
Delhi Service Bill संसद में पेश, अमित शाह बोले, नेहरू, पटेल, अंबेडकर भी थे पूर्ण राज्य के खिलाफ
शाह ने कहा कि 1993 में से मुद्दा है। लेकिन कभी केंद्र और राज्य सरकार के बीच में परेशानी नहीं आई। केंद्र में कभी बीजेपी की सरकार रही, तो राज्य में कांग्रेस की रही। सेंट्रल में कभी कांग्रेस की रही तो दिल्ली में बीजेपी की रही। शाह ने कहा, लेकिन साल 2015 में दिल्ली में एक ऐसी पार्टी सत्ता में आई जिसका मकसद सिर्फ लड़ना है, सेवा करना नहीं।

दिल्ली सेवा विधेयक मंगलवार को संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में पेश किया गया। इसे आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 नाम दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री Amit Saha ने बिल को पेश करते हुए कांग्रेस को बिल का समर्थन करने के लिए कहा। अमित शाह ने कहा, यह अध्यादेश Supreme Court के आदेश को संदर्भित करता है जो कहता है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है।
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शाह ने कहा कि 1993 में से मुद्दा है। लेकिन कभी केंद्र और राज्य सरकार के बीच में परेशानी नहीं आई। केंद्र में कभी बीजेपी की सरकार रही, तो राज्य में कांग्रेस की रही। सेंट्रल में कभी कांग्रेस की रही तो दिल्ली में बीजेपी रही। शाह ने कहा, लेकिन साल 2015 में दिल्ली में एक ऐसी पार्टी सत्ता में आई जिसका मकसद सिर्फ लड़ना है, सेवा करना नहीं। समस्या ट्रांसफर पोस्टिंग करने का अधिकार हासिल करना नहीं, बल्कि अपने बंगले बनाने जैसे भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए सतर्कता विभाग पर कब्जा करना है। उधर, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने दिल्ली सेवा बिल पर यू टर्न ले लिया है। पार्टी का कहना है कि वह लोकसभा और राज्यसभा में वोटिंग के दौरान बायकॉट करेगी। इससे पहले बसपा ने दिल्ली सेवा बिल पर केजरीवाल की पार्टी AAP को समर्थन देने की बात कही थी। उधर, ओडिशा की सत्ताधारी बीजेडी और टीडीपी ने इस बिल पर केंद्र सरकार का समर्थन करने का ऐलान किया है। इससे पहले वाईएसआर भी केंद्र को समर्थन देने की बात कह चुकी है।
