अब आम आदमी को चुपके से लगेगा जोर झटका!
सुबह की चाय और बिस्किट समेत तेल और साबुन जैसे रोजमर्रा के सामानों पर अब महंगाई की तलवार लटक रही है। दरअसल फ़ास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स यानी FMCG कंपनियां अब खाद्य महंगाई दर और लागत में बढ़ोतरी के चलते प्राइस हाइक करने के साथ ही छोटे पैक्स के साइज कम करने पर विचार कर रही हैं।

सुबह की चाय और बिस्किट समेत तेल और साबुन जैसे रोजमर्रा के सामानों पर अब महंगाई की तलवार लटक रही है। दरअसल फ़ास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स यानी FMCG कंपनियां अब खाद्य महंगाई दर और लागत में बढ़ोतरी के चलते प्राइस हाइक करने के साथ ही छोटे पैक्स के साइज कम करने पर विचार कर रही हैं। FMCG सेक्टर की देश की दिग्गज कंपनियों में शुमार हिंदुस्तान यूनिलीवर, गोदरेज, मैरिको, आईटीसी जैसी कंपनियों ने ग्राहकों को महंगाई का झटका देने का मूड बना लिया है। इसके असर से खाने-पीने के सामान, साबुन, टूथपेस्ट, और ग्रोसरी आइटम्स की कीमतें बढ़ सकती हैं। कंपनियों ने तिमाही नतीजों में मुनाफा घटने के बाद ये फैसला किया है।
FMCG कंपनियों का कहना है कि पाम ऑयल, कॉफी, और कोको जैसे कच्चे माल के दाम में भारी उछाल आया है। इससे प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ गई है और इसको बैलेंस करने के लिए कंपनियां धीरे-धीरे प्राइस बढ़ाने पर मजबूर हैं। खराब मौसम ने भी चाय और नमक की लागत को बढ़ाया है। लेकिन इस महंगाई का सबसे बड़ा असर छोटे पैक्स पर पड़ा है। FMCG सेक्टर में 5 और 10 रुपए के प्राइस पॉइंट्स की हिस्सेदारी काफी खास होती है। लेकिन अब बढ़ती कॉस्ट के चलते कंपनियां इन छोटे पैक्स में बदलाव कर रही हैं।
बड़े बदलाव
20 रुपए का नोट नया 10 का नोट बनता जा रहा है। कई कंपनियां अपने मार्जिन को बचाने के लिए पैक साइज को कम कर रही हैं। पहले 5 रुपए के पैक का मार्केट शेयर 35 फीसदी था जो अब घटता जा रहा है, अब कंपनियां 20 रुपए के प्राइस पॉइंट पर भी ध्यान दे रही हैं। कंपनियों के मुताबिक अब 5 रुपए के पैक को बनाये रखना तकरीबन नामुमकिन हो गया है,और अब वो 7 रुपए और 10 रुपए पर ध्यान दे रहे हैं।
इसके अलावा कंपनियों ने शहरी और ग्रामीण खपत में अंतर पर भी चिंता जताई है। हाल ही में शहरी खपत में गिरावट आई है जबकि ग्रामीण इलाकों में बिक्री ग्रोथ की स्पीड धीमी है। महंगाई ने लोगों को जरूरी चीजों पर खर्च करने पर मजबूर किया है जिससे डिस्क्रीशनरी स्पेंड घट रहा है।
हालांकि कंपनियां इस स्थिति को अस्थायी झटका मान रही हैं। उनका कहना है कि अच्छी फसल की उम्मीद, ग्रामीण क्षेत्र में सरकार का फोकस और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार के चलते भविष्य में खपत में इजाफा हो सकता है। महंगाई की इस मार में ये देखना होगा कि ये कीमतें कहां तक जाएंगी और ग्राहकों के बजट पर इसका क्या असर पड़ेगा। क्या इस स्थिति में सरकार कुछ कदम उठाएगी या FMCG कंपनियों के लिए ये बढ़ी कीमतें ही नया नॉर्मल बन जाएंगी?
डिस्क्लेमर: यह जानकारी केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और इसे निवेश सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। निवेश निर्णय लेने से पहले एक वित्तीय सलाहकार से परामर्श करने की सिफारिश की जाती है।

