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Working Hour पर Capgemini CEO का बड़ा बयान, कहा-इतना होना चाहिए आइडियल वर्किंग ऑवर

Working Hour की बहस को लेकर बहस जारी है। अब Capgemini India CEO अश्विन यार्डी ने आइडियल वर्किंग ऑवर को लेकर बड़ी बात कही है। इस आर्टिकल में जानते हैं।

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देश में Working Hour को लेकर बहस लगातार जारी है। इस चर्चा की शुरुआत तब हुई जब इन्फोसिस के को-फाउंडर एन. आर. नारायणमूर्ति ने कर्मचारियों को हर हफ्ते 70 घंटे तक काम करने की सलाह दी। इसके बाद, एलएंडटी के चेयरमैन एस. एन. सुब्रह्मण्यन ने इसे और आगे बढ़ाते हुए 90 घंटे काम करने की वकालत कर दी। उनके इस बयान की जमकर आलोचना हुई और सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल भी किया गया। अब इसी टॉपिक पर आईटी कंपनी कैपजेमिनी इंडिया के सीईओ अश्विन यार्डी का बयान आया है, जो बिल्कुल विपरीत नजरिया पेश करता है।

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वीकेंड पर काम का विरोध

Capgemini India CEO अश्विन यार्डी ने वीकेंड पर कर्मचारियों से काम करवाने का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि आखिर कर्मचारियों को ‘दुख’ देने की क्या जरूरत है? मंगलवार को नैसकॉम टेक्नोलॉजी एंड लीडरशिप फोरम में, जब उनसे आइडियल वर्किंग ऑवर के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने हफ्ते में 47.5 घंटे काम करने को सही बताया। उन्होंने कहा कि कंपनी में हर दिन 9 घंटे काम करने का सिस्टम है और यह 5 दिन के हिसाब से बैलेंस्ड टाइम है।

कर्मचारियों के लिए छुट्टी जरूरी

अश्विन यार्डी ने कहा कि बीते चार सालों से वह इस आइडियल वर्किंग ऑवर का पालन कर रहे हैं कि वीकेंड पर कर्मचारियों को किसी भी तरह के ईमेल तक न भेजे जाएं। उन्होंने यह भी माना कि कभी-कभी वे खुद वीकेंड पर काम करते हैं, लेकिन उन कार्यों में कर्मचारियों को शामिल करना सही नहीं है जिन पर तुरंत कार्रवाई की जरूरत नहीं होती। उनके अनुसार, फालतू का बोझ डालकर किसी कर्मचारी को परेशान करने का कोई मतलब नहीं है।

नैसकॉम और अन्य सीईओ का समर्थन

अश्विन यार्डी के इस विचार को नैसकॉम की चेयरपर्सन और SAP इंडिया की प्रमुख सिंधु गंगाधरन ने भी समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि वर्किंग आवर ज्यादा की जगह काम के नतीजों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। मैरिको के सीईओ सौगत गुप्ता ने भी इसी बात का समर्थन किया और माना कि वे कभी-कभी रात 11 बजे तक कर्मचारियों को ईमेल भेजते हैं, लेकिन वीकेंड पर काम न कराने की नीति से सहमत हैं।

70-90 घंटे काम की वकालत पर विवाद

इस पूरे मुद्दे की शुरुआत इन्फोसिस के को-फाउंडर नारायणमूर्ति के 70 घंटे काम करने के सुझाव से हुई थी। जब इस पर बहस चल रही थी, तभी एलएंडटी के चेयरमैन एस.एन. सुब्रह्मण्यन ने 90 घंटे काम करने की बात कहकर विवाद बढ़ा दिया। उन्होंने यहां तक कहा कि घर पर रहकर कोई कितनी देर तक पत्नी को देखेगा? अगर संभव होता तो मैं वीकेंड पर भी काम करवाता। उनके इस बयान की सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना हुई।

काम के घंटों पर नई सोच की जरूरत

देश में वर्किंग आवर बढ़ाने के सुझावों की आलोचना हो रही है, वहीं बैलेंस्ड वर्क आवर को बढ़ावा देने वाले विचारकों को समर्थन मिल रहा है। इस बहस से यह साफ होता जा रहा है कि कंपनियों को कर्मचारियों की वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखने की जरूरत है, ताकि प्रोडक्ट और मेंटल हेल्थ दोनों को प्राथमिकता दी जा सके।

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