Delhi-NCR में कांपी धरती, देर तक महसूस किए गए भूकंप के तेज झटके, 6.2 तीव्रता, अफगानिस्तान के फैजाबाद में केंद्र

वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए हमें पृथ्‍वी की संरचना को समझना होगा। पृथ्‍वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है। इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है और इस पर टैक्टोनिक प्लेट्स तैरती रहती हैं। कई बार ये प्लेट्स आपस में टकरा जाती हैं। बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्‍यादा दबाव पड़ने पर ये प्‍लेट्स टूटने लगती हैं।

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गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर,, पंजाब सहित चंड़ीगढ़ और जम्मू कश्मीर में भूकंप से एक बार फिर धरती कांप उठी
गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर,, पंजाब सहित चंड़ीगढ़ और जम्मू कश्मीर में भूकंप से एक बार फिर धरती कांप उठी

By BT बाज़ार डेस्क:

गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर,, पंजाब सहित चंड़ीगढ़ और जम्मू कश्मीर में भूकंप से एक बार फिर धरती कांप उठी। भूकंप के ये झटके काफी देर तक महसूस किए। जैसे ही भूकंप आया तो लोग अपने घरों और दफ्तर से बाहर निकल आए। फिलहाल किसी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है। भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के फैजाबाद में था और हिंदुकुश क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.2 रही।  

पाकिस्तान में भी महसूस किए गए तेज झटके

इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के पीर पंचाल क्षेत्र के दक्षिण में भी भूकंप के ये झटके महसूस किये गये। भूकंप के ये झटके केवल भारत ही नहीं बल्कि पड़ोसी मुल्क  पाकिस्तान में भी महसूस किए गए। यहां से कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जिनमें लोगों अपने घरों और दफ्तरों से बाहर भागते हुए नजर आ रहे हैं। आपको बता दें कि एक्सपर्ट दिल्ली-एनसीआर के भूकंप को लेकर पहले ही चेतावनी जारी कर चुके हैं। जिनका कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है। हालांकि ये कब आए, इसकी पुष्टि अभी नहीं की गई है। दिल्ली-एनसीआर के नीचे 100 से ज्यादा लंबी और गहरी फॉल्ट्स हैं। इसमें से कुछ दिल्ली-हरिद्वार रिज, दिल्ली-सरगोधा रिज और ग्रेट बाउंड्री फॉल्ट पर हैं। इनके साथ ही कई सक्रिय फॉल्ट्स भी इनसे जुड़ी हुई हैं। 

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भूकंप क्यों और कैसे आता है?

वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए हमें पृथ्‍वी की संरचना को समझना होगा। पृथ्‍वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है। इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है और इस पर टैक्टोनिक प्लेट्स तैरती रहती हैं। कई बार ये प्लेट्स आपस में टकरा जाती हैं। बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्‍यादा दबाव पड़ने पर ये प्‍लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्‍ता खोजती है।  जब इससे डिस्‍टर्बेंस बनता है तो इसके बाद भूकंप आता है।  

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