Twitter: ‘Blue Tick’ का बाज़ारवाद
ये बाज़ारवाद का दौर है। जहां कुछ भी बेचा और ख़रीदा जा सकता है। इस दौर में मुफ़्त, सस्ते दाम, डिस्काउंट या खास तरह के ऑफर देकर ग्राहकों को लुभाना तमाम छोटी-बड़ी कंम्पनियों की रणनीति का हिस्सा है।

ये बाज़ारवाद का दौर है। जहां कुछ भी बेचा और ख़रीदा जा सकता है।
इस दौर में मुफ़्त, सस्ते दाम, डिस्काउंट या खास तरह के ऑफर देकर ग्राहकों को लुभाना तमाम छोटी-बड़ी कंम्पनियों की रणनीति का हिस्सा है। धीरे-धीरे ग्राहकों को ऐसे प्रोडक्ट्स की आदत पड़ जाती है। जैसे किसी नशे की लत। कई मामलों में ये लत इस हद तक होती है कि रोजमर्रा की जिंदगी इनके बिना अधूरी-सी लगने लगती है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘Twitter’ का नया मामला आपके सामने है। इसे ‘Blue Tick’ का बाज़ारवाद कहा जा सकता है। कुछ दिन पहले तक ट्विटर का ‘ब्लू-टिक’ दुनियाभर के फिल्म स्टार, कारोबारी, खिलाड़ी, नेता और इनफ्लूएंसर्स के पास था। ये वो लोग हैं जिनके फोलोअर्स या चाहने वालों की संख्या लाखों-करोड़ों में है। दरअसल ‘ब्लू-टिक’ का निशान प्रतिष्ठा से जुड़ा है। ट्विटर पर एक्टिव रहने वालों के लिए ये निशान किसी तमगे यानि मैडल की तरह है। जिसका आपके अकाउंट पर दिखना गर्व की बात है।
Also Read: वो धनकुबेर जिनके पास अब भी है ब्लू टिक
पिछले 15 वर्षों में तेजी से जिस सोशल मीडिया की डिजिटल दुनिया ने जन्म लिया है। उसमें देखते ही देखते आपकी मौजूदगी जैसे जरुरी हो गयी है। Facebook, Instagram और Twitter जेसै कई प्लेटफॉर्म पर आम से खास आदमी तक एक्टिव हैं। इस दुनिया में अनजान लोगों के बीच रोज जिंदगी से जुड़े खास पल, तस्वीरें, नीजि अनुभव, विचार और कामकाज की बातें खुलम-खुल्ला शेयर हो रही हैं। इसकी लत मशहूर कलाकार Amitabh Bachchan को भी है, कारोबारी Anand Mahindra को भी। इस नशे का शिकार Virat Kohli भी हैं तो विपक्ष को धार दे रहे Rahul Gandhi भी। कई देशों के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी इस लत से अछूते नहीं हैं। मोह-माया को त्यागने का पाठ पढ़ाने वाले धर्म गुरु भी सोशल मीडिया पर ही अपना ज्ञान बांटने का काम कर रहे हैं। कुछ समय पहले तक सभी ‘ब्लू-टिकधारी’ थे। लेकिन जब कई हीरो-हिरोईन, खिलाड़ी, कारोबारी, नेता और धर्मगुरुओं से ट्विटर ने ‘ब्लू-टिक’ का तमगा वापस ले लिया तो खलबली मची गयी। जैसे उनकी प्रतिष्ठा या मैडल छिन गया हो। यहां से शुरु हुआ बाज़ारवाद का असली खेल। जिसे बखूबी समझा ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क ने। लंबे समय से इस प्लेटफॉर्म पर ट्विट-ट्विट कर रहे लोगों को मुफ्त में ‘ब्लू-टिक’ वाली प्रतिष्ठा मिली हुई थी। नए मालिक ने मुफ्त की सुविधा को बंद करने का एलान कर दिया। ‘ब्लू-टिक’ का निशान प्रतिष्ठा से जुड़ा था इसलिए बाज़ार में खलबली मचा तय था। क्योंकि ट्विटर ने ‘ब्लू-टिक’ वापस देने के नाम पर अच्छे दाम मांगे हैं। और कईयों ने दाम चुकाकर अपनी ‘ब्लू-टिक’ वाले तमगे को वापस पा लिया है। इसे कहते हैं बाज़ारवाद।
15 जुलाई 2006 को ट्विटर पूरी तरह से पब्लिक के लिए लॉन्च किया गया था।
इंडिया में ट्विटर पर सबसे पहला अकाउंट नैना रेधु नाम से बना। तब से लेकर 2022 तक भारत में ट्विटर पर एक्टिव यूजर्स की संख्या 23.6 मिलियन यानि 2 करोड़ 36 लाख तक पहुंच चुकी है।
बाज़ारवाद की ये कोई नई मिसाल नहीं है। ऐसा पहले भी हुआ है। जब मोबाइल कम्पनियों ने भारत में पैर जमाने शुरु किए थे। तब कई मोबाइल कम्पनियों ने उपभोक्ताओं को मुफ्त में सिम कार्ड बांटे। ग्राहको ने दो-दो सिम कार्ड रखने शुरु कर दिए। आज मोबाइल की लत इस कदर पड़ चुकी है कि आप एक सेकेंड भी उसके बिना नहीं गुज़ार सकते।
मोबाइल क्रांति ने दुनिया का परिदृश्य जरुर बदला है लेकिन उपभोक्ता मोबाइल पर पूरी तरह निर्भर है। जिसके बिना कई काम असंभव से लगते है। इसे बाज़ारवाद की लत कहते हैं। जिसका शिकार मैं भी हूं और आप भी।