Share Market से अचानक इन निवेशकों ने क्यों बनाई दूरी?
भारतीय शेयर बाजार में अब 30 साल से कम उम्र के युवा निवेशकों का दबदबा बढ़ता जा रहा है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी NSE के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2018 से अगस्त 2024 के बीच 30 साल से कम उम्र के इंवेस्टर्स की हिस्सेदारी में जोरदार इजाफा हुआ है।

NSE के आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो मार्च 2018 में 30 साल से कम उम्र के निवेशकों की संख्या कुल निवेशकों का केवल 22.9 परसेंट थी। जबकि अगस्त 2024 तक इनकी हिस्सेदारी बढ़कर 40 फीसदी हो चुकी है। ये आंकड़ा साफ जाहिर कर रहा है कि शेयर बाजार में युवा निवेशकों की भागीदारी में किस हिसाब से तेजी हो रही है। अब जब युवा निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ी रही है तो फिर ये भी तय है कि दूसरे आयु वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी अब शेयर बाजार में घट रही है। एक तरफ जहां 30 साल से कम उम्र के निवेशकों की संख्या में इजाफा हुआ है वहीं दूसरे एज ग्रुप के लोगों की हिस्सेदारी या तो घटी है या फिर स्थिर रही है।
क्या कहते हैं आंकड़े
-30 से 39 और 40 से 49 साल की उम्र के निवेशकों की हिस्सेदारी में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला है
-वहीं बड़े एज ग्रुप के लोगों की बाजार हिस्सेदारी में साफ तौर पर गिरावट देखी गई है
-डेटा से मिली जानकारी के मुताबिक 50 से 59 साल और 60 साल ये इससे ज्यादा उम्र के निवेशकों की बाजार हिस्सेदारी कम हो गई है
-60 साल से ज्यादा उम्र के निवेशकों की हिस्सेदारी मार्च 2018 के 12.7 परसेंट से घटकर अगस्त 2024 में 7.2 फीसदी रह गई है
बड़ी उम्र के शेयर मार्केट इंवेस्टर्स की हिस्सेदारी घटने से अब शेयर बाजार निवेशकों की औसत उम्र भी घट गई है। NSE के आंकड़ों के मुताबिक निवेशकों की मीडियन एज मार्च 2018 में 38 साल थी जो मार्च 2024 में घटकर 32 साल हो गई है। इसी तरह निवेशकों की मीन एज मार्च 2018 के 41.2 साल से घटकर अगस्त 2024 में 35.8 साल हो गई है।
मीडियन एज औसत उम्र को कहा जाता है जबकि मीन एज मध्य आबादी की उम्र है यानी आधे इससे बड़े हैं और आधे इससे कम उम्र के हैं। कुल मिलाकर उम्र का ये ट्रेंड बता रहै है कि शेयर बाजार में निवेश करना अब युवाओं में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है जबकि बड़ी आयु वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी धीरे-धीरे कम हो रही है।