Chinese कंपनियों में होंगे अब भारतीय CEO और CTO, सरकार का फरमान
भारत में बिजनेस करना है तो ढूंढ लो इंडियन बॉस... जी हां आपने बिल्कुल सही सुना है। दरअसल मोदी सरकार ने चीनी कंपनियों को लेकर बड़ा कदम उठाया है। जैसा कि आप जानते हैं भारत जैसे बड़े और बेहतरीन बाजार में हर कंपनी आकर बिजनेस करना चाहती है। जिसमें चाइनीज कंपनियां भी शामिल हैं। बीते कुछ सालों में चीनी स्मार्टफोन कंपनियों ने तेजी से कारोबार बढ़ाया है। लेकिन मोदी सरकार इनके बिजनेस करने के तौर तरीकों से खुश नहीं है, क्योंकि बहुत बार इन चीनी कंपनियों को भारतीय नियमों को ताक पर रखते देखा गया है और अब इन कंपनियों पर भारत सरकार ने बड़ी नकेल कसने की तैयारी कर ली है। क्या है मामला, आइये समझते हैं।

भारत में Business करना है तो ढूंढ लो इंडियन बॉस. जी हां आपने बिल्कुल सही सुना है। दरअसल मोदी सरकार ने चीनी कंपनियों को लेकर बड़ा कदम उठाया है। जैसा कि आप जानते हैं भारत जैसे बड़े और बेहतरीन बाजार में हर कंपनी आकर बिजनेस करना चाहती है। जिसमें चाइनीज कंपनियां भी शामिल हैं। बीते कुछ सालों में चीनी स्मार्टफोन कंपनियों ने तेजी से कारोबार बढ़ाया है। लेकिन मोदी सरकार इनके बिजनेस करने के तौर तरीकों से खुश नहीं है, क्योंकि बहुत बार इन चीनी कंपनियों को भारतीय नियमों को ताक पर रखते देखा गया है और अब इन कंपनियों पर भारत सरकार ने बड़ी नकेल कसने की तैयारी कर ली है। क्या है मामला, आइये समझते हैं।
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भारत में चीनी Smartphone कंपनियों शियोमी, ओपो, कूलपैड, वनप्लस जैसी स्मार्टफोन मेकिंग कंपनियां भारत में तेजी से अपना कारोबार बढ़ा रही हैं। लेकिन अब भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि चाइनीज मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को अगर भारत में कारोबार करना है तो उन्हें अपने लोकल ऑपरेशन के लिए इंडियन पार्टनर्स चुनना होगा। इसका मतलब ये हुआ कि चाइनीज कंपनियों को अगर भारत में कारोबार करना है तो उन्हें अपनी कंपनी में CEO यानि चीफ एग्जिक्यूटिव अधिकारी, COO यानि चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, (CFO) चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर और चीफ टेक्निकल ऑफिसर (CTO) जैसे पदों पर भारतीय अधिकारियों की नियुक्ति करनी होगी। इसके मायने ये हुए कि चीनी कंपनियों में भारतीय बॉस ही होगा।
इतना ही नहीं चीनी कंपनियों के लिए और भी दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। किसी भी चीनी कंपनी को अगर भारत में अपना मोबाइल फोन या पार्ट बनना है तो उसे सरकार की शर्तों को मानना होगा। सरकार ने चाइनीज भारतीय कंपनियों को इंडियन कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स को नियुक्त करने, भारतीय बिजनेसों के साथ जॉइंट वेंचर के जरिए लोकल मैन्युफैक्चरिंग को कम्पोनेंट लेवल तक बढ़ाने, देश से होने वाले एक्सपोर्ट में इजाफा करने और लोकल डिस्ट्रिब्यूटर्स रखने का भी निर्देश दिया है। क्योंकि देश में चाइनीज कंपनियां चीनी डिस्ट्रीब्यूटर के साथ ही बिजनेस कर रही थीं। यानि कि सरकार का रुख साफ है चीनी कंपनियों को भारत में कारोबार करने के लिए अब इंडियन बॉस चाहिए ही होगा। सरकार ने इसके लिए चाइनीज स्मार्टफोन मनुफक्चरर्स के साथ बैठक की थी। ये बैठक ऐसे वक्त में हुई है जब चीनी स्मार्टफोन निर्माता टैक्स चोरी और हजारों करोड़ रुपये के कथित अवैध रेमिटेंस के लिए जांच के दायरे में हैं। सरकार ने सख्ती दिखाते हुए साफ कहा है कि चीनी कपनियों की ओर से टैक्स में हो रही चोरी को हर हालत में रोकना होगा। अब देखना होगा कि कितनी जल्दी चीनी कंपनियां सरकार की नई गाइडलाइंस का पालन शुरू करती हैं।
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