भारत की ग्रोथ रेट पर IMF का बड़ा अनुमान

भारत की बेहतर इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार के आगे IMF को भी अपनी कैलकुलेशन में बदलाव करना पड़ा। यानि की भारत पर सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का टैग भी बरकरार रखा गया है। वहीं हमारे पड़ोसी देश चीन की ग्रोथ रेट 2023 में 5.2% और 2024 में 4.5% रहने का अनुमान है। इसका मतलब ये हुआ कि भारत की ग्रोथ रेट के आसपास चीन कहीं भी नहीं भटकता है।

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भारत की बेहतर इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार के आगे IMF को भी अपनी कैलकुलेशन में बदलाव करना पड़ा
भारत की बेहतर इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार के आगे IMF को भी अपनी कैलकुलेशन में बदलाव करना पड़ा

By Harsh Verma:

International Monetary Fund समय समय पर दुनिया के देशों की आर्थिक रफ्तार का अनुमान लगाता रहता है। ग्लोबल घटनाक्रम से लेकर देश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए IMF अनुमान को घटाता और बढ़ाता रहता है। लेकिन इस बार भारत की ग्रोथ स्टोरी की रफ्तार ने IMF को भी दुविधा में डाल दिया है। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में भविष्यवाणी की थी कि वित्त वर्ष 2024 में भारत की GDP अनुमान 5.9% रह सकता है। लेकिन अब उन्होंने अपने अनुमान में बदलाव किया और अप्रैल में जताये गये अनुमान के मुकाबले 20 बेसिस प्वाइंट्स को बढ़ा दिए हैं यानि की इस साल भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट बढ़ाकर 6.1% रहने का अनुमान जताया है। वहीं वित्त वर्ष 2025 के लिए IMF ने अपने GDP अनुमान को 6.3% पर अपरिवर्तित रखा है।

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यानि की भारत की बेहतर इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार के आगे IMF को भी अपनी कैलकुलेशन में बदलाव करना पड़ा। यानि की भारत पर सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का टैग भी बरकरार रखा गया है। वहीं हमारे पड़ोसी देश चीन की ग्रोथ रेट 2023 में 5.2% और 2024 में 4.5% रहने का अनुमान है।  इसका मतलब ये हुआ कि भारत की ग्रोथ रेट के आसपास चीन कहीं भी नहीं भटकता है। वहीं दूसरी ओर दुनिया की ग्रोथ रेट को लेकर इस एजेंसी अपने अनुमान में कटौती की है। रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर ग्रोथ रेट 2022 के 3.5% के अनुमान के मुकाबले 2023 और 2024 में कम होकर 3% रहने की संभावना जताई है। यानि की ऐतिहासिक मानदंडों के आधार पर दुनिया की ग्रोथ रेट कमजोर बनी रहेगी।  

वित्त वर्ष 2025 के लिए IMF ने अपने GDP अनुमान को 6.3% पर अपरिवर्तित रखा है

इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने दो बढ़ रिस्क के बारे में भी बताया है। IMF का साफ तौर पर कहना है कि ये ग्लोबल इकोनॉमी की ग्रोथ के लिए स्पीड ब्रेकर का काम कर सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति यानि महंगाई को काबू में लाने के लिये केंद्रीय बैंक के नीतिगत दर में बढ़ोतरी से आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा है। वैश्विक स्तर पर खुदरा महंगाई 2022 के 8.7% से घटकर 2023 में 6.8% और 2024 में 5.2% पर आने की संभावना है। वहीं दूसरा रिस्क है कि अमेरिका में कर्ज सीमा और बैंकों के विफल होने के उतार-चढ़ाव को जोखिम बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर और झटके आते हैं, तो महंगाई ऊंची बनी रह सकती है और यहां तक ​​कि बढ़ भी सकती है। इसमें यूक्रेन में युद्ध तेज होने और मौसम से जुड़ी चुनौतियों के कारण सख्त मौद्रिक नीति रुख शामिल है। भारत की स्थिति देखें तो अप्रैल महीने में हुई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग में भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। अब देखना होगा कि इस बार सोफ्ट कमोडिटीज में हुई बढ़ोतरी का असर कितना ब्याज दरों पर देखने को मिलता है।

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