TCS, Infosys, HCL Tech, Wipro, TechM: किसे खरीदें और किसे बेचें?
सिस्टमैटिक्स ने कहा कि आईटी सर्विसेज कंपनियों ने मांग में सुस्ती, डील रैंप-अप में देरी और मैन्युफैक्चरिंग व रिटेल वर्टिकल्स की कमजोरी के चलते सॉफ्ट नतीजे दर्ज किए।

IT Stocks: सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने भारतीय आईटी कंपनियों के जून तिमाही (1QFY26) नतीजों की समीक्षा में कहा है कि यह तिमाही कमजोर रही, लेकिन मजबूत ऑर्डर बैकलॉग सेक्टर को सहारा दे रहा है। छह कंपनियों के कवरेज में ब्रोकरेज ने सिर्फ टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) पर BUY रेटिंग दी है।
सिस्टमैटिक्स ने कहा कि आईटी सर्विसेज कंपनियों ने मांग में सुस्ती, डील रैंप-अप में देरी और मैन्युफैक्चरिंग व रिटेल वर्टिकल्स की कमजोरी के चलते सॉफ्ट नतीजे दर्ज किए। खर्च भी दबाव में रहा क्योंकि क्लाइंट्स ग्लोबल मैक्रो और जियोपॉलिटिकल अनिश्चितताओं को लेकर सतर्क बने रहे।
ब्रोकरेज ने TCS को टॉप पिक बताया और कहा कि कंपनी की मजबूत डील पाइपलाइन और खर्च में रिकवरी ग्रोथ को सपोर्ट करेगी। TCS फिलहाल अपने लंबे समय के औसत वैल्यूएशन से डिस्काउंट पर ट्रेड हो रहा है।
हालांकि, इंफोसिस ने पहली तिमाही में बेहतर प्रदर्शन दिखाया और अमेरिकी डॉलर आधार पर 4.5% तिमाही-दर-तिमाही ग्रोथ दर्ज की, जबकि TCS का 0.6% डिग्रोथ रहा। HCL टेक्नोलॉजीज और इंफोसिस ने अपनी रेवेन्यू गाइडेंस का निचला स्तर बढ़ाया है, जिससे मांग में और गिरावट की आशंका नहीं दिखती।
बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस (BFSI) वर्टिकल लचीला रहा, जबकि मैन्युफैक्चरिंग, रिटेल और हेल्थकेयर दबाव में रहे। इस बीच, अमेरिकी बैंकों का टेक खर्च CY25 की दूसरी तिमाही में रिकॉर्ड $9.7 अरब तक पहुंचा, जो 7% वार्षिक वृद्धि है। इससे BFSI क्षेत्र में धीरे-धीरे रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं, जो भारतीय आईटी कंपनियों के लिए सकारात्मक हो सकता है।
कंपनियों ने कर्मचारियों की सैलरी रोकने और खर्चों को कम करने की कोशिश की, फिर भी उनके मुनाफे पर दबाव बना रहा। ब्रोकरेज फर्म्स का मानना है कि जब अमेरिका का फेडरल रिजर्व बैंक ब्याज दरें कम करेगा, तो टेक्नोलॉजी पर होने वाला खर्च बढ़ सकता है।
सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का दांव
- TCS पर Buy (टारगेट: ₹3,864)
- इंफोसिस, विप्रो, HCL टेक, सोनाटा सॉफ्टवेयर पर Hold
- टेक महिंद्रा पर Sell (टारगेट: ₹1,112)