BTTV Exclusive: ये नया भारत है जो अब रूकना नहीं जानता- अमिताभ कांत
लोग मैन्युफैक्चरिंग तो करते थे सभी देश अपने-अपने स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग एक्सपोर्ट और इंपोर्ट का काम करते हैं। चीन की इकोनॉमी एक हाई कास्ट इकोनामी बन चुकी है।

नीति आयोग के पूर्व सीईओ और G-20 शेरपा Amitabh Kant का कहना है कि मेक इन इंडिया और पीएलआई स्कीम गेमचेंजर है और पिछले 10 सालों में भारत बदल गया है। सरकार की कोशिशों का नतीजा है कि अब हम मैन्युफैक्चरिंग में चीन को टक्कर दे रहे हैं। चार साल पहले 81 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे। अब 100 परसेंट मोबाइल फोन एक्सपोर्ट कर रहे हैं। बिज़नेस टुडे टेलीविजन के मैनेजिंग एडिटर सिद्धार्थ ज़राबी से एक्सक्लूसिव बातचीत में अमिताभ कांत ने कहा कि आने वाले समय में भारत दुनिया के लिए एक यूनिक मॉडल बनेगा। पेश है अमिताभ कांत से बातचीत के प्रमुख अंश
सवाल- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज से ठीक 10 साल पहले Made in India प्रोग्राम की शुरुआत की थी, दुनिया के कई कोनों से ऐसी बातें उठ रही थी कि भारत अब यह कौन सी नई चिड़िया बना रहा है, 10 साल के बाद इस कार्यक्रम से क्या उपलब्धि हासिल हुई है हमारे दर्शकों को बताइए?
जवाब- इसके तहत कई बदलाव किए गए हैं। आम जनता के साथ सरकार को भी बहुत फायदा हुआ है। करीब 1500 कानून खत्म किए गए हैं। रूल्स रेगुलेशन बहुत आसान हुए हैं। केंद्र के अलावा राज्यों ने भी इस पर कार्रवाई की है। फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट 58% डायरेक्ट आता है इसके लिए किसी के परमिशन नहीं लेनी होती है। पेटेंट रिज्यूम में बहुत सारे एग्जाम रखे, उसे एग्जामिनर को रखा गया। इसकी वजह से पेटेंट हम उसी हिसाब से देते हैं जिस तरीके से पहले यूनाइटेड स्टेट और जापान देते थे। प्रोडक्शन को काफी बढ़ावा दिया गया है इसके तहत प्रोडक्शन करने वालों को इंसेंटिव दिया जा रहा है। करीब 4 साल पहले 81% मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे पर अब लगभग 100% अब हम डोमेस्टिक में ही बनना शुरू कर दिए हैं। अब लगभग 25% मोबाइल फोन को हम एक्सपोर्ट करते हैं। इससे टेलीकॉम सेक्टर को काफी बढ़ावा दिया गया है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में होंडा सहित कई कंपनी जापान सहित कई देशों को अब एक्सपोर्ट कर रही है। हुंडई सहित कई कार कंपनियों ने हिंदुस्तान को अपना प्रोडक्शन हब बना दिया है। टोयोटा और मारुति देश के राज्यों में अपना प्रोडक्शन हब बना रही है। PLI स्कीम के तहत देश में एक नई क्रांति आनी शुरू हो चुकी है।
सवाल- किसान का बेटा चाहता है कि उसे नौकरी लगे, उसकी जीवन शैली में बदलाव हो, पर खेती बाड़ी में उतना पैसा नहीं है और कमाई तभी हो पाएगी जब बड़े-बड़े उद्योग लगेंगे या प्रोडक्शन को बढ़ावा मिलेगा। धरातल से Made in India में नौकरी को कैसे बढ़ावा मिलेगा।
जवाब- यह सब तभी पॉसिबल हो पाएगा जब बड़ी पैमाने पर बड़ी-बड़ी कंपनियां हिंदुस्तान में अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाएगी और यह धीरे-धीरे कामयाब होता भी नजर आ रहा है। इसके तहत कई प्रक्रिया होती हैं पहले कंपनियां टायर टू में जाती हैं और फिर टायर 3 शहरों में जाती है। बड़ी-बड़ी कंपनियों का मतलब है कि जब सुजुकी ने भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग शुरू किया, उसके पीछे-पीछे कई छोटी बड़ी कंपनियां भी साथ में आई थी। कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग को पढ़ने में तकरीबन 4 से 5 साल का समय लगता है। इसलिए शुरुआती में बड़ी कंपनियों को मैन्युफैक्चरिंग करनी जरूरी है। यह पूरा इकोसिस्टम के कारण बिल्ड अप हो पाएगा। कुछ सालों के बाद यही कंप्लेंट मैन्युफैक्चरिंग रोजगार लेने में लोगों को एक बड़ा फायदा होगा। जितनी भी नई साड़ी जॉब्स आएंगे वहां सनराइज एरिया को डेवलप करेगी। ठीक जिस तरीके से सैमसंग और एप्पल भारत में काम कर रही है वैसे रोजगार को भी बड़ा फायदा होगा। इसमें बड़ी-बड़ी फार्मा कंपनियां भी शामिल है। 50% से अधिक मैन्युफैक्चरिंग ऑटोमोबाइल सेक्टर अकेला कर रहा है। धीरे-धीरे कंपनी अब इलेक्ट्रिक व्हीकल की तरफ अपनी रुझान बढ़ा रही है। इलेक्ट्रिक व्हीकल एक बड़ा उदाहरण महिंद्रा खुद है क्योंकि 2025 तक वह तकरीबन 4 से 5 ऐसे मॉडल निकल रहा है जो इलेक्ट्रिक व्हीकल की दुनिया में एक क्रांति लेकर आएगा।
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सवाल- बदलते तकनीक के साथ प्लांट को लाना भी बहुत जरूरी है। 15-20 साल पहले जब कोई विदेशी निवेशक भारत में आते थे तो उनका कहना था वह भारत में प्लांट तो लगाना चाहते हैं पर कई सारे दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पर पिछले कुछ सालों में सरकार ने जमकर इस पर निवेश किया है, तो इससे कहां और किस कब फायदा हो रहा है
जवाब- इसका कारण पहले कास्ट ऑफ़ लॉजिस्टिक्स हाई होने का था। जो कि अब कास्ट ऑफ़ लॉजिस्टिक्स बहुत कम हो चुका है। भारत में पिछले 5 सालों में तकरीबन 600% का इंटरेस्ट एलोकेशन हुआ है। इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार काफी ज्यादा फोकस कर रही है जो पहले एक प्रतिशत हुआ करता था वह अब 4% की ओर से बढ़ रहा है। उसे इंफ्रास्ट्रक्चर से नई सड़क बनी है नए-नए पोर्ट्स सही तमाम कई चीज बन रही है। कई नए-नए असेट्स आ रहे हैं, असेट्स को मोनेटाइज किया जा रहा है। कई नए-नए प्राइवेट सेक्टर ए रहे हैं। ऑपरेशन मेंटेनेंस काफी बेहतर हुआ। मैं खुद कई बार यूरोप गया हूं तो मुझे लगता है भारत की एक्सप्रेसवे से पहले से काफी ज्यादा बेहतर हुआ है सिर्फ एक्सप्रेस वे नहीं बल्किएयरपोर्ट्स में भी काफी बदलाव आया है। मैं बार-बार यह कह रहा हूं कि भारत में जो अपने इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश किया है यह लॉन्ग टर्म में काफी ज्यादा अच्छा रिजल्ट देगा। मैन्युफैक्चरिंग में जो इसका रिटर्न मिलेगा वह काफी ज्यादा बेहतर होगा।
सवाल- आपने कई क्षेत्र गिनाये जिन में भारत काफी आगे बढ़ा है, इंफ्रास्ट्रक्चर के तौर पर उत्तर प्रदेश के जेवर में बहुत बड़ा एयरपोर्ट बन रहा है उसके कारण भी डेवलपमेंट में काफी बदलाव नजर आएंगे और सरकार की ओर से शुरुआत की गई कार्यक्रम को 10 साल पूरे हो चुके हैं। आपको क्या लगता है और हम आने वाले दिनों में कितनी प्रगति कर सकते हैं
जवाब- आने वाले दिनों में भारत इसमें और काफी ज्यादा प्रगति करने वाला है क्योंकि दुनिया में इस वक्त बहुत डिस्ट्रक्शन हो रहा है और वह हो रहा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वह हो रहा है साइबर सिक्योरिटी की वजह से इसमें और एक मुख्य कारण होने का है इंडस्ट्री 4.0 का। टेक्नोलॉजी के लिए लीव फ्रॉक होना बहुत आवश्यक है। जो देश टेक्नोलॉजी को जमकर आगे बढ़ेगा वह दुनिया में नंबर वन रहेगा। जैसे टाटा ने इलेक्ट्रिक व्हीकल पर जंप किया है, इस तरह अगर हम ग्रीन हाइड्रोजन पर इस तरह हमने सेमीकंडक्टर पर डंप किया। जिस तरीके से हमने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम किया है अगर वैसे ही हर फील्ड पर करते रहे तो जरूर हम बड़ी कंपनी जैसे जियो और एयरटेल में जैसे अपने साइज और स्केल को बढ़ाया है अगर वैसे ही बढ़ते रहे तो जरूर एक दिन हम हर फील्ड में कामयाब रहेंगे। भारत में डाटा कंजप्शन का कॉस्ट काफी ज्यादा कम है, इन सारे नए क्षेत्रों में साइज और स्केल काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है।
सवाल- एक चीज काफी ज्यादा कहीं जाती है कि चीन का मुकाबला हम मैन्युफैक्चरिंग में करना चाह रहे हैं क्योंकि मैन्युफैक्चरिंग में चीन की इकोनॉमी काफी ज्यादा बढ़ी है। क्या हमारा रास्ता चीन का रास्ता है या हमने अपना खुद का रास्ता बनाया है।
जवाब- लोग मैन्युफैक्चरिंग तो करते थे सभी देश अपने-अपने स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग एक्सपोर्ट और इंपोर्ट का काम करते हैं। चीन की इकोनॉमी एक हाई कास्ट इकोनामी बन चुकी है। वह भी कई क्षेत्र को छोड़ेंगे और हाईटेक में जाने की कोशिश करेंगे। अगर हमें और ज्यादा आगे बढ़ाना है तो हम सीधे हाईटेक टेक्नोलॉजी का उपयोग करेंगे तभी हम आगे बढ़ पाएंगे। जैसे हमने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में किया। हमें जरूरी नहीं है कि हमें ट्रेडिशनल रूट को ही अपनाये । हम अपना रास्ता खुद निकाले। हम सर्विसेज सेक्टर में भी ग्रोथ करेंगे हम हाईटेक मैन्युफैक्चरिंग में भी ग्रोथ करेंगे। हम अपना अर्बन और रूरल दोनों को स्मार्ट बनाएं। हम अपने डिजिटल को भी अच्छे से उपयोग करें और एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी को भी ज्यादा बढ़ाएंगे। इंडिया का एक यूनिक मॉडल बनाकर निकलेगा।