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Royal Enfield को लगा झटका! 350cc से ऊपर वाली बाइक्स की घटी सेल - जीएसटी 2.0 का बड़ा रोल

रॉयल एनफील्ड के नवंबर 2025 सेल रिपोर्ट 350cc से ऊपर के सेगमेंट में अच्छी नहीं आई है। इस सेगमेंट में मोटरसाइकिलों की बिक्री में सालाना आधार पर 6% की गिरावट का सामना करना पड़ा है। इसकी मुख्य वजह बड़ी मोटरसाइकिलों पर GST रेट को 28% से बढ़ाकर 40% किया जाना है। 

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GST 2.0 impact: रॉयल एनफील्ड (Royal Enfield) के नवंबर 2025 सेल रिपोर्ट 350cc से ऊपर के सेगमेंट में अच्छी नहीं आई है। इस सेगमेंट में मोटरसाइकिलों की बिक्री में सालाना आधार पर 6% की गिरावट का सामना करना पड़ा है। इसकी मुख्य वजह बड़ी मोटरसाइकिलों पर GST रेट को 28% से बढ़ाकर 40% किया जाना है। 

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पहली बार हुई बिक्री में गिरावट

कैलेंडर वर्ष 2025 में यह पहला मौका है जब रॉयल एनफील्ड के 350cc से अधिक इंजन क्षमता वाले मॉडलों की बिक्री में कमी आई है।नवंबर में, 350cc से ज्यादा इंजन क्षमता वाले मॉडलों की कुल बिक्री 10,358 यूनिट रही, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह आंकड़ा 10,996 यूनिट था।

हालांकि, 350cc से कम इंजन क्षमता वाले मॉडलों की बिक्री में हुई जबरदस्त ग्रोथ ने इस गिरावट की भरपाई कर दी है। यह सेगमेंट सालाना आधार पर 27% बढ़कर नवंबर में 90,312 यूनिट पर पहुंच गया। इस सेगमेंट में यह उछाल इसलिए आया क्योंकि इन मोटरसाइकिलों पर GST दर को 28% से घटाकर 18% कर दिया गया था।

कंपनी ने 18% GST दर की मांग की

रॉयल एनफील्ड लंबे समय से सभी मोटरसाइकिलों पर एक समान 18% GST दर लागू करने की मांग कर रहा है। नवंबर में, आयशर मोटर्स (Eicher Motors) के मैनेजिंग डायरेक्टर और रॉयल एनफील्ड के सीईओ, बी. गोविंदरराजन ने कहा था कि हम सरकारी एजेंसियों के साथ बातचीत कर रहे हैं ताकि सभी मोटरसाइकिलों पर 18% का एक समान स्लैब हो सके। इससे निश्चित रूप से 450cc और 650cc सेगमेंट को भारत में विस्तार करने में मदद मिलेगी और हम इन उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक ले जा पाएंगे जहां बड़ी संभावना है।

गोविंदरराजन ने चिंता जताते हुए कहा था कि अगर हमें पर्याप्त विस्तार नहीं मिलता है, तो 350cc से ऊपर के सेगमेंट पर दबाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि अगर 40% GST दर की वजह से हम रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) में पर्याप्त निवेश नहीं कर पाते हैं और नए उत्पाद नहीं लाते हैं, तो भारतीय दोपहिया वाहन निर्माता, जो 450cc और 650cc सेगमेंट में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी हैं, वे 'मेक इन इंडिया' का फायदा खो देंगे।