सिर्फ 6 महीने में 18 लाख गंवाए, ना स्टॉक्स में-ना क्रिप्टो में… सबकुछ गया ऑनलाइन सट्टेबाजी में

आज के समय में कई लोग ऑनलाइन सट्टेबाजी के शिकार हो रहे हैं। सेबी रजिस्टर्ड एनलिस्ट ने बताया कि कैसे उनके क्लाइंट ने 6 महीने में 18 लाख रुपये गंवा दिये हैं।

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By Priyanka Kumari:

आजकल ऑनलाइन सट्टेबाजी एक बड़ा खतरा बनती जा रही है। खासकर युवाओं के लिए यह सबसे खतरनाक साबित हो रही है। सोशल मीडिया और flashy ऐप्स की वजह से यह लत बड़ी तेजी से लोगों को जकड़ रही है। एक फाइनेंशियल एडवाइजर ने हाल ही में शेयर किया कि उनके एक क्लाइंट ने सिर्फ 6 महीनों में 18 लाख रुपए गंवा दिए। क्लाइंट ने यह पैसा ऑनलाइन बेटिंग में गंवाएं है।

SEBI से रजिस्टर्ड एनालिस्ट अभिषेक कुमार ने लिंक्डइन पोस्ट के जरिए इस पूरी घटना को सामने लाया। उन्होंने लिखा कि उनका क्लाइंट पहले 500 रुपए की छोटी रकम से फन के लिए शुरू किया था। पहली बार क्लाइंट जीत गया तो लगा किस्मत साथ है। इसके बाद उसने दोबारा खेला, फिर बार-बार खेलने लगा। देखते ही देखते 6 महीनों में उसने 18 लाख गंवा दिए। हैरानी की बात यह थी कि उसने ये नुकसान अपनी पत्नी से छिपा रखा था।

पैसे पूरे खत्म हो गए तो उसने पर्सनल लोन लिया। फिर दोस्तों से उधारी मांगी। धीरे-धीरे उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई। ना नींद रह गई, ना चैन। घर में झूठ बोलने लगा, EMI चुकाने में देरी होने लगी।

ये जो ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स हैं वो असल में छोटे मोबाइल कैसीनो जैसे होते हैं। रंग-बिरंगे ग्राफिक्स, बार-बार नोटिफिकेशन, नकली बोनस और 'लगभग जीत' जैसे जाल बिछाकर ये दिमाग को भ्रमित करते हैं। ये ऐप्स ऐसे बनाए जाते हैं कि यूजर एक बार खेलने के बाद बार-बार लौटे। ऐसा लगता है मानो अभी जीत ही जाएंगे, लेकिन असल में सबकुछ एक प्लानिंग के तहत होता है।

ऐसी कहानियां अब आम होती जा रही हैं। अभिषेक बताते हैं कि उन्होंने कई युवाओं को देखा है जो अच्छी सैलरी पाते हैं। लेकिन, ऑनलाइन सट्टेबाजी में उलझकर अपना पैसा, मानसिक शांति और रिश्ते सब खो देते हैं।

सरकार की तरफ से अब तक कोई ठोस राष्ट्रीय कानून नहीं है जो इन ऐप्स पर सख्ती से रोक लगाए। कुछ राज्यों ने कोशिश की है, लेकिन पूरे देश में एक मजबूत कानून की सख्त जरूरत है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा भी है कि क्या अब समय आ गया है कि ऐसे ऐप्स पर सख्त कानून लाया जाए।

ये सब कोई फन या टाइमपास नहीं है। ये एक मनोवैज्ञानिक जाल है जो आपके दिमाग के साथ खेलता है। एक बार फंस गए तो बाहर निकलना बहुत मुश्किल होता है।

इसलिए अगर आप कभी भी सोचें कि बस 500 रुपए ही तो हैं, तो एक बार सोचिए  क्या आप वो जाल बिछा रहे हैं जिसमें कल को सबकुछ गंवाना पड़े? ये कोई खेल नहीं है, ये एक सिस्टम है जो इसीलिए बना है कि आप हारें। इसलिए अगर आप या आपके जानने वाले किसी भी ऑनलाइन सट्टा ऐप से जुड़े हों तो उन्हें समय रहते सचेत करें। 
 

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