौका पूरा फायदा उठाया और जमकर सस्ता तेल खरीदा। लेकिन इसका दूसरा असर ये है कि भारत ने Saudi Arab से तेल खरीदना कम कर दिया। भारत ने तेजी सऊदी से आने वाले तेल की खरीदारी में कटौती की है। जाहिर सी बात है कि सऊदी अरब को ये बात अच्छी नहीं लगी और इसकी के चलते अब सऊदी अरब ने भारत समेत दुनिया के देशों को झटका देने के लिए बड़ा कदम उठाया है।
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सबसे पहले जानते हैं कि सऊदी अरब ने क्या कदम उठाया है? उसके बाद बताएंगे कि भारत पर इसका क्या असर होगा? दुनिया भर में मंदी की आशंका के बावजूद कीमतों को बढ़ाने के लिए सऊदी अरब तेल उत्पादन में रोजाना दस लाख बैरल की और कमी करने का फैसला किया है। विश्लेषकों के मुताबिक, सऊदी के उत्पादन में कटौती का फैसला सभी के लिए चौंकाने वाला है। सऊदी अरब ने फैसला किया है कि वो साल 2024 तक प्रति दिन 14 लाख बैरल कटौती को आगे बढ़ाएगा। इस फैसला का असर वैश्विक स्तर पर क्रूड में तेजी के तौर पर हुआ है। आपको बता दें कि OPEC+ का दुनिया के कच्चे तेल में करीब 40% हिस्सा है और इसके फैसलों का तेल की कीमतों पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। ओपेक प्लस 13 तेल उत्पादक देशों का संगठन है जिसमें सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, रूस, ईरान, इराक, कुवैत आदि देश शामिल हैं।

अब समझने की कोशिश करते हैं कि सऊदी अरब के इस कदम से भारत पर क्या असर होगा? इस कटौती से भारत जैसे इंपोर्टर देशों के लिए परेशानी बढ़ सकती है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑयल इंपोर्टर देश है। भारत की अर्थव्यवस्था तेल पर काफी निर्भर करती है। इस एलान से पहले सस्ते क्रूड से भारत में उम्मीद थी कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती होगी। लेकिन सऊदी अरब के इस फैसले से भारत को झटका लगेगा। ऐसे में भारत में ईंधन की कीमत समीक्षा में देरी होगी। भारत में 14 महीने से पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर हैं। आने वाले दिनों में भारत में तेल की कीमतों में अनिश्चिता बढ़ाएगी।
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