Russia से नहीं मिल रहा अब सस्ता तेल, क्या है पूरा मामला समझिए?

भारत ने पिछले कुछ महीनों के दौरान रूस से रिकॉर्ड कच्चा तेल बेहद सस्ते दामों पर खरीदा। लेकिन अब रूसी तेल सस्ता नहीं रह गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस के कच्चे तेल यूराल की कीमत बढ़ती जा रही है। ये पश्चिमी देशों के जरिए लगाए गए प्राइस कैप 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बिक रहा है। अगर रूसी तेल को 60 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा की कीमत पर खरीदाता जाता है को ये भारत के लिए बिल्कुल भी फायदेमंद नहीं है क्योंकि रूसी तेल की डिलीवरी और बीमा सेवाएं बहुत महंगाी पड़ेंगी।

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भारत ने पिछले कुछ महीनों के दौरान रूस से रिकॉर्ड कच्चा तेल बेहद सस्ते दामों पर खरीदा
भारत ने पिछले कुछ महीनों के दौरान रूस से रिकॉर्ड कच्चा तेल बेहद सस्ते दामों पर खरीदा

By Harsh Verma:

भारत का सबसे जिगरी दोस्त रूस ने भारत को बीच मझधार में फंसा दिया है। रूस ने जो कदम उठाया है, उसके असर से भारत के सामने दो बड़ी दुविधा खड़ी हो गई है। आपको वो वक्त याद होगा कि जब रूस-यूक्रेन में युद्ध हुआ था तो दुनिया के ज्यादातर देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए थे। तब भारत ही था, जो रूस की मदद के लिए सामने आया था। हालांकि रूस की उस मदद के भारत को भी जबरदस्त फायदे मिले थे, क्योंकि रूस को अपने कच्चे तेल का खरीदार मिला था और भारत को सस्ता कच्चा तेल।भारत ने पिछले कुछ महीनों के दौरान रूस से रिकॉर्ड कच्चा तेल बेहद सस्ते दामों पर खरीदा। लेकिन अब रूसी तेल सस्ता नहीं रह गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस के कच्चे तेल यूराल की कीमत बढ़ती जा रही है। ये पश्चिमी देशों के जरिए लगाए गए प्राइस कैप 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बिक रहा है। अगर रूसी तेल को 60 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा की कीमत पर खरीदाता जाता है को ये भारत के लिए बिल्कुल भी फायदेमंद नहीं है क्योंकि रूसी तेल की डिलीवरी और बीमा सेवाएं बहुत महंगाी पड़ेंगी। कुछ अनुमानों के मुताबिक, भारत को रूसी तेल पर पहले 13 डॉलर प्रति बैरल की छूट मिल रही थी लेकिन अब यह छूट कम होकर महज 4 डॉलर प्रति बैरल रह गई है। 

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अब रूस के जरिए पैदा हुई दूसरी दुविधा के बारे में भी जान लीजिए। भारत और रूस के बीच तेल व्यापार के दौरन रुपये में ट्रांजैक्शन करने पर सहमति बनी थी। रूस भी इसके लिए तैयार हो गया था, लेकिन अब रूस ने रुपये में डील करने से मना कर दिया है। रूस के विदेश मंत्री Sergei Lavrov का बयान भी आया कि भारतीय बैंकों में रूस के अरबों रुपये जमा हैं, लेकिन वो हमारे किसी भी काम के नहीं हैं। हम इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। हमें भारतीय रुपये को दूसरी करेंसी में एक्सचेंज करना होगा। यानि भारत को दोहरी चोट लगने की संभावना है। लेकिन मोदी सरकार ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है। खबरें हैं कि भारतीय सरकारी रिफाइनी कच्चे तेल की खरीद के लिए मध्य पूर्व के अपने पुराने तेल एक्सपोर्ट्स देशों की ओर मुड़ रहे हैं। ​कभी भारत को तेल बेचने के मामले में पहले नंबर पर रहा इराक इसमें से एक है। 

भारत का सबसे जिगरी दोस्त रूस ने भारत को बीच मझधार में फंसा दिया है

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत ने इराक से कहा है कि वो तेल की भुगतान के लिए कुछ शर्तों में बदलाव करने पर विचार करे। जैसे भारत के सरकारी रिफाइनर्स इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशनऔर हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन, इराक से भारी मात्रा में तेल खरीदेंगे जिसके बदले में वो तेल की मौजूदा क्रेडिट अवधि को 60 दिन से बढ़ाकर 90 दिन कर दे। अगर इराक ये बात मान लेता है तो भारत को कच्चे तेल की पेमेंट करने के लिए ज्यादा वक्त मिल जाएगा। हालांकि इराक की ओर से सौदा साफ है कि कीमतों में किसी भी तरह की रियायत नहीं मिलेगी, जो वैश्विक भाव होगा उसी पर भारत, इराक से तेल खरीदेगा।

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