स्ट्रेट ऑफ होर्मुज बंद होने से भारत पर कितना असर? पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने दिया जवाब

ईरानी संसद ने ग्लोबल तेल व्यापार के लिए रणनीतिक रूप से अहम स्ट्रेट ऑफ होर्मुज (Strait Of Hormuz) को बंद करने की मंजूरी दे दी। हालांकि, होर्मुज को बंद करने के निर्णय को अंतिम रूप देना अभी ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल पर निर्भर है।

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Hardeep Singh Puri
स्ट्रेट ऑफ होर्मुज बंद किए जाने पर बोले पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी

By Gaurav Kumar:

Strait Of Hormuz: ईरान और इजरायल के बीच 11 दिन से जारी संघर्ष में रविवार को नया मोड़ तब आया जब अमेरिका ने ईरान की तीन परमाणु साइट्स-फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर हवाई हमले किए। इसके जवाब में ईरानी संसद ने ग्लोबल तेल व्यापार के लिए रणनीतिक रूप से अहम स्ट्रेट ऑफ होर्मुज (Strait Of Hormuz) को बंद करने की मंजूरी दे दी।

स्ट्रेट ऑफ होर्मुज वह समुद्री मार्ग है, जिससे होकर दुनिया का 26% कच्चा तेल गुजरता है। हालांकि, होर्मुज को बंद करने के निर्णय को अंतिम रूप देना अभी ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल पर निर्भर है। लेकिन इतनी बड़ी चेतावनी ने वैश्विक बाज़ारों में हलचल जरूर पैदा कर दी है। सोमवार को बाजार खुलते ही इसका असर कीमतों पर दिख सकता है।

हालांकि, भारत ने संभावित आपूर्ति संकट को लेकर आशंका को सिरे से खारिज किया है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोशल मीडिया पर बयान जारी कर कहा कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा 'हम पिछले दो सप्ताह से मध्य पूर्व में विकसित हो रही भू-राजनीतिक स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हमने पिछले कुछ वर्षों में अपनी आपूर्ति में विविधता लाई है और अब हमारी आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा स्ट्रेट ऑफ होर्मुज से होकर नहीं आता है। हमारी तेल कंपनियों के पास कई हफ्ते की आपूर्ति है और उन्हें कई रास्तों से कच्चे तेल की आपूर्ति प्राप्त होती रहती है। हम अपने नागरिकों को ईंधन की आपूर्ति की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।'

पर्याप्त कच्चा तेल उपलब्ध

पुरी ने कहा कि भारत पिछले दो हफ्तों से भू-राजनीतिक घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहा है और आवश्यक सभी कदम उठा रहा है ताकि फ्यूल सप्लाई की स्थिरता बनी रहे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में अभी भी पर्याप्त कच्चा तेल उपलब्ध है और भारत की आयात रणनीति अब रूस और अमेरिका की ओर झुक गई है।

केप्लर के आंकड़ों के अनुसार, भारत जून में प्रतिदिन 2 से 2.2 मिलियन बैरल रूसी तेल और 439,000 बैरल अमेरिकी तेल आयात कर रहा है- जो कि मिडिल ईस्ट सप्लायर्स से अधिक है। मई की तुलना में यह इजाफा साफ दिखाता है कि भारत ने अपनी ऊर्जा रणनीति में निर्णायक बदलाव किया है।

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