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BT Bazaar Analysis: क्या क्रिप्टो का रेगुलेशन करेगा भविष्य का रास्ता साफ?

क्रिप्टो एसेट पर इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड और FSB की तरफ से जो सिंथेसिस नोट दिया गया है, उसमें नई दिल्ली घोषणापत्र में स्वागत किया गया और इसके बाद ऐसी उम्मीद है कि भारत क्रिप्टो एसेट्स के रेगुलेशन पर व्यापक काउंसलिंग और चर्चा करेगाहै। अजय सेठ ने ये भी साफ किया है कि चूंकि क्रिप्टो-करेंसी पर बहुपक्षीय स्तर पर सहमति है और नेताओं का समर्थन है, इसलिए अब हम इस पर स्टडी करेंगे और उसके मुताबिक अपनी पॉलिसी बनाएंगे।

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BT Bazaar Analysis: क्या क्रिप्टो का रेगुलेशन करेगा भविष्य का रास्ता साफ?
BT Bazaar Analysis: क्या क्रिप्टो का रेगुलेशन करेगा भविष्य का रास्ता साफ?

पूरी दुनिया के क्रिप्टो निवेशकों और एक्सचेंजों की जिस बात पर नजर रही वो था G20 में क्रिप्टो का भविष्य क्या तय होता है? दुनिया के 20 देश क्रिप्टो के नियमों को लेकर क्या फैसला किया है? क्या क्रिप्टो को लेकर आम सहमति बन गई है? किस तरह के रेग्युलेशन पर देश अब काम करना शुरू करेंगे? तमाम सवालों के जवाब आपको यहां मिलेंगे।

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G20 में दिल्ली डिक्लेरेशन पर सभी देशों की सहमति बनी। जिसमें एक बड़ा मुद्दा क्रिप्टो के रेग्युलेशन का भी था। तो खबर ये है कि ग्लोबल लीडर्स इस बात पर सहमत हुए कि क्रिप्टो इको-सिस्टम में तेजी से हो रहे जोखिमों पर निगरानी के लिए वैश्विक कानून की जरूरत है। यहां तक के इकोनॉमिक अफेयर सेक्रेटरी अजय सेठ ने भी ये संकेत दिए हैं कि क्रिप्टो एसेट पर इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड और FSB की तरफ से जो सिंथेसिस नोट दिया गया है, उसमें नई दिल्ली घोषणापत्र में स्वागत किया गया और इसके बाद ऐसी उम्मीद है कि भारत क्रिप्टो एसेट्स के रेगुलेशन पर व्यापक काउंसलिंग और चर्चा करेगाहै। अजय सेठ ने ये भी साफ किया है कि चूंकि क्रिप्टो-करेंसी पर बहुपक्षीय स्तर पर सहमति है और नेताओं का समर्थन है, इसलिए अब हम इस पर स्टडी करेंगे और उसके मुताबिक अपनी पॉलिसी बनाएंगे। 

यानि की दुनिया की बड़ी एजेंसियां क्रिप्टो पर डाटा इकट्ठा करेंगी और कोशिश की जाएगी कि कानून में यूनिफॉर्मेटी लाई जाए यानि की हर देश में क्रिप्टो को लेकर अलग-अलग कानून न हो। जैसे कि मौजूदा वक्त देखा भी जा रहा है कि भारत में कड़े कानूनों के चलते क्रिप्टो निवेशकों और एक्सचेंजों को दुबई शिफ्ट होते देखा गया है। खबरों के मुताबिक अगले साल क्रिप्टो के नियमों पर स्थिति काफी हद तक साफ हो जाएगी। यहां तक के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G20 शिखर सम्मेलन के दौरान कहा कि क्रिप्टोकरेंसी सामाजिक व्यवस्था, मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता के लिए एक नया विषय है और इसे रेगुलेट करने के लिए ग्लोबल स्टैंडर्ड की मांग की। 

इससे पहले भी वित्तमंत्री ने कहा कि कॉमन क्रिप्टो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क पर G20 देश सहमत हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत G20 के जरिए निर्धारित मिनिमम बेसिक रेगुलेटरी थ्रेसहोल्ड से ज्यादा क्रिप्टो-एसेट का सख्त रेगुलेशन चुन सकता है और इस मामले पर निर्णय भारतीय रिजर्व बैंक समेत सभी हितधारकों से परामर्श करने के बाद सरकार द्वारा लिया जाएगा। 

आपको बता दें कि इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बोर्ड ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अपने सुझाव दिए हैं। सिंथेसिस पेपर में IMF और FSB ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी एसेट्स पर बैन नहीं बल्कि उन्हें रेगुलेट किया जाना चाहिए। IMF-FSB ने क्रिप्टो को लीगल टेंडर देने को खारिज कर दिया है। डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि क्रिप्टो को लीगल टेंडर नहीं माना जाना चाहिए। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में इस पर किस तरह के रेग्युलेशन सामने आते हैं।

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