भारत बना दुनिया का सबसे बड़ा पांचवां स्टॉक मार्केट, 33 साल में सेंसेक्स बढ़ा 60 गुना

भारतीय स्टॉक मार्केट हाल ही में एक बार फिर फ्रांस को पछाड़कर दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा स्टॉक मार्केट बन गया। अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद (24 जनवरी 2023) अडाणी समूह के शेयरों में आई भारी बिकवाली की वजह से इसी साल जनवरी के दौरान यह खिसककर छठे स्थान पर चला गया था। लेकिन अडाणी समूह के शेयरों में आई रिकवरी और विदेशी निवेशकों की तरफ से की जा रही लिवाली के दम पर भारतीय शेयर बाजार अपने खोए हुए स्थान को फिर से हासिल करने में कामयाब रहा है।

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भारत बना दुनिया का सबसे बड़ा पांचवां स्टॉक मार्केट
भारत बना दुनिया का सबसे बड़ा पांचवां स्टॉक मार्केट

By BT बाज़ार डेस्क:

भारतीय स्टॉक मार्केट हाल ही में एक बार फिर फ्रांस को पछाड़कर दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा स्टॉक मार्केट बन गया। अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म Hindenburg की रिपोर्ट आने के बाद (24 जनवरी 2023) Adani समूह के शेयरों में आई भारी बिकवाली की वजह से इसी साल जनवरी के दौरान यह खिसककर छठे स्थान पर चला गया था। लेकिन अडाणी समूह के शेयरों में आई रिकवरी और विदेशी निवेशकों की तरफ से की जा रही लिवाली के दम पर भारतीय शेयर बाजार अपने खोए हुए स्थान को फिर से हासिल करने में कामयाब रहा है।

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28 मई 2007 को भारतीय शेयर बाजार ने 1 ट्रिलियन (लाख करोड़) डॉलर यानी करीब 82 लाख करोड़ रुपए के मार्केट कैप को पहली बार हासिल किया था, लेकिन 2 लाख करोड़ डॉलर यानी 164 लाख करोड़ के मार्केट कैप को छूने में बाजार को अगले 10 साल तक इंतजार करना पड़ा। आखिरकार, 16 मई 2017 को यह इंतजार खत्म हुआ, जबकि इसे 2 लाख करोड़ डॉलर से 3 लाख करोड़ डॉलर यानी 246 लाख करोड़ रुपए की यात्रा तय करने में महज 4 साल लगे। 24 मई 2021 को भारतीय शेयर बाजार ने 3 लाख करोड़ डॉलर के मार्केट कैप को पहली बार छुआ।

​ Share Market में निवेशकों की संख्या 11 करोड़ के पार निकलकर 11.44 करोड़ पर पहुंच गई है ​

इतना ही नहीं शेयर बाजार में निवेशकों की संख्या भी 11 करोड़ के पार निकलकर 11.44 करोड़ पर पहुंच गई है। 25 जुलाई 1990 को BSE सेंसेक्स ने पहली बार 1 हजार के स्तर को छुआ था। 1 हजार से 10 हजार तक आने में इसे तकरीबन 16 साल लगे (6 फरवरी 2006)। लेकिन 10 हजार से 60 हजार तक के सफर को केवल 15 साल में पूरा कर लिया। वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल वर्ल्ड मार्केट कैप में अमेरिकी मार्केट की हिस्सेदारी लगभग 41% रही, जबकि भारत की हिस्सेदारी तकरीबन केवल 3% है। अमेरिका की 55% से भी अधिक आबादी वहां के शेयर बाजारों से जुड़ चुकी है, जबकि भारत में यह आंकड़ा भी महज 3% का है। लेकिन इसका मतलब यह भी है कि भारतीय शेयर बाजार में अभी काफी संभावनाएं बाकी हैं।

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