GoFirst मामले में हाई कोर्ट में अब 30 मई को होगी सुनवाई

Delhi HighCourt में GoFirst AirLines से एयरक्राफ्ट वापस लेने के मामले में अब 30 मई को सुनवाई होगी। शुक्रवार को हुई सुनवाई में ग्रोफर्स्ट को लीज पर एयरक्राफ्ट देने वाली कंपनियों यानी लेसर्स ने अपने विमान वापस लेने के लिए हाईकोर्ट से मांग की। लेसर्स ने कहा कि विमान उनके हैं और इसे 5 दिनों में डीरजिस्टर कर दिया जाना चाहिए।

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GoFirst मामले में हाई कोर्ट में अब 30 मई को होगी सुनवाई
GoFirst मामले में हाई कोर्ट में अब 30 मई को होगी सुनवाई

By BT बाज़ार डेस्क:

Delhi HighCourt में GoFirst एयरलाइन से एयरक्राफ्ट वापस लेने के मामले में अब 30 मई को सुनवाई होगी। शुक्रवार को हुई सुनवाई में ग्रोफर्स्ट को लीज पर एयरक्राफ्ट देने वाली कंपनियों यानी लेसर्स ने अपने विमान वापस लेने के लिए हाईकोर्ट से मांग की। लेसर्स ने कहा कि विमान उनके हैं और इसे 5 दिनों में डीरजिस्टर कर दिया जाना चाहिए। इससे पहले गुरुवार को जज Pratibha M Singh ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। जिन लेसर्स ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, उनमें Ascipital Investments Aircraft 2 Limited, EOS Aviation 12 (Ireland) Limited, Pembroke Aircraft Leasing 11 Ltd और SMBC Aviation Capital Limited शामिल हैं। लेसर्स ने हाईकोर्ट से DGCA को गो फर्स्ट के दिए एयरक्राफ्ट को डी रजिस्टर करने का आदेश देने का आग्रह किया है।

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उधर गो फर्स्ट ने अपनी सभी फ्लाइट को 28 मई तक के लिए सस्पेंड कर दिया है। जिन लोगों ने पहले से टिकट बुकिंग कर रखी थी एयरलाइन उन्हें टिकटों का पैसा भी लौटा रही है। रिफंड ओरिजिनल पेमेंट मोड के जरिए किया जा रहा है। मतलब, जिन लोगों ने क्रेडिट कार्ड के माध्यम से टिकट का पेमेंट किया है, उनके क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट में रिफंड दिखाई देगा। वहीं जिन्होंने UPI और नेट बैंकिंग से पेमेंट किया है, उन्हें रिफंड सीधे उनके अकाउंट में मिलेगा। सुनवाई के दौरान लेसर्स में से एक EOS एविएशन 12 (आयरलैंड) लिमिटेड की ओर से सीनियर एडवोकेट Dayan Krishnan ने जस्टिस Tara Vitasta Ganju की सिंगल जज बेंच से कहा कि हम लेसर्स हैं। NCLT में गो फर्स्ट की दिवालिया याचिका से पहले हमने लीज टर्मिनेट कर दी थी।

Go First ने अपनी सभी फ्लाइट को 28 मई तक के लिए सस्पेंड कर दिया है

इन्सॉल्वेंसी बैंकरप्सी कोड (IBC) या NCLAT के पास डीरजिस्ट्रेशन के संबंध में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। यह मेरे और डीजीसीए के बीच का मामला है। एक अन्य लेसर की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा, 'NCLAT की कार्यवाही में DGCA पार्टी नहीं है। यह मेरी प्रॉपर्टी है। IBC की धारा 18 के तहत अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) के पास किसी तीसरे पक्ष से संपत्ति लेने का अधिकार नहीं है। रोहतगी ने कहा कि विमानों को 5 दिनों में डीरजिस्टर कर दिया जाना चाहिए। हाईकोर्ट में एक घंटे से ज्यादा समय तक सुनवाई के बाद मामले को 30 मई के लिए लिस्ट कर दिया गया। गो फर्स्ट एयरलाइन ने 2 मई 23 को अचानक ऐलान किया कि वो अपनी फ्लाइट्स 3, 4 और 5 मई के लिए कैंसिल कर रही है। 

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दिवालिया होने पर एयरलाइन ने कहा था कि वो इंजनों की सप्लाई नहीं होने से इस हालत में पहुंची है। अमेरिका के एयरक्राफ्ट इंजन मैन्युफैक्चरर प्रैट एंड व्हिटनी (PW) को गो फर्स्ट को इंजन की सप्लाई करनी थी, लेकिन उसने समय पर इसकी सप्लाई नहीं की। ऐसे में गो फर्स्ट को अपनी फ्लीट के आधे से ज्यादा एयरक्राफ्ट ग्राउंडेड करने पड़े। इससे उसे भारी नुकसान हुआ। एयरलाइन के A20 नियो एयरक्राफ्ट में इन इंजनों का इस्तेमाल होता है। गो फर्स्ट ने अपनी एप्लिकेशन में कहा था कि उसने अप्रैल 2020 से अब तक अपने लेनदारों को 19,980 करोड़ रुपए का पेमेंट किया है। अब उसके सभी फाइनेंशियल रिसोर्स खत्म हो चुके हैं। बैंकों, वित्तीय संस्थानों, वेंडर्स और एयरक्राफ्ट लेजर्स सहित अन्य लेनदारों को उसे 11,463 करोड़ रुपए देना है। गो फर्स्ट ने कहा कि वित्तीय दबाव के कारण फ्यूल सप्लायर सहित अन्य सर्विस प्रोवाइडर उसे अपनी सर्विसेस ऑफर करने को तैयार नहीं हैं। गो फर्स्ट को लेकर उसके इंजन सप्लायर प्रैट एंड व्हिटनी (PW) का बयान भी सामने आया है। PW ने कहा कि गो फर्स्ट का समय पर पेमेंट नहीं करने का लंबा इतिहास रहा है। अब ये मामला कोर्ट तक पहुंच गया है, इसीलिए आगे कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।

​ PW ने कहा कि गो फर्स्ट का समय पर पेमेंट नहीं करने का लंबा इतिहास रहा है ​

 

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