Same Sex Marriage: समलैंगिकता पर SC के फैसले की बड़ी बातें

समलैंगिक अधिकारों के बारे में जनता को जागरूक करें। समलैंगिक समुदाय के लिए हॉटलाइन बनाएं। समलैंगिक जोड़े के लिए सुरक्षित घर बनाएं।सुनिश्चित करें कि अंतर-लिंगीय बच्चों को ऑपरेशन के लिए मजबूर नहीं किया जाए। किसी भी व्यक्ति को किसी भी हार्मोनल थेरेपी से गुजरने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।

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सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है
सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है

Same Sex Marriage को कानूनी मान्यता देने की याचिका पर Supreme Court ने फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक शादी को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा, ये संसद के अधिकार क्षेत्र में है। हालांकि, कोर्ट ने समलैंगिकों को बच्चा गोद लेने का अधिकार दिया है। इसके साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों को समलैंगिकों के लिए उचित कदम उठाने के आदेश दिए हैं। SC ने कानून बनाने पर साफ कहा कि यह हमारे अधिकार में नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में चार फैसले हैं। सीजेआई ने कहा, अदालत कानून नहीं बना सकता है, लेकिन कानून की व्याख्या कर सकता है। फैसले के दौरान सीजेआई और जस्टिस भट ने एक-दूसरे से असहमति जताई। कोर्ट ने कहा, LGBTQ पर्सन की सुरक्षा के लिए भेदभाव विरोधी कानून की आवश्यकता है।

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CJI ने कहा कि मुझे जस्टिस रवींद्र भट्ट के फैसले से असहमति है। जस्टिस भट्ट के निर्णय के विपरीत मेरे फैसले में दिए गए निर्देशों के परिणामस्वरूप किसी संस्था का निर्माण नहीं होता है, बल्कि वे संविधान के भाग 3 के तहत मौलिक अधिकारों को प्रभावी बनाते हैं। मेरे भाई जस्टिस भट्ट भी स्वीकार करते हैं कि राज्य यानी शासन समलैंगिक समुदाय के खिलाफ भेदभाव कर रहा है। वो उनकी दुर्दशा को कम करने के लिए अनुच्छेद 32 के तहत शक्तियों का प्रयोग नहीं करता है।


CJI के फैसले में बड़ी बातें...

1. समलैंगिक जोड़े संयुक्त रूप से बच्चा गोद ले सकते हैं। आगे कमेटी विचार करेगी। राशन कार्ड, बैंक खाते, आयकर अधिनियम के तहत वित्तीय लाभ, ग्रेच्युटी, पेंशन जैसे सामाजिक लाभ के संबंध में कमेटी तय करेगी।
2. हम समलैंगिक व्यक्तियों के अधिकारों पर विचार करने के लिए मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों समेत एक कमेटी गठित करने के केंद्र के सुझाव को स्वीकार करते हैं।
3. कमेटी इस बात पर विचार करेगी कि क्या समलैंगिक पाटनर्स को राशन कार्ड, चिकित्सा निर्णय, जेल यात्रा, शव प्राप्त करने के अधिकार के तहत एक परिवार का सदस्य माना जा सकता है।
4. कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सुझाव लागू किए जाएंगे।
5. केंद्र और राज्य सरकार इस बात का ध्यान रखे कि समुदाय के खिलाफ किसी भी तरह का भेदभाव ना हो।
6. CJI ने केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि इनके लिए सेफ हाउस, डॉक्टर के ट्रीटमेंट, एक हेल्पलाइन फोन नंबर... जिस पर वो अपनी शिकायत कर सकें।
7. सामाजिक भेदभाव ना हो, पुलिस उन्हे परेशान ना करे। अगर घर नहीं जाना चाहते हैं तो जबरदस्ती घर ना भेजा जाए।
8. कानून अच्छे और बुरे पालन-पोषण के बारे में कोई धारणा नहीं बना सकता है और यह एक रूढ़ि को कायम रखता है कि केवल विषमलैंगिक ही अच्छे माता-पिता हो सकते हैं. इस प्रकार विनियमन को समलैंगिक समुदाय के लिए उल्लंघनकारी माना जाता है।
9. समलैंगिक अधिकारों के बारे में जनता को जागरूक करें। समलैंगिक समुदाय के लिए हॉटलाइन बनाएं। समलैंगिक जोड़े के लिए सुरक्षित घर बनाएं। 
10. सुनिश्चित करें कि अंतर-लिंगीय बच्चों को ऑपरेशन के लिए मजबूर नहीं किया जाए. किसी भी व्यक्ति को किसी भी हार्मोनल थेरेपी से गुजरने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।

केंद्र और राज्य सरकारों को समलैंगिकों के लिए उचित कदम उठाने के आदेश दिए हैं

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