
Devina Mehra से समझिए निवेश के फंडामेंटल, AI के जमाने में कैसे करती हैं निवेश
First Global की चेयरपरसन देविना मेहरा अक्सर ट्वीटर पर सक्रिय रहती हैं। देविना मेहरा अक्सर असेट अलोकेशन, मनी मैनेजमेंट के बारे में लोगों के साथ अपनी समझ को साझा करती हैं। हाल ही में हमने उनसे बात की और जानने कि कोशिश की, वो इन दिनों क्या पढ़ रही हैं, बाज़ार से लेकर असेट अलोकेशन को लेकर उनके क्या विचार हैं? प्रस्तुत हैं उनके साथ बातचीत के मुख्य अंश

First Global की चेयरपरसन देविना मेहरा अक्सर ट्वीटर पर सक्रिय रहती हैं। देविना मेहरा अक्सर असेट अलोकेशन, मनी मैनेजमेंट के बारे में लोगों के साथ अपनी समझ को साझा करती हैं। हाल ही में हमने उनसे बात की और जानने कि कोशिश की, वो इन दिनों क्या पढ़ रही हैं, बाज़ार से लेकर असेट अलोकेशन को लेकर उनके क्या विचार हैं? प्रस्तुत हैं उनके साथ बातचीत के मुख्य अंश

सवाल - सबसे पहले आपका स्वागत है बिजनेस टुडे बाजार में. हम आपके निवेश करने के तौर तरीकों के बारे में बात करेंगे लेकिन सबसे पहले मेरा सवाल ये है कि आपकी तीन सबसे फेवरेट किताबें कौन सी हैं और हाल ही में आपने राकेश झुनझुनवाला पर भी किताब पढ़ी? उसके बारे में भी बताइये.?
जवाब- तीन किताबों की बात करना तो मुश्किल हैं, लेकिन मैं आपके पाठकों से कहना चाहूंगी कि अगर वो खुद से निवेश करना चाहते हैं तो किताबें पढ़नी चाहिए और तो और कई यूनिवर्सिटी के कोर्सेज मौजूद हैं जोकि ऑनलाइन भी हैं। सीखने के तरीके तो काफी हैं लेकिन बिना सीखें निवेश ना करें।अगर फाइनेंस से कोई ताल्लुक नहीं रहा है। तो आपको फाइनेंस के बारे में जानकारी जुटानी होगी। फिर आपको बिजनेस के तरीकों को समझना होगा। जो बड़े निवेशक रहे हैं उनकी रणनीति क्या रही हैं। ऐसा नहीं है कि मुझे किसी की रणनीति कॉपी करनी है। सबसे अहम बात ये है कि आपकी अपनी सोच कैसी हैं। क्योंकि फाइनेंशियस रेश्यों समझना आसान है लेकिन खुद को समझना आसान नहीं है क्योंकि इंसान हजारों सालों से सोचता आ रहा है और कई तरह के Bias हैं। मुझे कई तरह की किताबें पसंद है लेकिन मुझे Daniel Kahneman की किताबें पसंद हैं। Thinking Fast and Slow और Noise मेरी पसंदीदा किताबें हैं।

सवाल - कई बार हमने आपको देखा कि आप अपनी Stock Investing में Machine Learning और Quant Model को यूज करती हैं।
जवाब- मैं Quant Model और AI का इस्तेमाल करती हूं लेकिन इसका आधार फंडामेंटल और टेक्नीकल एनालिसिस ही है।दरअसल तकनीक आपके फैसलों से Bias और Noise को हटा देता है क्योंकि सिस्टम आपको Bias हटाने में मदद करता है। सिस्टम की वजह से आप किसी दोस्त की कहने पर निवेश नहीं करते हैं। हम भारत में अपने सिस्टम के जरिए 7,000 स्टॉक को अपने हिसाब से रैंकिंग देते हैं। पूरी दुनिया में 25 हजार स्टॉक हैं।
आप बिना किसी सिस्टम को इतने स्टॉक को एनालाइज नहीं कर सकते हैं। फंडामेंटल एनालिसिस में काफी समय से कर रही हूं। भारत में मैं उस समय से फंडामेंटल एनालिसिस कर रही हूं जब इसके बारे में ज्यादा जानकारी भी नहीं थी। लेकिन फंडामेंटस एनालाइसिस में आप कितने रेश्यों देख सकते हैं।
Quant Model में आप ज्यादा से ज्यादा रेश्यों को कंबाइन कर सकते हैं। कई बार हमें कोई मैनेजमेंट अच्छा लगता है तो हम उसी लेंस के थ्रू उसके सारे फंडामेंटल को देखने लगते हैं। सभी कुछ उसका अच्छा लगने लगता है। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए, यही Bias है।

सवाल- भारत में जो लोग निवेश करते थे और अब जो लोग निवेश करते हैं उनकी सोच और मॉडल में कितना फर्क आया है?
जवाब- फर्क तो काफी आया है। हम तो विदेशी इक्विटी में करीब 25 सालों से काम कर रहे हैं। हम 1999 में लंदन स्टॉक एक्सचेंज के मेंबर बने थे। एक जमाना था कि भारत और पाकिस्तान हॉकी में डोमिनेट करते थे लेकिन अगले 40 साल भारत हॉकी में पिछड़ गया क्योंकि हॉकी का मैदान घास के मैदान से एस्ट्रोट्रफ पर बदल गया। भारत उसमें अच्छा नहीं था। अब जमाना बदल गया। 1990 में जब कोई फंड मैनेजर मिलता था तो कंपनी से उन्हें कुछ अलग जानकारी मिल जाती थी लेकिन आज की डेट में सबके पास जानकारी होती है। अब इनफॉर्मेशन सबके पास है। इसलिए डेटा सबके पास है अब पंरपरागत फंड मैनेजरों के लिए आउटपरफोर्म करना मुश्किल हो गया है।

सवाल- ग्लोबल चैलेंज को देखते हुए कैसे कोई अपने पोर्टफोलियों में विदेशी स्टॉक्स रखें और कितना रखें?
जवाब- सबसे महत्वपूर्ण बात असेट अलोकेशन होती है। सबसे अहम बात ये है कि आपका कितना पैसा एफडी में है या फिर कितना फिक्सड इनकम में है।कितना रियल एस्टेट में है औऱ कितना सोने में है। मैं छोटे निवेशकों की बात नहीं कर रही हूं । मैं तो बड़े निवेशकों की बात कर रही हूं। असेट एलोकेशन काफी अहम है।
हमें ग्लोबल डायवर्सिफिकेशन भी करना चाहिए। आप अगर लॉग टर्म फाइनेंशियल गोल के बारे में सोच रहे हैं तो आपको ग्लोबल एक्सपोजर लेना चाहिए।
असेट एलोकेशन, ग्लोबल डायवर्सिफिकेशन और तीसरी चीज रिस्क मैनेजमेंट, ये तीन चीजें काफी अहम हैं।आप हमेशा से सोच के चलें कि मुझसे गलती भी हो सकती हैं। गलतियां सबसे होती हैं क्योंकि आपको पता नहीं होता कि आप गलत भी हो सकते हैं। क्योंकि आप समझकर चलिए एक तिहाई से ज्यादा तो आप गलत साबित हो सकते हैं इसलिए आप डायवर्सिफाइ करके चलिए।

सवाल - क्या यूएस के बाहर भी स्टॉक्स या ईटीएफ में निवेश करना चाहिए? लोग आजकल चीन, ब्राजील की तरफ भी देखना चाहते हैं?
जवाब- भारत से बाहर निकले तो आप सीधे जाकर नैस्डेक के ईटीएफ में निवेश कर लें ऐसा नहीं है, कोई भी देश, कोई भी थीम कोई भी सेंटर एक साथ काम नहीं करता। मैंने पहले कहा था कि जब भारत में नैस्डेक ईटीएफ लॉन्च हुए थे तो मैंने कहा था कि ऐसा नहीं है कि नैस्डेक हमेशा अच्छा करता रहेगा। मेरा पर्सनल मन है कि हमें अलग-अलग जियोग्राफी में निवेश करना चाहिए। हमने एक ऐसा ही प्रोडक्ट लॉन्च किया जो अलग-अलग देशों के शेयर बाज़ार में निवेश करता है और समय-समय पर इसको चेंज भी करते हैं। इसमें शुरूआती निवेश सिर्फ 8 लाख रूपये है।

सवाल- आपको गोल्ड या कौन सी असेट क्लास में अब मौके दिख रहे हैं?
जवाब- इससे पहले कि मैं इस सवाल का जवाब दूं, मैं आपको बता दूं कि हमारी PMS में सेबी के नियमों के अनुसार मिनिमम 50 लाख का निवेश करना होता है लेकिन हमारे पास एक स्मॉलकेस भी है जो इसी सिस्टम पर काम करता है।दो साल पहले क्रिप्टो का फैशन था। अभी एक दो महीने गोल्ड अच्छा कर रहा है तो लोग गोल्ड के पीछे भागने लगते हैं। जो भी थीमैटिक फंड या सेक्टर फंड होते हैं वो तब लॉन्च होते हैं जब वो पीक पर होते हैं इसलिए आप थीमैटिक फंड से बचिए। असेट अलोकेशन ही फंड मैनेजर का पहला काम होता है।अगर आप 25 साल के हैं तो इसका मतलब ये नहीं है कि आप सारा का सारा पैसा इक्विटी में डाल दें क्योंकि आपको खर्चों के लिए पैसे भी चाहिए। इंटरव्यू के शुरू में आपने पहले राकेश झुनझुनवाला का जिक्र किया था। राकेश झुनझनवाला जी ने कहा था कि मेरा रिटर्न लंपी तरीके से आय़ा है। एक साल रिटर्न आता है तो दूसरे साल नहीं आता है। क्योंकि अगर किसी साल कोई रिटर्न नहीं आया तो इसका मतलब ये नहीं कि आप मार्केट छोड़कर भाग जाएं. क्योंकि शेयर बाजार के पिछले 40 सालों में 30 ऐसे ही ऐसे थे जिसमें मार्केट ऊपर गया। अगर आपने ये दिन मिस कर दिए तो मतलब आपने गेन्स छोड़ दिए. क्योंकि मार्केट उसी दौरान शॉर्प मूव देता है जब मूड खराब होता है।