RBI MPC Meet Update: Repo Rate में कटौती के साथ आरबीआई ने लिए कई बड़े फैसले, आम लोगों पर पड़ेगा सीधा असर
RBI MPC Meet 2025 Update: भारतीय रिजर्व बैंक की एमपीसी बैठक में रेपो रेट में कटौती के साथ कई बड़े फैसले लिए हैं। इन फैसलों का असर आम जनता पर भी पड़ेगा।

RBI MPC Meet 2025: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एमपीसी बैठक (RBI Monetary Policy Meeting 2025) के फैसलों का एलान हो गया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 10 बजे बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी है। बैठक में लिए गए फैसलों का असर आम जनता पर पड़ेगा। हम आपको बैठक में लिए गए उन फैसलों के बारे में बताएंगे जिसका सीधा असर आप पर पड़ेगा।
GDP अनुमान में बदलाव
संजय मल्होत्रा ने बताया कि इस बार एमपीसी बैठक में जीडीपी दरों के अनुमान में बदलाव किया गया है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी अनुमान 6.7 फीसदी से घटकर 6.5 फीसदी कर दिया गया वहीं, पहली तिमाही के लिए विकास दर को 6.5 फीसदी किया गया और दूसरी तिमागी के लिए इसे 7 फीसदी से बदलकर 6.7 फीसदी किया गया। इसी तरह तीसरी तिमाही के लिए 6.6 फीसदी और चौथी तिमाही के लिए 6.3 फीसदी का अनुमान जताया गया।
Inflation दरों में भी हुआ बदलाव
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के महंगाई दर में भी बदलाव किया है। कारोबारी साल 2026 के लिए महंगाई दर को 4 फीसदी कर दिया गया। इससे पहले केंद्रीय बैंक ने महंगाई दर को 4.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। वहीं, पहली तिमाही के लिए महंगाई दर को 4.5 फीसदी से घटाकर 3.6 फीसदी कर दिया गया। इसी तरह तीसरी तिमाही के लिए 3.8 फीसदी और चौथी तिमाही के लिए 4.4 फीसदी का अनुमान जताया गया।
Repo Rate में कटौती
लगातार दूसरी बार रेपो रेट में कटौती की गई है। फरवरी 2025 में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करके उसे 6.25 फीसदी किया था। वहीं, इस बार 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करके 6 फीसदी कर दिया गया। रेपो रेट में कटौती होने से लोन की EMI भी घट सकती है।
Tariff को लेकर हुआ एलान
आरबीआई गवर्नर ने साफ कहा कि टैरिफ में हो रही बढ़ोतरी का नेगेटिव असर एक्सपोर्ट पर पड़ेगा। इसके अलावा भारतीय करेंसी पर भी दबाव पड़ सकात है। इसके अलावा अमेरिका द्वारा टैरिफ पॉलिसी के फैसलों का असर घरेलू महंगाई पर भी पड़ेगा।
सिक्योरिटाइजेशन का आया प्रपोजल
इस एमपीसी बैठक में स्ट्रेस्ड मैकेनिज़्म के जरिए सिक्योरिटाइजेशन का प्रपोजल लाया गया। अभी बैंक और NBFC के पास को-लैंडिंग की सुविधा है पर अब इसका दायरा बढ़ाया जाएगा। इस अब सभी रेगुलेटेड एंटिटी और लोन्स पर होगा। संजय मल्होत्रा ने बताया कि बैंकों और स्टेकहोल्डर्स के लिए P2P लिमिट का प्रपोजल पेश किया गया है। वर्तमान में यह लिमिट 1 लाख रुपये है। इस लिमिट को जल्द बढ़ाया जा सकता है।