Realty Stocks to BUY: Godrej, Sobha और DLF के शेयरों में आएगी तेजी, ब्रोकरेज रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
Real estate Stocks to BUY: ब्रोकरेज फर्म HSBC ने कुछ रियल एस्टेट के शेयरों को खरीदने की सलाह दी है। आर्टिकल में स्टॉक का नया टारगेट प्राइस चेक करें।

Brokerage Report: रियल एस्टेट सेक्टर को लेकर ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म HSBC ने ताजा रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का रियल्टी सेक्टर आने वाले समय में अच्छा परफॉर्मेंस कर सकता है। HSBC ने तीन बड़ी कंपनियों Godrej Properties, DLF और Sobha Developers के शेयरों को खरीदने की सलाह दी है। वहीं, Oberoi Realty को होल्ड करने की राय दी गई है।
आइए, स्टॉक का नया टारगेट प्राइस जानते हैं।
क्या है स्टॉक का नया टारगेट प्राइस
HSBC की रिपोर्ट के अनुसार Godrej Properties का टारगेट प्राइस ₹3,500 रखा गया है, जो मौजूदा स्टॉक प्राइस से लगभग 55% ज्यादा है। इसी तरह Sobha Developers का टारगेट ₹1,850 और DLF का ₹920 तय किया गया है। वहीं दूसरी तरफ, Oberoi Realty के लिए कोई बड़ी तेजी की संभावना नहीं जताई गई और उसे होल्ड की रेटिंग दी गई है।
HSBC का मानना है कि आने वाले 2025-26 के वित्तीय वर्ष में नए प्रोजेक्ट्स की शुरुआत तेजी से हो सकती है। इसकी वजह है कि घरों की बुकिंग यानी प्री-सेल्स में अभी भी मजबूती है। इसके अलावा कंपनियों की अनबिकी संपत्ति भी कंट्रोल में है। कंपनी का फाइनेंशियल बोझ भी बहुत ज्यादा नहीं है। इन सब वजहों से कंपनियों की फ्री कैश फ्लो मजबूत बनी हुई है।
RBI के फैसले से रियल्टी सेक्टर को दोहरा फायदा
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में रेपो रेट में 0.50% की कटौती की और कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में 1% की कमी की घोषणा की। इन दोनों कदमों से बैंकों के पास अधिक पैसा आएगा और होम लोन सस्ते होंगे। इसका सीधा फायदा रियल एस्टेट सेक्टर को मिल सकता है, खासतौर पर हाउसिंग सेगमेंट को।
रेपो रेट घटने से होम लोन की EMI कम हो सकती है, जिससे अफॉर्डेबल और मिड-इनकम सेगमेंट में घर खरीदने वालों की दिलचस्पी बढ़ सकती है। इससे डेवलपर्स को भी फायदा होगा क्योंकि उन्हें अपने प्रोजेक्ट्स के लिए फंड जुटाना आसान हो जाएगा और प्रोजेक्ट्स की रफ्तार भी तेज होगी।
हालांकि ब्रोकरेज रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि भारत में भले ही स्थिति बेहतर हो, लेकिन अमेरिका-चीन तनाव और इंटरनेशनल टैक्स और टैरिफ के चलते कंस्ट्रेक्शन की लागत बढ़ सकती है। इससे डेवलपर्स की लागत और मार्जिन पर असर पड़ सकता है। खासकर लग्जरी और कमर्शियल प्रॉपर्टी की मांग पर दबाव बन सकता है।