Israel-Iran Conflict से बढ़ेगी भारत की चिंता, तेल की कीमतों में उछाल से महंगाई का खतरा

Israel Iran Conflict: दुनिया में इस समय एक बड़ा भू-राजनीतिक तनाव खड़ा हो गया है। इजरायल और ईरान (Israel-Iran Conflict) के बीच बढ़ती तनातनी सिर्फ मिडिल ईस्ट तक सीमित नहीं रही, अब इसका असर ग्लोबल इकॉनमी और खासकर भारत जैसे विकासशील देशों पर भी पड़ने लगा है।

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Israel Iran Conflict Imapct On India
इजरायल-ईरान के बीच भीषण जंग जारी

By Priyanka Kumari:

दुनिया में इस समय एक बड़ा भू-राजनीतिक तनाव खड़ा हो गया है। इजरायल और ईरान (Israel-Iran Conflict) के बीच बढ़ती तनातनी सिर्फ मिडिल ईस्ट तक सीमित नहीं रही, अब इसका असर ग्लोबल इकॉनमी और खासकर भारत जैसे विकासशील देशों पर भी पड़ने लगा है। सबसे बड़ी चिंता की वजह कच्चा तेल (Crude Oil) है।

भारत अपनी जरूरत का करीब 80% कच्चा तेल आयात करता है। यह आयात ज्यादातर पश्चिम एशिया से होता है। इस रूट का सबसे अहम हिस्सा होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) है। यहां से दुनिया के लगभग एक-तिहाई तेल की सप्लाई होती है। अगर यहां तनाव बढ़ता है या रास्ता बाधित होता है, तो भारत की तेल आपूर्ति रुक सकती है, जिससे पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं।

कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी

इजरायल और ईरान के बीच हो रहे हमलों का सीधा असर कच्चे तेल की कीमतों पर देखने को मिल रहा है। हाल ही में ब्रेंट क्रूड की कीमतें 75 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गई हैं, जबकि WTI क्रूड भी 74 डॉलर के पार चला गया है। अगर यह टकराव और गहराया तो जेपी मॉर्गन जैसी संस्थाएं चेतावनी दे चुकी हैं कि तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं।

भारत में महंगाई का बढ़ता खतरा

भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें कई फैक्टर्स पर निर्भर करती हैं जैसे- अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतें, एक्साइज ड्यूटी, राज्यों का VAT और रिफाइनिंग कॉस्ट। लेकिन जब कच्चा तेल महंगा होता है, तो इसका सीधा असर ट्रांसपोर्ट कॉस्ट पर पड़ता है और फिर बाकी जरूरी सामान भी महंगे हो जाते हैं। इस तरह यह संकट भारत की आम जनता के लिए बड़ी महंगाई लेकर आ सकता है।

एक डॉलर की बढ़त कितना असर डालेगी?

विशेषज्ञों की मानें तो अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में 1 डॉलर प्रति बैरल का इजाफा होता है, तो भारत में पेट्रोल-डीजल के रेट करीब 50 से 60 पैसे तक बढ़ सकते हैं। भारत में रोजाना लगभग 37 लाख बैरल तेल की खपत होती है, ऐसे में कीमत में जरा सी भी बढ़त बड़ा असर डाल सकती है।

तेल सप्लाई चेन पर असर और लॉजिस्टिक्स कॉस्ट

अगर होर्मुज जलडमरूमध्य में जरा भी रुकावट आती है, तो जहाजों को लंबा रास्ता अपनाना पड़ेगा। इससे शिपिंग कॉस्ट बढ़ेगी और माल पहुंचने में देरी होगी। इसका मतलब है कि जरूरी सामान की सप्लाई धीमी हो जाएगी और कीमतें बढ़ेंगी। इससे आम आदमी की जेब पर सीधा असर पड़ेगा।

भारत सरकार लगातार अपने रणनीतिक तेल भंडार (Strategic Oil Reserves) को बढ़ा रही है, लेकिन यह मात्रा सीमित है और लंबी अवधि के लिए नहीं चल सकती। ऐसे में अगर यह संकट लंबा खिंचता है, तो भारत को महंगे तेल का सामना करना पड़ेगा जिससे चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) बढ़ेगा और महंगाई बेलगाम हो सकती है।

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