Strait of Hormuz: अगर बंद हुआ तो भारतीय अर्थव्यवस्था पर कितना असर?
एलारा सिक्योरिटीज के मुताबिक, यदि बंदी लागू होती है तो कच्चे तेल की कीमतें $90 प्रति बैरल से ऊपर बनी रह सकती हैं। भारत जैसे तेल आयात पर निर्भर देशों के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

Strait of Hormuz: ईरान की संसद ने स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है लेकिन इस पर अभी ईरान के द्वारा अंतिम फैसला लिया जाना बाकी है। यह रास्ता ग्लोबल ऑयल ट्रेड का लगभग 20% संभालता है। इसके बंद होने की आशंका ने वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ा दी है।
एलारा सिक्योरिटीज के मुताबिक, यदि बंदी लागू होती है तो कच्चे तेल की कीमतें $90 प्रति बैरल से ऊपर बनी रह सकती हैं। भारत जैसे तेल आयात पर निर्भर देशों के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है। ब्रोकरेज द्वारा किए गए एनालिसिस के अनुसार, ब्रेंट क्रूड की कीमत में हर $10 की बढ़ोतरी भारत के व्यापार घाटे को जीडीपी के 20-30 बेसिस पॉइंट तक बढ़ा सकती है।
तेल कीमतों में वृद्धि के चलते महंगाई पर भी असर पड़ सकता है। यदि यह महंगाई ग्राहकों तक पहुंचती है, तो खुदरा महंगाई में 30 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी संभव है। हालांकि, INR 2 प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी की वापसी से इस प्रभाव को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। साथ ही, खाद्य कीमतें स्थिर रहने और सेवा निर्यात मजबूत होने के चलते भारत में महंगाई फिलहाल नियंत्रण में रह सकती है।
ईरान-इजराइल संघर्ष में स्ट्रेट ऑफ होर्मुज की बंदी की आशंका से मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ सकता है। एलारा का कहना है कि “यदि यह सच में बंद होता है तो तनाव और गहराएगा।” भारत की ऊर्जा आपूर्ति पर इसका सीधा असर पड़ेगा। तेल एवं गैस विश्लेषक गगन दीक्षित के अनुसार, भारत के कुल कच्चे तेल आयात का 40% हिस्सा इसी मार्ग से होकर आया है, जबकि 53% एलएनजी कतर और यूएई से आता है।
भारत में इस स्थिति के लॉन्ग टर्म प्रभावों को लेकर सतर्कता जरूरी है- खासकर केमिकल की कीमतों, शिपिंग लागत और विदेशी मुद्रा खर्च पर। हालांकि, देश के मजबूत फॉरेक्स रिजर्व और ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के पास कई हफ्तों का स्टॉक होने से तात्कालिक संकट को टाला जा सकता है। फिर भी, हर $10 प्रति बैरल की वृद्धि से पेट्रोल पर INR 5.5 प्रति लीटर मार्जिन घट सकता है, जिससे OMCs की मुनाफाखोरी पर असर पड़ सकता है।