एक झटके में कैसे पुरानी गाड़ी बन जाती है स्क्रैप?
व्हीकल स्क्रैपिंग सेंटर सभी के लिए जीवन दान है। इससे सेकेंड हैंड पार्ट भी मिल जाते है और इससे मिलने वाला स्टील दौबार किसी फैक्ट्री में कार में इस्तेमाल हो जाता है।

क्या आपने कार के श्मशान के बारे में देखा और सुना है? आज हम आपको ऐसे श्मशान के बारे में बताने जा रहे हैं जो इंसानों का नहीं बल्कि कारों का है। Noida में कारों का एक श्मशान जहां कारों का अंतिम संस्कार किया जाता है। ये कोई आम करों का श्मशान नहीं बल्कि ऐसे श्मशानों में देश में कार बनाने वाली दिग्गज कंपनी Maruti और Mahindra की दिलचस्पी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये करोड़ों रुपये का कारोबार है? जिन कारों को कड़ी मश्क्कत से तैयार किया जाता है। जिसमें कई कर्मचारियों की कार बनाने में मेहनत और इंजीनियरों की सालों की मेहनत लगी होती है, तब जा कर ये कार बन कर तैयार होती है। उन कारों को महज 200 मिनट यानी करीब 3 घंटे के अंदर मिट्टी में मिला दिया जाता है। दरअसल यहां बात हो रही हैं Vehicle Scrapping Center की, जिन कार का परमिट खत्म हो जाता है, या वो कार चलाने लायक नहीं होती है। फिर इन कारों में इस्तेमाल करने लायक समान को निकाल लिया जाता है। उन्हें रिसाइक्लिंग के लिए भेज दिया जाता है। वहीं बचे हुए स्टील के खांचे को फिर से पिघलाने के लिए स्टील इंडस्ट्री के पास भेजकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। ये पूरी प्रक्रिया वैसी है जैसे मिट्टी से बने बर्तन का मिट्टी में ही मिल जाना।
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भारत में Vehicle Scrapping Policy लागू हो चुकी है। देशभर में अलग-अलग हिस्सों में स्क्रैपिंग सेंटर खुल रहे हैं। सरकार देशभर में 72 ऐसे स्क्रैपिंग सेंटर खोलने की मंजूरी दी है, इनमें से 38 अभी चालू हो चुकी हैं। ये सभी व्हीकल स्क्रैपिंग सेंटर्स 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में खुलने हैं। इनमें 34 अकेले उत्तर प्रदेश में, 6 हरियाणा में, 5-5 बिहार, गुजरात और मध्य प्रदेश में खोले जाने हैं। नोएडा में Maruti Suzuki ने Toyota Group के साथ जॉइंट वेंचर में ऐसा ही एक कार स्क्रैपिंग सेंटर खोला है। जो 3 एकड़ में फैले इस स्क्रैपिंग सेंटर में Maruti की Alto से लेकर Hyundai Santro और Omni Van तक के ढेर हैं। सालाना 10,000 कारों की स्क्रैपिंग फैसिलिटी डेवलप करने पर करीब 15 से 20 करोड़ की लागत आती है। ये स्क्रैप सेंटर Auto Industry के लिए नए वरदान बन रहे हैं। कंपनियों को कई कार के कंपोनेंट इन्हीं जगहों से मिलने वाले हैं।
इतना ही नहीं Tata Group की भी इन स्क्रैपिंग सेंटर में दिलचस्पी है। गुजरात में ऐसा ही एक स्क्रैपिंग सेंटर कंपनी ने लगाया है। टाटा ने इसे Re.Wi.Re ब्रांड नाम से देशभर में स्क्रैपिंग सेंटर खोलने की योजना बनाई है। Mahindra ने भी कारों के कबाड़ में बदलने के लिए सेंटर खोले हैं। महिंद्रा ने Cero ब्रांड नाम से इन सेंटर्स को खोला है। कंपनी की प्लानिंग 100 शहरों में अपनी प्रेजेंस बनाने की है। वहीं Rosmerta कंपनी 200 करोड़ रुपये की लागत से ऐसी 10 स्क्रैपिंग फैसिलिटी लगा रही है। व्हीकल स्क्रैपिंग सेंटर सभी के लिए जीवन दान है। इससे सेकेंड हैंड पार्ट भी मिल जाते है और इससे मिलने वाला स्टील दौबार किसी फैक्ट्री में कार में इस्तेमाल हो जाता है।
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