Fixed Vs Floating: इंटरेस्ट रेट सिलेक्शन को लेकर कन्फ्यूजन, जानें कौन-सा है आपके लिए बेस्ट
Fixed vs Floating Interest Rate: होम लोन लेते वक्त हमारे पास फिक्स्ड और फ्लोटिंग रेट में से कोई एक सेलेक्ट करना पड़ता है। ऐसे में कई बार कन्फ्यूजन रहती है कि इन दोनों में से कौन-सा ऑप्शन सही रहेगा। इस आर्टिकल में इसका जवाब जानते हैं।

होम लोन लेते समय फिक्स्ड और फ्लोटिंग ब्याज दरों (Fixed vs Floating Interest Rates) के बीच फैसला करना आसान नहीं होता। सही ऑप्शन चुनने के लिए इन दोनों के अंतर को समझना जरूरी है ताकि आप अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग के हिसाब से सही निर्णय ले सकें।
फिक्स्ड ब्याज दर
फिक्स्ड ब्याज दरों में आपकी मंथली किस्त (EMI) पूरी लोन टेन्योर में एक समान रहती हैं। यह उन लोगों के लिए बेहतर है जो अपनी फाइनेंशिल प्लानिंग में बैंलेंस्ड चाहते हैं और फ्यूचर की अनिश्चितताओं से बचना चाहते हैं। हालांकि, इस बैलेंस्ड के लिए लोनधारक को बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। दरअसल, फिक्स्ड ब्याज दरें आमतौर पर फ्लोटिंग दरों से 1 फीसदी से 2.5 फीसदी ज्यादा होती हैं। बैंक अपने रिस्क को कम करने के लिए ज्यादा ब्याज लेते हैं। लेकिन अगर मार्केट में इंटरेस्ट रेट घटती हैं, तो भी फिक्स्ड रेट वाले कस्टमर को ऊंची इंटरेस्ट रेट पर ही पेमेंट करना पड़ता है। इस वजह से वह सेविंग का लाभ नहीं उठा पाते हैं।
फ्लोटिंग ब्याज दर
फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट समय-समय पर बाजार के अनुसार बदलती रहती हैं। अगर इंटरेस्ट रेट कम होती हैं, तो आपकी EMI भी घट जाती है, जिससे आप सेविंग कर सकते हैं। आमतौर पर फ्लोटिंग रेट फिक्स्ड रेट से कम होती हैं, लेकिन इनमें उतार-चढ़ाव का रिस्क रहता है, जिससे फ्यूचर की EMI तय करना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, फ्लोटिंग रेट का एक बड़ा फायदा यह है कि इनपर प्री-पेमेंट चार्ज नहीं लगता, यानी आप बिना एकस्ट्रा चार्ज के अपने लोन का जल्द पेमेंट कर सकते हैं।
अगर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अपने रेपो रेट (Repo Rate) को घटाता है, तो बैंक और अन्य लोन देने वाली कंपनी या संस्थान (NBFC) भी फ्लोटिंग रेट को कम कर देते हैं, जिससे लोनधारक को फायदा मिलता है।
कैसे करें सही सिलेक्शन?
आपकी फाइनेंसियल कंडीशन, रिस्क उठाने की कैपेसटी और मार्केट की संभावनाओं पर निर्भर करता है कि आपके लिए कौन-सी इंटरेस्ट रेट सही होगी। फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट उन लोगों के लिए सही है जो EMI में स्थिरता चाहते हैं और इंटरेस्ट रेट के बढ़ने की संभावना को लेकर चिंतित हैं।
फ्लोटिंग रेट उन लोगों के लिए बेहतर हो सकती है जो इंटरेस्ट रेट में संभावित गिरावट का लाभ उठाना चाहते हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव के प्रति सहज हैं।
लोन अवधि का असर
लोन की अवधि (Loan Tenure) भी ब्याज दर के चयन में अहम भूमिका निभाती है। 3 से 10 साल वाले लोन के लिए फिक्स्ड ब्याज दर बेहतर मानी जाती है, क्योंकि इससे आपको EMI स्थिरता मिलती है। 20 से 30 साल वाले लोन के लिए फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि इस दौरान इंटरेस्ट रेट में उतार-चढ़ाव का फायदा मिलने की संभावना होती है।
होम लोन के लिए फिक्स्ड या फ्लोटिंग ब्याज दर चुनते समय अपनी फाइनेंशियल कंडीशन, लोन के टेन्योर और बाजार की संभावनाओं को ध्यान में रखें। अगर आपको स्थिरता पसंद है और आप रिस्क नहीं लेना चाहते, तो फिक्स्ड दर बेहतर है। वहीं, अगर आप इंटरेस्ट रेट में संभावित गिरावट का फायदा उठाना चाहते हैं और लचीलापन चाहते हैं, तो फ्लोटिंग दर सही ऑप्शन हो सकती है।