Retirement Planning: अपने अंदाज में जिएं जिंदगी की दूसरी पारी !

हम में से अधिकांश लोग ऐसे हैं, जिनके लिए रिटायरमेंट एक शिफ्टिंग गोल पोस्ट है। यानी हम इसके लिए प्लानिंग तो शुरू करते हैं लेकिन इस प्रक्रिया के बीच में हमारे लक्ष्य बदलते जाते हैं, जिससे रिटायरमेंट के लिए लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल हो जाता है। जब हम युवा अवस्‍था में होते हैं, हम जल्दी रिटायर होना चाहते हैं और दुनिया की सैर करना चाहते हैं। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमें अहसास होता है कि हम रिटायर होने के लिए वित्तीय रूप से तैयार नहीं हैं और इसलिए रिटायरमेंट की तारीख को आगे बढ़ाते रहते हैं। चुनौतियां सिर्फ वर्किंग इयर्स के दौरान कमाई को लेकर नहीं है, बल्कि आगे आने उस लंबी अवधि को पूरा करने में भी है, जिस दौरान हम वर्किंग नहीं होते हैं।

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अधिकांश लोग ऐसे हैं, जिनके लिए रिटायरमेंट एक शिफ्टिंग गोल पोस्ट है
अधिकांश लोग ऐसे हैं, जिनके लिए रिटायरमेंट एक शिफ्टिंग गोल पोस्ट है

By BT बाज़ार डेस्क:

हम में से अधिकांश लोग ऐसे हैं, जिनके लिए रिटायरमेंट एक शिफ्टिंग गोल पोस्ट है। यानी हम इसके लिए प्लानिंग तो शुरू करते हैं लेकिन इस प्रक्रिया के बीच में हमारे लक्ष्य बदलते जाते हैं, जिससे रिटायरमेंट के लिए लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल हो जाता है। जब हम युवा अवस्‍था में होते हैं, हम जल्दी रिटायर होना चाहते हैं और दुनिया की सैर करना चाहते हैं। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमें अहसास होता है कि हम रिटायर होने के लिए वित्तीय रूप से तैयार नहीं हैं और इसलिए रिटायरमेंट की तारीख को आगे बढ़ाते रहते हैं। चुनौतियां सिर्फ वर्किंग इयर्स  के दौरान कमाई को लेकर नहीं है, बल्कि आगे आने उस लंबी अवधि को पूरा करने में भी है, जिस दौरान हम वर्किंग नहीं होते हैं। आज के दौर में स्वास्थ्य सेवाओं में बहुत ज्यादा सुधार हुआ है, जिसके चलते देश में औसत लाइफ भी बढ़ रही है, ऐसे में नॉन-वर्किंग ईयर यानी रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी 30 साल या इससे भी अधिक हो सकती है। 

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रिटायरमेंट प्लानिंग को लेकर हमने बात की बड़ौदा बीएनपी परिबा म्यूचुअल फंड के रिटेल एंड इंटरनेशनल बिजनेस रिटेल हेड  Mahmood Basha से। यही कारण है कि हमें तेजी से बीत रहे समय पर ध्यान देने की जरूरत है, खासकर जब से हम में से अधिकांश के पास गारंटीड पेंशन का विकल्‍प भी नहीं है। वहीं रिटायरमेंट के बाद के सालों में हमारी जरूरतें पूरी हो सके, इसके लिए अभी से सही ढंग से निवेश करने की जिम्मेदारी भी हम पर है। आपका पेशा कोई भी हो, एक समय ऐसा आएगा जब आपको रिटायरमेंट लेना ही होगा। तब अपनी लाइफस्‍टाइल से समझौता करना शायद ही कोई विकल्‍प होगा, जिसके हम लंबे समय से आदी हो चुके हैं। आपको हेल्‍थकेयर, देखभाल करने वालों, बच्चों की शिक्षा, बच्चों की शादी और एक बुजुर्ग व्यक्ति की जीवन शैली की जरूरतों पर होने वाले ज्यादा खर्च के साथ ही महंगाई के चलते रहन सहन पर खर्च की बढ़ रही लागत को भी ध्यान में रखना होगा। बदलते सामाजिक गतिशीलता का मतलब है, अब आप यह भरोसा नहीं कर सकते कि आप अपने बच्चों पर आर्थिक रूप से निर्भर हो सकते हैं। अधिकांश मामलों में, यह भी हो सकता है कि बच्‍चे अपनी नौकरी के लिए आपके शहर से दूर या विदेश में भी हो सकते हैं। इसलिए जब आप रिटायरमेंट प्लानिंग करते हैं, तो आपको इसे भी ध्यान में रखना होगा।

 बड़ौदा बीएनपी परिबा म्यूचुअल फंड के रिटेल एंड इंटरनेशनल बिजनेस रिटेल हेड  Mahmood Basha

रिटायरमेंट प्लानिंग के दो प्रमुख चरण हैं। फंड में लगातार बढ़ोतरी करना और फंड का साइज घटना। फंड बढ़ाने का फेज SIP के माध्यम से किया जा सकता है, जो कि एक पॉपुलर विकल्‍प है। इस फेज में कंपाउंडिंग की पावर का लाभ उठाने के लिए इक्विटी में अपने निवेश का एक बड़ा हिस्सा रखने की सलाह दी जाती है। SIP के माध्यम से नियमित रूप से निवेश की जाने वाली छोटी राशि आपके रिटायर होने तक आपके लिए एक बड़ा फंड बनाने की क्षमता रखती है। महमूद बाशा ने बिज़नेस टुडे बाज़ार से बात करते हुए कहा कि मुख्य चुनौती यह है कि रिटायरमेंट के बाद अपने मंथली खर्चों को पूरा करने के लिए अपने निवेश को कैसे कम किया जाए। एक समान रूप से पावरफुल विकल्‍प के बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है, जो मंथली पेआउट के जरिए आपके रिटायरमेंट के दौरान मदद कर सकता है। यह है सिस्टमैटिक विद्ड्रॉल प्लान यानी SWP। SWP का भी मुख्य लाभ एसआईपी की तरह ही है। जैसे SIP के मामले में हम अनुशासित तरीके से निवेश करते हैं, वैसे ही SWP में हम अनुशासित तरीके से निकासी करते हैं। अधिकांश लोग जो बड़ी गलती करते हैं, वह यह है कि जब हम रिटायर होते हैं तो जमा की गई राशि को खर्च कर देते हैं और फिर अपनी जरूरतों पर होने वाले खर्चों को पूरा करने के लिए रेगुलर इनकम के लिए संघर्ष करते रह जाते हैं। SWP या सिस्टेमैटिक विद्ड्रॉल प्लान आपके निवेश से पैसा निकालने का एक तरीका है, जब आपको पैसे की जरूरत होती है। यह विकल्‍प सेवानिवृत्ति के लिए या जब आप जॉब से कुछ समय के लिए ब्रेक ले रहे हैं, तब के लिए बेहतर विकल्‍प है। आप जब वर्किंग नहीं होते हैं, तब भी कई तरह के खर्च के लिए बिल आते रहते हैं, जिनका आपको पेमेंट करना होता है। इसलिए आपको उन बिल का भुगतान करने के लिए और जो कुछ भी आपकी आवश्यकता है, उस पर खर्च करने के लिए मंथली इनकम या मंथली इनफ्लो की आवश्यकता है। SWP इसके लिए सुविधाजनक विकल्‍प है। आपको इसके लिए एक बार अपने म्युचुअल फंड को महीने की एक तय तारीख पर एक तय राशि डेबिट करने के लिए निर्देश देना होगा, और पैसा आपके बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।

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जब आप पैसा निकालते हैं, तो इसे टैक्‍स एफिशिएंट भी माना जाता है, आपके मूलधन का एक हिस्सा और आपके लाभ का एक हिस्सा आपको वापस कर दिया जाता है। आपको लौटाए जा रहे कैपिटल पर कोई टैक्‍स नहीं लगता है। और अगर आप किसी इक्विटी या हाइब्रिड फंड से निकासी कर रहे हैं, तो आप होने वाले लाभ पर 10 फीसदी टैक्‍स का पेमेंट कर सकते हैं। वर्तमान टैक्स नियमों के अनुसार, कम से कम 65 फीसदी या इससे अधिक इक्विटी रखने वाले म्यूचुअल फंड को 1 साल के लिए होल्ड किया जाता है तो उससे होने वाले लाभ पर 10 फीसदी टैक्‍स लगता है। लौटाए गए कैपिटल और होने वाले लाभ के अमाउंट का मिक्स, आपके एडवाइजर द्वारा तय किया जा सकता है और यहां तक कि म्यूचुअल फंड भी आपको सही मिक्‍स पर गाइड करते हैं। ध्यान रखने वाली जरूरी बात यह है कि जैसे-जैसे आप अपने रिटायरमेंट के करीब आते जाते हैं, आपको हाइब्रिड फंड के जैसे प्रोडक्ट की ओर बढ़ने की जरूरत होती है, जिसमें न केवल इक्विटी हो, बल्कि डेट कंपोनेंट भी हों। साथ ही यह इक्विटी फंड की तुलना में कम अस्थिर भी हों। ध्‍यान रहे कि आपका मंथली बिल पे होते रहना चाहिए। निकासी के बाद बचा हुआ फंड निवेश में बना रहता है और आपको उस पर रिटर्न मिलता रहता है, जिससे आपको कंपाउंडिंग का फायदा भी मिलना जारी रहता है। आप अपने किसी विशेष लक्ष्य के लिए एकमुश्त फंड निकाल सकते हैं, बशर्ते आपकी मंथली जरूरतों को ध्यान में रखा जाए। उदाहरण के लिए, अगर आपने 1 करोड़ रुपये का फंड जमा किया है और आपका औसत मंथली खर्च 1 लाख रुपये है, आप 20 साल के लिए एक SWP करना चाहते हैं। हिस्‍टोरिक डाटा के अनुसार, 1 लाख रुपये मंथली विद्ड्रॉल विकल्‍प के साथ 1 मार्च 2003 को निफ्टी 50 में 1 करोड़ रुपये का निवेश करने पर करीब 18% XIRR रिटर्न मिला (सोर्स: NSE सूचकांक, इंटरनल रिसर्च)। इस उदाहरण में आपने 20 साल तक 1 लाख रुपये प्रति माह के निकासी से लगभग 2.4 करोड़ रुपये वापस ले लिया। लेकिन अभी भी 10.75 करोड़ रुपये (31 मार्च, 2023 तक) का कॉर्पस बचा है।

फंड बढ़ाने का फेज SIP के माध्यम से किया जा सकता है, जो कि एक पॉपुलर विकल्‍प है

डिस्कलेमर: ऊपर दिया गया उदाहरण कंपाउंडिंग की ताकत को दिखाने के लिए है। इसे म्यूचुअल फंडों के सांकेतिक यील्ड/रिटर्न के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। रिटर्न समय-समय पर बदलते रहेंगे और बाजार की चाल, निवेश की तारीख, निवेश की अवधि आदि सहित कई फैक्‍टर पर आधारित होते हैं। फंड का पिछला प्रदर्शन भविष्य में भी बना रह सकता है या नहीं भी रह सकता है।

आप इस बचे कॉर्पस को अपने प्रियजनों के लिए या किसी भी ऐसी वजह के लिए छोड़ सकते हैं जो आपको प्रिय हो। किसी भी तरह से, आप अपने रिटायरमेंट के बाद के वर्षों में आर्थिक रूप से स्वतंत्र होंगे। म्यूचुअल फंड यह सुविधा देते हैं। इसलिए, अगर आप अपने निवेश से मंथली पेआउट चाहते हैं, तो SWP एक बेहतर विकल्‍प हो सकता है।

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