₹1 करोड़ का मतलब अब अमीरी नहीं; यह सिर्फ एक 2BHK फ्लैट के बराबर - भारत में मिडिल क्लास की बदलती हकीकत?

क्या भारत का मिडिल क्लास वास्तव में अमीर हो रहा है, या सिर्फ महंगाई और कर्ज के चलते उसकी परिभाषा बदल गई है?

Advertisement

By Gaurav Kumar:

Inflation Impact on wealth: एक समय था जब ₹1 करोड़ की संपत्ति को पीढ़ियों की दौलत माना जाता था। लेकिन आज के शहरी भारत में यह रकम सिर्फ एक छोटे से फ्लैट की कीमत बनकर रह गई है। इंवेस्टमेंट बैंकर निखिल सिंह ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट के जरिए इस मुद्दे को उठाया, जिससे सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई है कि क्या भारत का मिडिल क्लास वास्तव में अमीर हो रहा है, या सिर्फ महंगाई और कर्ज के चलते उसकी परिभाषा बदल गई है?

'₹1 करोड़ कब से मिडिल क्लास हो गया?' निखिल सिंह ने सवाल उठाया कि मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों में ₹1 करोड़ की संपत्ति अब सिर्फ एक 2BHK फ्लैट और थोड़ी बचत तक सीमित रह गई है। उन्होंने लिखा कि यह कोई ऐशो-आराम नहीं, बल्कि जिंदगी चलाने का जरिया भर है।

कर्ज में दबा 'अमीर' वर्ग

निखिल सिंह ने बताया कि EMI पर घर और कार लेने वाले लोग असल में अमीर नहीं हैं, बल्कि कर्ज में डूबे हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज का मिडिल क्लास दिखावे की जिंदगी में लगा है लेकिन असल में वह आर्थिक रूप से काफी दबाव में है।

सिंह ने अपने पोस्ट में लिखा कि अगर ₹50 लाख से ₹1 करोड़ मिडिल क्लास है, तो उन परिवारों का क्या जो हर महीने की तनख्वाह से ही गुजारा करते हैं?

निखिल सिंह का पोस्ट एक आर्थिक सच्चाई की ओर इशारा करता है कि कहीं न कहीं, "क्लास" की परिभाषा महंगाई के साथ-साथ ऊपर खिसक गई है। अब सवाल यह है कि क्या शहरी भारत सच में अमीर हो रहा है, या सिर्फ दिखावे की दौलत के पीछे छिपी है एक गहरी आर्थिक असुरक्षा है।

Read more!
Advertisement