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अमेरिका में ₹80 लाख, भारत में ₹23 लाख बराबर? रिसर्चर ने किया साफ किया कैलकुलेशन

 Dollar vs Rupee: दिल्ली के शोधकर्ता शुभम चक्रवर्ती ने एक पुरानी सोच को चुनौती देते हुए कहा है कि अमेरिका में ₹80 लाख की सैलरी पाने वाले किसी व्यक्ति जैसी जीवनशैली भारत में सिर्फ ₹23 लाख सालाना कमाकर भी हासिल की जा सकती है।

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 Dollar vs Rupee: दिल्ली के शोधकर्ता शुभम चक्रवर्ती ने एक पुरानी सोच को चुनौती देते हुए कहा है कि अमेरिका में ₹80 लाख की सैलरी पाने वाले किसी व्यक्ति जैसी जीवनशैली भारत में सिर्फ ₹23 लाख सालाना कमाकर भी हासिल की जा सकती है।

अपने LinkedIn पोस्ट में शुभम ने लिखा कि अगली बार जब आपका कोई कज़िन या दोस्त जो अमेरिका में बस चुका है, ₹80 लाख सालाना कमाई का दावा करे, तो उन्हें बताएं कि भारत में उसकी बराबरी ₹23 लाख से की जा सकती है।

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शुभम का दावा "परचेजिंग पावर पैरिटी" (PPP) के सिद्धांत पर आधारित है। यह वह आर्थिक मापदंड है जो दो देशों के जीवन यापन की लागत में अंतर को समझने के लिए प्रयोग होता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़ों के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच PPP अनुपात 3:1 से ज्यादा है, जिससे यह गणना यथोचित लगती है।

शुभम ने अपने दावे को रोजमर्रा के खर्चों की तुलना से साबित करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि भारत में ₹300 की रेस्तरां थाली, अमेरिका में ₹1,700 की पड़ती है। वहीं, इंटरनेट बिल भारत में ₹700 का पड़ता है जो अमेरिका में ₹6,000 का है। इसी तरह भारत में ₹50,000 के घर का अमेरिका में ₹1.6 लाख किराया देना पड़ता है।

शुभम खुद मानते हैं कि यह गणना सीमित है। उनका कहना है कि विकसित देशों में बेहतर पब्लिक सर्विसेज, टेक्नोलॉजी और अवसर होते हैं, साथ ही सोशल सिक्योरिटी भी ज्यादा मजबूत होती है।”

अर्थशास्त्री भी यही मानते हैं कि PPP हर परिदृश्य को नहीं समझा सकता। वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता, स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा, कानूनी सुरक्षा जैसे कारक एक देश से दूसरे देश में अलग होते हैं। साथ ही PPP डेटा खुद भी सीमाओं से परे नहीं है—यह कई बार अविकसित क्षेत्रों में सही आंकड़े नहीं दे पाता।