रक्षा मंत्रालय से इस डिफेंस कंपनी को मिला बड़ा लाइसेंस! स्टॉक में तेजी - आपका दांव है?
यह लाइसेंस रक्षा मंत्रालय (MoD) के लिए वर्तमान और भविष्य की मैन्युफैक्चरिंग परियोजनाओं में भाग लेने के लिए अनिवार्य है। कंपनी ने बताया कि यह लाइसेंस जारी होने की तारीख से 15 वर्षों तक वैलिड रहेगा।

एयरोस्पेस और डिफेंस सेक्टर की कंपनी, अपोलो माइक्रो सिस्टम्स लिमिटेड (Apollo Micro Systems Ltd) ने आज अपने लेटेस्ट एक्सचेंज फाइलिंग में एक जरूरी लाइसेंस मिलने की जानकारी दी है।
इस खबर के बाद से स्टॉक आज हरे निशान पर कारोबार कर रहा है। स्टॉक सुबह 11:49 बजे तक एनएसई पर 1.12% या 3 रुपये चढ़कर 271.30 रुपये पर कारोबार कर रहा था तो वहीं बीएसई पर स्टॉक 0.91% या 2.45 रुपये की तेजी के साथ 270.80 रुपये पर ट्रेड कर रहा था।
कंपनी ने आज अपने लेटेस्ट एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि उसे भारत सरकार के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) से इंडस्ट्रियल एक्सप्लोसिव्स और मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस की मंजूरी मिल गई है।
कंपनी को यह लाइसेंस मानवरहित हेलीकॉप्टर (Unmanned Aerial Systems) से जुड़े उपकरणों के निर्माण के लिए मिला है। इसके साथ ही कंपनी को Inertial Navigation Systems (INS) और Radar Equipment बनाने की भी अनुमति दी गई है। यह लाइसेंस रक्षा मंत्रालय (MoD) के लिए वर्तमान और भविष्य की मैन्युफैक्चरिंग परियोजनाओं में भाग लेने के लिए अनिवार्य है। कंपनी ने बताया कि यह लाइसेंस जारी होने की तारीख से 15 वर्षों तक वैलिड रहेगा।
कंपनी ने अपने फाइलिंग में बताया कि लाइसेंस मिलने के बाद अब वह कई तरह के मानवरहित हेलीकॉप्टर और UAS प्लेटफॉर्म विकसित कर रही है। कंपनी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पार्टनर्स के साथ मिलकर लॉजिस्टिक्स, डिलीवरी और अटैक-क्लास ड्रोन सिस्टम्स पर भी काम कर रही है। ये प्रोजेक्ट तय समय पर आगे बढ़ रहे हैं और अगले दो क्वार्टर्स में फील्ड ट्रायल शुरू होने की उम्मीद है।
कंपनी को INS बनाने की अनुमति मिलने के बाद वह MEMS-आधारित, FOG-आधारित और RLG-आधारित नेविगेशन सिस्टम्स विकसित कर रही है। इसके लिए जरूरी टेस्टिंग और कैलिब्रेशन उपकरणों की खरीद प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है ताकि अपडेटेड नेविगेशन सिस्टम्स की जांच और विकास तेजी से किया जा सके।
साथ ही, कंपनी को पूर्ण रडार उपकरण और उससे जुड़े सभी सबसिस्टम्स जैसे रडार असेंबली, सिग्नल प्रोसेसिंग यूनिट, एंटीना, ट्रांसमिट-रिसीव मॉड्यूल आदि बनाने की अनुमति भी मिल गई है।

