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Siachen में 15,500 फीट की ऊंचाई पर लगा पहला Mobile Tower, Anand Mahindra ने किया Tweet, भारतीय सेना के जवानों के लिए बड़ी खबर

1984 में भारतीय सेना को जानकारी मिली कि पाकिस्तानी सेना इस इलाके को कब्जे में लेने की कोशिश कर रही है, जिसके बाद 13 अप्रैल 1984 को भारतीय सेना ने अपनी फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स की स्पेशल टुकड़ी को इस इलाके में तैनात कर दिया।

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टावर सियाचिन वॉरियर्स ने BSNL की मदद से 6 अक्टूबर को इंस्टॉल किया है
टावर सियाचिन वॉरियर्स ने BSNL की मदद से 6 अक्टूबर को इंस्टॉल किया है

महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन Anand Mahindra ने लद्दाख के Siachen में 15,500 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर लगे पहले मोबाइल टावर को चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर जितना अहम बताया है। ये टावर सियाचिन वॉरियर्स ने BSNL की मदद से 6 अक्टूबर को इंस्टॉल किया है। इसकी मदद से जवानों को मोबाइल कनेक्टिविटी मिल सकेगी। आनंद महिंद्रा ने X पर लिखा, 'सियाचिन में इंस्टॉल किए गए पहले मोबाइल टावर की ये तस्वीरें देवुसिंह ने शेयर की है। हमारी अशांत दुनिया में ये एक छोटी सी घटना है, लेकिन सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में हर दिन अपनी जान की बाजी लगाने वाले जवानों के लिए यह डिवाइस विक्रम लैंडर जितना अहम है। वे अब अपने परिवारों से कनेक्टेड रहेंगे। मेरे लिए यह सचमुच बहुत बड़ी खबर है। सियाचिन ग्लेशियर काराकोरम रेंज का सबसे लंबा ग्लेशियर है। इसकी लंबाई 75 Km लंबा है।

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सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सबसे ज्यादा ऊंचा बैटलफील्ड भी है। यह भारत-पाक नियंत्रण रेखा के पास स्थित है। सियाचिन ग्लेशियर भारत-पाक बॉर्डर के पास करीब 78KM में फैला है। इसके एक तरफ पाकिस्तान, दूसरी तरफ अक्साई चीन है। 1972 के शिमला समझौते में सियाचिन को बेजान और बंजर बताया गया था। हालांकि तब भारत-चीन के बीच इसके सीमा का निर्धारण नहीं हुआ था। 1984 में भारतीय सेना को जानकारी मिली कि पाकिस्तानी सेना इस इलाके को कब्जे में लेने की कोशिश कर रही है, जिसके बाद 13 अप्रैल 1984 को भारतीय सेना ने अपनी फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स की स्पेशल टुकड़ी को इस इलाके में तैनात कर दिया।