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Israel-Hamas Conflict: भारत में भी रहता है यहूदी समुदाय, जानिए रोचक बातें

यहूदियों को भारत से मसाले और रेशम चाहिए था। बदले में वे सोना देने को तैयार थे। साल 1940 के दौरान भारत में इनकी संख्या करीब 50 हजार थी। देश में तब आजादी के लिए संघर्ष चल रहा था.।इसी दौर में ज्यादातर यहूदी अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम और इजरायल की तरफ जाने लगे।

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Israel-Hamas Conflict: भारत में भी रहता है यहूदी समुदाय, जानिए रोचक बातें
Israel-Hamas Conflict: भारत में भी रहता है यहूदी समुदाय, जानिए रोचक बातें

भारत में भी यहूदी समुदाय की आबादी रहती है। आज से करीब 3 हजार साल पहले यहूदियों ने केरल के मालाबार तट से भारत में एंट्री ली थी। उस दौर का यहूदी राजा सोलोमन, जिसे सुलेमान भी कहा जाता था, हिंदुस्तान के साथ व्यापार में खासी दिलचस्पी रखता। यहूदियों को भारत से मसाले और रेशम चाहिए था। बदले में वे सोना देने को तैयार थे।  साल 1940 के दौरान भारत में इनकी संख्या करीब 50 हजार थी। देश में तब आजादी के लिए संघर्ष चल रहा था.।इसी दौर में ज्यादातर यहूदी अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम और इजरायल की तरफ जाने लगे।

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बेने इजराइल- इसका मतलब है इजराइल के बच्चे. ये करीब 22 सौ साल पहले जुडिया से भारत आए शरणार्थी हैं। तब वहां रोमन शासक आ गए थे, और मूल निवासियों को परेशान किया हुआ था। भारत पहुंचे रिफ्यूजी महाराष्ट्र में जाकर बस गए। अब भी इस समुदाय के करीब साढ़े 3 हजार लोग मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई इलाकों में रहते हैं। ये भारत में इनकी सबसे बड़ी आबादी है।

कोचीन के यहूदी

ये टुकड़ा भारत कैसे और कब आया, इसपर इतिहासकार अलग-अलग बातें करते हैं। ज्यादातर का मानना है कि ये लोग व्यापार के लिए मालाबार तट से आए थे, और यहीं बस गए. धीरे-धीरे इन्होंने हिब्रू भाषा के साथ लोकल भाषा भी सीख ली और मलयालम भी तेजी से बोलने लगे। अब यहां लगभग 100 यहूदी ही होंगे, जबकि बाकी लोग इजरायल पलायन कर चुके हैं।

एक समूह बगदादी यहूदियों का 

ये भी व्यापार के इरादे से हिंदुस्तान आए, लेकिन अपने यहां चलती उथल-पुथल की वजह से यहीं ठहर गए. ज्यादातर लोग 18वीं सदी में मुंबई में बसे। इन्होंने तेजी से लोकल भाषाएं सीखीं और व्यापार में आगे निकल गए. हालांकि ये दूसरी कम्युनिटी से मेलजोल कम ही रखते हैं।

हिंदुस्तानी यहूदी कौन हैं 

चौथा ग्रुप हिंदुस्तानी यहूदियों का है, जिन्हें बेने एफ्रेम और बेने मेनाश कहा जाता है. बेने मेनाश को नॉर्थ-ईस्ट इंडियन यहूदी भी कहते हैं। ये मिजोरम और मणिपुर में बसे हुए हैं। वहीं बेने एफ्रेम आंध्रप्रदेश के रहने वाले हैं। ये लोग खुद को तेलुगु ज्यू भी मानते हैं. इनका यकीन है कि इनके पुरखे काफी पहले भारत आए, और यहीं बस गए. हालांकि इजरायल से इनका सीधा कनेक्शन लगभग नहीं के बराबर है।