Asian Paints: Asian Paints को ऊंचाई पर पहुंचाने वाले Ashwin Dani का निधन

26 सितंबर 1944 को मुंबई में जन्मे अश्विन दानी की यात्रा बेहद साधारण रही है। 1966 में मुंबई विश्वविद्यालय से केमेस्ट्री में साइंस ग्रेजुएट की डिग्री के साथ अपनी शैक्षणिक यात्रा को शुरू किया। अपनी आगे की पढ़ाई और विशेषज्ञता हासिल करने के लिए अश्विन दानी अमेरिका चले गए थे।

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एशियन पेंट्स के नॉन-एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर Ashwin Dani का निधन हो गया है
एशियन पेंट्स के नॉन-एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर Ashwin Dani का निधन हो गया है

By BT बाज़ार डेस्क:

Asain Paints के नॉन-एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर Ashwin Dani का निधन हो गया है। उनका निधन 79 साल की उम्र में हुआ। अश्विन दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में शुमार थे। Asian Paints की शुरुआत साल 1942 में उनके पिता ने की थी। अश्विन ने अपने पिता की फर्म एशियन पेंट्स को साल 1968 में सीनियर एग्जिक्यूटिव ज्वाइन किया था। इससे पहले वो Detroit में केमिस्ट के तौर पर काम किया करते थे। दानी की लीडरशिप में एशियन पेंट्स 16 देशों में कारोबार कर रही है। उनके ज्वाइन करने के बाद कंपनी ने दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की की है। 1997 में एशियन पेंट्स के वाइस प्रेसिडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर बन गए। बतौर रिसर्च एंड डेवलपमेंट, डायरेक्टर अश्विन दानी ने अपने कार्यकाल में मोटा निवेश किया था। इस भारी निवेश के चलते कंपनी की जबरदस्त तरक्की हुई है। 

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आज एशिन पेंट्स भारत की सबसे बड़ी और एशिया की तीसरी बड़ी कंपनी है। दुनिया के पेंट कारोबार में एशियन पेंट्स नौवें स्थान पर आती है। अपने 50 साल की लीडरशिप में दानी ने कंपनी को नए मुकाम पर पहुंचाया है। उनकी लीडरशिप के दौरान कंपनी ने नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना शुरू किया। वो देश के पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने भारत में कंप्यूटराइज्ड कलर मिक्सिंग कार्यक्रम को शुरू किया था। 

आज एशिन पेंट्स भारत की सबसे बड़ी और एशिया की तीसरी बड़ी कंपनी है

26 सितंबर 1944 को मुंबई में जन्मे अश्विन दानी की यात्रा बेहद साधारण रही है। 1966 में मुंबई विश्वविद्यालय से केमेस्ट्री में साइंस ग्रेजुएट की डिग्री के साथ अपनी शैक्षणिक यात्रा को शुरू किया। अपनी आगे की पढ़ाई और विशेषज्ञता हासिल करने के लिए अश्विन दानी अमेरिका चले गए थे। अमेरिका में उन्होंने अक्रोन यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग की मास्टर डिग्री हासिल की थी। उन्होंने अपनी पढ़ाई और ज्ञान का पूरा इस्तेमाल अपनी कंपनी की तरक्की में लगाया।

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