कंबोडिया में ट्रेनिंग, और निशाने पर हिंदी भाषी: चाइनीज साइबर ठगी गैंग का पर्दाफाश
साइबर अपराध की एक संगठित और अंतरराष्ट्रीय साजिश का खुलासा हुआ है, जिसमें चाइनीज गैंग हिंदी भाषी लोगों को ठगने के लिए सक्रिय था। यह गैंग भारतीय नागरिकों को नौकरी का झांसा देकर कंबोडिया बुलाता, वहां उन्हें साइबर ठगी की ट्रेनिंग देता और भारत लौटकर उनसे करोड़ों की ठगी करवाता।

साइबर अपराध की एक संगठित और अंतरराष्ट्रीय साजिश का खुलासा हुआ है, जिसमें चाइनीज गैंग हिंदी भाषी लोगों को ठगने के लिए सक्रिय था। यह गैंग भारतीय नागरिकों को नौकरी का झांसा देकर कंबोडिया बुलाता, वहां उन्हें साइबर ठगी की ट्रेनिंग देता और भारत लौटकर उनसे करोड़ों की ठगी करवाता।
हाल ही में हरियाणा के पलवल में साइबर क्राइम टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए इस गिरोह के 11 सदस्यों को गिरफ्तार किया। आरोपियों में चाइनीज नागरिकों की संलिप्तता के साथ-साथ कई भारतीयों के शामिल होने का भी पता चला है।
कैसे हुआ खुलासा?
यह मामला 23 अक्टूबर को तब सामने आया, जब पलवल के निवासी अनिल ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। अनिल ने बताया कि 19 अक्टूबर को उसे एक कॉल आया, जिसमें ठगों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया। ठगों ने मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे आरोप में गिरफ्तार करने की धमकी दी और उसे 72 घंटे के लिए डिजिटल रूप से 'अरेस्ट' कर लिया। इस दौरान ठगों ने जांच के बहाने अनिल से ₹88 लाख ट्रांसफर करवा लिए।
पुलिस ने शिकायत के बाद जांच शुरू की और उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार आरोपी और उनकी भूमिका
गिरफ्तार किए गए 11 आरोपियों में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के निवासी शामिल हैं:
उत्तर प्रदेश के आरोपी: अश्वनी उर्फ लुसी, सोनू कुमार पासवान, रजत वर्मा, उत्कर्ष, अविश, नीरज कुमार, संजीव कुमार, और शिवाजी मौर्या।
मध्य प्रदेश के आरोपी: मनोज, सचिन उपाध्याय और यश दुबे। इन आरोपियों ने भारतीय नागरिकों के बैंक खाते खरीदने और फर्जी सिम कार्ड का उपयोग कर ठगी करने की बात कबूल की है।
चाइनीज नागरिकों की संलिप्तता
पलवल के डीएसपी विशाल कुमार ने बताया कि जांच के दौरान चाइनीज नागरिकों की संलिप्तता उजागर हुई है।
ये चाइनीज नागरिक भारत में नौकरी दिलाने के बहाने भारतीयों को कंबोडिया भेजते थे। वहां उन्हें साइबर ठगी की विशेष ट्रेनिंग दी जाती थी। ठगी से कमाई गई राशि को चीन तक पहुंचाने के लिए यह रैकेट हाई-टेक तरीके अपनाता था। जांच में यह भी सामने आया है कि गैंग के सदस्य चीन, कंबोडिया, वियतनाम, नेपाल और दुबई जैसे देशों में बार-बार यात्रा कर चुके हैं।
ठगी का तरीका और बरामद सामान
इस गैंग ने अब तक करीब ₹70 करोड़ की ठगी को अंजाम दिया है।
पुलिस ने आरोपियों के पास से भारी मात्रा में सामान बरामद किया है:
31 मोबाइल फोन
5 एटीएम कार्ड
8 चेकबुक
फर्जी सिम कार्ड
नकदी
चार गाड़ियां (होंडा सिटी, टाटा सफारी, और दो सियाज कारें)।
देशभर में शिकायतें दर्ज
इस रैकेट के खिलाफ देश के अलग-अलग राज्यों में 101 शिकायतें और एफआईआर दर्ज हैं।
गैंग का मुख्य निशाना हिंदी भाषी राज्यों में रहने वाले लोग थे, जिनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, और हरियाणा शामिल हैं।
पुलिस की अपील
साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए पुलिस ने आम जनता से राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराने की अपील की है। इससे समय रहते ठगी के मामलों को रोका जा सकेगा।
पुलिस का कहना है कि ठगी से बचने के लिए अनजान कॉल्स पर सतर्क रहें और अपनी व्यक्तिगत या बैंकिंग जानकारी साझा करने से बचें।
यह मामला साइबर क्राइम के बढ़ते खतरे की ओर इशारा करता है और दिखाता है कि संगठित अपराध कैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालित हो रहा है। पुलिस ने इस गिरोह पर बड़ी कार्रवाई कर उनके नेटवर्क को तोड़ा है, लेकिन जनता की सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है।