भारत सरकार ने भले किया इनकार… लेकिन अगर 'होर्मुज' बंद हुआ तो भारत को होगा ये नुकसान
अमेरिका की ओर से ईरान की परमाणु साइट्स पर एयरस्ट्राइक और इसके जवाब में ईरान द्वारा स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने के प्रस्ताव ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

Hormuz Close Impact In India: मिडिल ईस्ट में इजरायल-ईरान संघर्ष ने वैश्विक तेल बाजार में चिंता बढ़ा दी है। बीते रविवार अमेरिका की ओर से ईरान की परमाणु साइट्स पर एयरस्ट्राइक और इसके जवाब में ईरान द्वारा स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने के प्रस्ताव ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। यह वही समुद्री मार्ग है, जिससे दुनिया का लगभग 20% कच्चा तेल गुजरता है और भारत इस रूट से तीसरा सबसे बड़ा आयातक है।
सरकार ने किया मना लेकिन चिंता यहां
ICRA के अनुसार, भारत को होर्मुज रूट से आने वाले क्रूड का हिस्सा करीब 45-50% है, जो कि इराक, सऊदी अरब, कुवैत और UAE जैसे देशों से आता है। 2024 में भारत ने इस रूट से कुल 14% वैश्विक क्रूड ऑयल मंगाया, जो चीन और जापान-कोरिया के बाद तीसरे स्थान पर है।
सरकार ने कहा- चिंता नहीं
भारत ने इस संकट से निपटने की रणनीति पहले से तैयार कर रखी है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आश्वासन दिया है कि भारत की तेल आपूर्ति स्थिर रहेगी। उन्होंने कहा कि “हमने तेल सप्लाई को डायवरसिफाई किया है। हमारी ऑयल कंपनियों के पास पर्याप्त स्टॉक है और हम रूस तथा अमेरिका जैसे विकल्पों पर सक्रियता से निर्भर हैं।”
Kpler के डेटा के मुताबिक, जून में भारत ने रूस से 2-2.2 मिलियन बैरल प्रतिदिन क्रूड मंगाया, जो दो साल का उच्चतम स्तर है। अमेरिका से आयात भी मई के 280,000 बैरल प्रतिदिन से बढ़कर जून में 439,000 बैरल हो गया है - यह मिडिल ईस्ट से पारंपरिक आपूर्ति को भी पीछे छोड़ गया।
ईरान के लिए स्ट्रेट ऑफ होर्मुज बंद करना उतना आसानी नहीं
ईरान के लिए होर्मुज को बंद करना उतना आसान नहीं होगा क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था भी तेल पर निर्भर है। हालांकि, धमकियों के बीच क्रूड की कीमतें $80 प्रति बैरल के पार पहुंच गई हैं, जिससे वैश्विक आपूर्ति चिंता में है।
भारत, जो अपनी 90% तेल जरूरतें आयात से पूरा करता है, इस समय रणनीतिक संतुलन बनाकर आगे बढ़ रहा है। सरकार की सक्रिय निगरानी और विविध आपूर्ति स्रोतों के चलते, मौजूदा संकट में देश को तत्काल खतरे से बचाव की उम्मीद है।