अगर ऐसे हालात बने तो Share Market में आ सकती है गिरावट?
सोमवार की भारी गिरावट के बाद शेयर मार्केट संभलता हुआ दिख रहा है। हालांकि अभी पूरी तरह से मजबूती नहीं दिख रही है। इस बीच बाजार के लिए एक बहुत बड़ी चिंता सामने आती हुई दिख रही है।

सोमवार की भारी गिरावट के बाद शेयर मार्केट संभलता हुआ दिख रहा है। हालांकि अभी पूरी तरह से मजबूती नहीं दिख रही है। इस बीच बाजार के लिए एक बहुत बड़ी चिंता सामने आती हुई दिख रही है। ये टेंशन अगर बढ़ी तो बाजार के लिए नेगेटिव हो सकता है। शेयर में नई घबराहट पैदा हो सकती है। आइये समझते हैं, मामला क्या है?
रिटेल निवेशकों की संख्या कोविड के बाद तेजी
जैसा कि आप सब जानते हैं कि बाजार में रिटेल निवेशकों की संख्या कोविड के बाद तेजी से बढ़ी है। मौजूदा समय में देश के शेयर बाजार में निवेशकों के नंबर्स करीब 18.50 करोड़ पहुंच चुके हैं। वहीं दूसरी ओर म्युचुअल फंड्स में पैसा लगाने वालों की संख्या 4.5 करोड़ से ज्यादा पहुंच चुकी है। अब आप कहेंगे कि ये तो अच्छी बात है टेंशन किस बात की। दरअसल घरबाहट इस बात की नहीं कि इन दोनों में निवेश करने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। घबराहट तो इस बात की है कि इन दोनों में ही जिस तरह से निवेश करने का चलन बढ़ रहा है, वो कुछ अलग सिग्नल दे रहा है। उसकी वजह से देश के बैंकों की सेहत पर लगातार असर देखने को मिल रहा है। बैंकों के लिए शेयर बाजार और म्युचुअल फंड लगातार बड़ी टेंशन बनकर उभर रहा है, क्योंकि देश के लोग जितना ज्यादा पैसा कैपिटल मार्केट में इंवेस्ट कर रहे हैं। उसके मुकाबले बैंक डिपॉजिट्स स्कीम्स में नहीं। इसका मतलब ये हुआ कि बैंकों में पैसों का डिपॉजिट घट रहा है। जो बैंकों की कोर कमाई है।
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म्यूचुअल फंड निवेशकों ने इसमें 21 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश
हाल ही रिपोर्ट के मुताबिक म्यूचुअल फंड निवेशकों ने इसमें 21 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया है। वहीं दूसरी ओर बैंकों की डिपॉजिट्स स्कीम में डिपॉजिट्स उस तेजी के साथ नहीं बढ़ रहे हैं। SBI और RBI दोनों ने इस बार पर काफी गहरी चिंता जताई है.
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देश का रिटेल पैसा बैंक डिपॉजिट्स की जगह अल्टरनेटिव्स रूट्स की ओर मूव
इतना ही नहीं RBI गवर्नर नेइस बात की खुद तस्दीक की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से देश का रिटेल पैसा बैंक डिपॉजिट्स की जगह अल्टरनेटिव्स रूट्स की ओर मूव कर रहा है। उससे देश के बैंकों के लिए काफी बड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। आइए और क्लैरिटी से समझते हैं आखिर देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक SBI अपनी रिपोर्ट में और देश का बैंकिंग रेगुलेटर ऐसा क्यों कह रहा है?
बैंकों को फंडिंग के मोर्चे पर कई चुनौतियों और समस्या
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर शक्तिकांत दास इस मोर्चे पर चिंता व्यक्त कहा कि मौजूदा दौर में रिटेल कस्टमर्स का रुख अल्टरनेटिव्स इंवेस्टमेंट की ओर देखने को मिल रहा है. जिसकी वजह से बैंकों को फंडिंग के मोर्चे पर कई चुनौतियों और समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. यही वजह है कि देश का क्रेडिट ग्रोथ तो लगातार बढ़ रहा है, लेकिन डिपॉजिट ग्रोथ में वैसी तेजी देखने को नहीं मिल रही है. जिसकी वजह से बैंकों को लोन की बढ़ी डिमांड को पूरा करने के लिए शॉर्ट-टर्म नॉन-रिटेल डिपॉजिट्स और लाइबिलिटी के दूसरे रिसोर्स का सहारा लेना पड़ रहा है.
बैंकों के क्रेडिट ग्रोथ में तो इजाफा
RBI गवर्नर के मुताबिक ये पूरा प्रोसेस बैंकिंग सिस्टम की स्ट्रक्चरल लिक्विडिटिली की परेशानियों और कमियों को उजाकर कर सकता है. आरबीआई गवर्नर ने बैंकों को सलाह देते हुए कहा है कि बैंकों अब अपने ब्रॉडर नेटवर्क का फायदा उठाना चाहिए और ऐसे प्रोडक्ट्स मार्केट में लॉन्च करने चाहिए ताकि रिटेल कस्टमर बैंकों में डिपॉजिट करने के लिए ज्यादा से ज्यादा आकर्षित हो सकें। वहीं दूसरी ओर सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कुछ इसी तरह की चिंता जाहिर की है, जैसी RBI कह रहा है. एसबीआई की रिपोर्ट कहती है कि बैंकों के क्रेडिट ग्रोथ में तो इजाफा हो रहा है, लेकिन डिपोजिट्स में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है।
NIFTY PSU BANK , Nifty Private Bank
अब निवेशक बैंक डिपॉजिट्स या यूं कहें कि बैंकिंग स्कीम्स में निवेश करने की जगह म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार में निवेश करने को तरजीह दे रहे हैं। हाल ही में म्यूचुअल फंड में निवेशकों ने 21 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया है। इस इंवेस्टमेंट की ग्रोथ रेट भी ज्यादा है। वहीं दूसरी ओर देश के बैंकों के डिपॉजिट्स की ग्रोथ में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. NIFTY PSU BANK को देखें तो एक महीने में 6 प्रतिशत और 3 महीने में 3 प्रतिशत नेगेटिव रिटर्न दे चुका है। वहीं Nifty Private Bank को देखें तो एक महीने में करीब 4 प्रतिशत नीचे जा चुका है। ऐसे में अगर डिपॉजिट की स्थिति और खराब हुई तो बाजार में टेंशन और बढ़ सकती है।