Indo-Canada: Mahindra Group के बाद JSW Steel ने Canada में रोकी अपनी डील

दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता गया तो कनाडा की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। जिसका असर दोनों देशों के आयात-निर्यात पर होगा। अब ऐसे में देखना होगा कि भारत कनाडा का नौवां सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर है। ऐसे में भारत और भारतीय कंपनियों से पंगा लेना कनाडा के लिए कितना महंगा पड़ सकता है।

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भारत और कनाडा का विवाद कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है
भारत और कनाडा का विवाद कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है

By BT बाज़ार डेस्क:

भारत और कनाडा का विवाद कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। दोनों देशों का विवाद इतना बढ़ चुका है कि इसका असर इकोनॉमी पर भी देखने को मिल रहा है। लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि भारत के उद्योगपतियों के ओर से ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं, जो भारत के प्रति उनके मान, सम्मान और प्यार को दर्शा रहे हैं। जिससे भारत से पंगा लेना कनाडा के लिए काफी महंगा पड़ रहा है। पहले आनंद महिंद्रा की कंपनी ने कनाडा से कारोबार समेटा और उसके बाद एक और भारतीय कंपनी ने इस देश के दूरी बना ली है। कौन सी है ये कंपनी, कनाड़ा इस फैसले से कितना बड़ा झटका लग सकता है, आइये जानते हैं। 

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हमने आपको बताया था कि दिग्गज कारोबारी आनंद महिंद्रा ने कनाडा से अपना कारोबार समेटने का फैसला किया। महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कनाडा में अपनी सब्सिडियरी कंपनी के ऑपरेशन को बंद कर दिया है। कनाडा बेस्ड कंपनी रेसन एयरोस्पेस कॉरपोरेशन के ऑपेरशन को महिंद्रा ने बंद कर दिया। वहीं, महिंद्रा के बाद अब भारत की एक और कंपनी ने कनाडा की कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने की रफ्तार को धीमा कर दिया है। दरअसल, भारत की JSW स्टील लिमिटेड कनाडा की टेक रिसोर्सेज के साथ डील करने जा रही थी। जिसको अब कंपनी ने स्लो डाउन यानि ठंडे बस्ते में डाल दिया है। JSW कनाडा की कंपनी टेक रिसोर्सेस की स्टील मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट, कोल यूनिट में हिस्सेदारी खरीदने जा रही थी, लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव के चलते फिलहाल फैसले को रद्द कर दिया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी दोनों देशों के बीच तनाव कम होने का इंतजार कर रही है।

 JSW स्टील लिमिटेड ने कनाडा की कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने की रफ्तार को धीमा कर दिया है

अगर आंकड़ों पर गौर करें तो रॉयटर्स के मुताबिक भारत की दिग्गज टेक फर्म TCS, इन्फ़ोसिस, विप्रो जैसी 30 इंडियन कंपनियों ने कनाडा में अरबों डॉलर का निवेश किया है। इन कंपनियों की वजह से कनाडा में बड़ी आबादी को रोजगार मिला है। वहीं कनाडा की सबसे बड़ी पेंशन फंड ने अकेले भारत में 1.74 लाख करोड़ का निवेश किया है। कंपनी ने ये निवेश लॉग टर्म को ध्यान में रखते हुए किया था। ऐसे में अगर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता गया तो कनाडा की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। जिसका असर दोनों देशों के आयात-निर्यात पर होगा। अब ऐसे में देखना होगा कि भारत कनाडा का नौवां सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर है। ऐसे में भारत और भारतीय कंपनियों से पंगा लेना कनाडा के लिए कितना महंगा पड़ सकता है।

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