देश में पहली बार हुई ऐसी कॉन्फ्रेंस, जहां तय हुआ-अब हर आपदा में मिलेगा पक्का नेटवर्क, तुरंत मिलेगी मदद
दिल्ली में आज एक ऐतिहासिक कॉन्फ्रेंस हुई, जिसका नाम “Safeguard The Future” रखा गया। यह भारत का पहला Mission-Critical Communications Conference था, जिसे Broadband India Forum (BIF) और TCCA ने मिलकर आयोजित किया।

दिल्ली में आज एक ऐतिहासिक कॉन्फ्रेंस हुई, जिसका नाम “Safeguard The Future” रखा गया। यह भारत का पहला Mission-Critical Communications Conference था, जिसे Broadband India Forum (BIF) और TCCA ने मिलकर आयोजित किया।
इसका मकसद देश में ऐसा भरोसेमंद कम्युनिकेशन सिस्टम बनाना है, जो किसी भी आपदा या इमरजेंसी के वक्त हर एजेंसी, पुलिस, प्रशासन और हेल्थ डिपार्टमेंट को एक-दूसरे से तुरंत जोड़ सके, ताकि लोगों की जान बचाने में देरी न हो।
इस कॉन्फ्रेंस में कई बड़े अधिकारी शामिल हुए। कॉन्फ्रेंस के मुख्य अतिथि TRAI चेयरमैन अनिल कुमार लाहोटी थे। अनिल कुमार लाहोटी ने कहा कि आने वाला समय चुनौतियों से भरा है। कभी जलवायु परिवर्तन से आपदाएं, तो कभी सुरक्षा को लेकर खतरे बने हुए हैं। ऐसे वक्त में सबसे बड़ी ताकत मजबूत और तेज कम्युनिकेशन नेटवर्क होगी, जो सबको तुरंत जोड़ दे।
NDMA बोर्ड के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैयद अता हसनैन ने बताया कि आपदा से लड़ाई किसी दुश्मन से नहीं, बल्कि अनदेखे खतरे से होती है। उस समय हर सेकंड कीमती होता है। अगर नेटवर्क अच्छा और भरोसेमंद हो, तो फायर ब्रिगेड से लेकर पुलिस और मेडिकल टीम तक सबको तुरंत जोड़कर मदद पहुंचाई जा सकती है।
कॉन्फ्रेंस में विदेशी एक्सपर्ट्स भी शामिल हुए। TCCA के CEO केविन ग्राहम ने कहा कि अगर भारत इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स को अपनाए, तो न सिर्फ देश के अंदर बल्कि पड़ोसी देशों तक भी इमरजेंसी में तालमेल बैठाया जा सकता है। यानी सीमाओं से परे जाकर भी मदद पहुंचाई जा सकती है।
इस कार्यक्रम में Motorola, Ericsson, Qualcomm और Consort Digital जैसी बड़ी टेक कंपनियां भी आगे आईं। उन्होंने बताया कि नई टेक्नोलॉजी जैसे MCX सॉल्यूशन और रियल टाइम एप्लिकेशन से इमरजेंसी सिस्टम को और मजबूत और तेज़ बनाया जा सकता है। मतलब, कोई भी घटना होते ही तुरंत संदेश, लोकेशन और जरूरी जानकारी हर एजेंसी तक पहुंच जाएगी।
BIF की चेयरपर्सन अरुणा सुंदरराजन (रिटायर्ड IAS) ने कहा कि लोगों की जिंदगी बचाना सिर्फ सरकार या पुलिस का काम नहीं है। इसमें टेक कंपनियों, रेगुलेटर्स और हर संस्था को मिलकर काम करना होगा। यह कॉन्फ्रेंस एक अच्छी शुरुआत है, लेकिन अब इसे सिर्फ कागजों में नहीं बल्कि असली जमीन पर उतारना होगा।