Share Market के निवेशक इस रिपोर्ट पर ध्यान दें!
एशिया में विकास की अगली लहर का ग्रोथ इंजन चीन की जगह भारत बनेगा। ये दावा मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट में किया गया है। इसके मुताबिक एशिया की कुल ग्रोथ में इस महाद्वीप की 4 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का सबसे ज्यादा योगदान होगा।

एशिया में विकास की अगली लहर का ग्रोथ इंजन चीन की जगह भारत बनेगा। ये दावा मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट में किया गया है। इसके मुताबिक एशिया की कुल ग्रोथ में इस महाद्वीप की 4 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का सबसे ज्यादा योगदान होगा।
मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के मुताबिक भारत, इंडोनेशिया, फिलीपीन और मलेशिया जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाएं एशिया में विकास की अगली लहर की अगुवाई करेंगी। इन चार देशों का 2027 तक एशिया की कुल नॉमिनल जीडीपी में 53 परसेंट योगदान होने का अनुमान है। जो 2019 के पहले केवल 33 फीसदी था।
इस बदलाव की मुख्य वजह बढ़ती आबादी, नीतिगत प्राथमिकताएं और आर्थिक स्थिरता हैं। मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के मुताबिक 1980 में एशिया की नॉमिनल जीडीपी करीब 2.1 लाख करोड़ डॉलर थी। लेकिन 2024 तक इसके बढ़कर करीब 34 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है और 2027 तक ये आंकड़ा 39 लाख करोड़ डॉलर तक हो सकता है। इस आंकड़े के मुताबिक, एशिया सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला प्रमुख आर्थिक क्षेत्र बनने जा रहा है। हालांकि, ये ग्रोथ ऐतिहासिक रिकॉर्ड के मुकाबले थोड़ी धीमी हो सकती है।
इस विकास की अगुवाई में अपनी युवा आबादी के दम पर भारत का नाम सबसे पहले आता है। इसके अलावा देश की नीतियां भी विकास और निवेश को प्रोत्साहित कर रही हैं। भारत ने बीते कुछ बरसों में अपनी आर्थिक स्थिरता में जबरदस्त सुधार किया है और इसीलिए ये घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए पसंदीदा डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। इसके अलावा भारत की सरकार ने 'मेक इन इंडिया', 'स्टार्टअप इंडिया' जैसी कई योजनाएं शुरू की हैं, जो देश को वैश्विक स्तर पर आर्थिक धुरी बनने की दिशा में आगे ले जा रही हैं।
दूसरी तरफ चीन जो पहले एशिया में विकास की धुरी रहा है उसकी अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है। इसकी जनसंख्या तेजी से बूढ़ी हो रही है जिससे इसकी वर्किंग फोर्स पर दबाव बढ़ रहा है और इसका सीधा असर इसके आर्थिक विकास पर हुआ है। जहां चीन आर्थिक विकास में धीमी गति से बढ़ रहा है। वहीं भारत, इंडोनेशिया और दूसरी युवा अर्थव्यवस्थाएं एक नई ऊर्जा के साथ उभर रही हैं। भारत और दूसरे उभरते दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की युवा जनसंख्या इन्हें एक मजबूत लेबर फोर्स मुहैया कराती है। इन देशों की सरकारें अब नीतियों को इस तरह बना रही हैं जिससे ना केवल घरेलू बल्कि अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों को भी आकर्षित किया जा सके युवा जनसंख्या का आर्थिक विकास में योगदान खासा महत्वपूर्ण है क्योंकि ये इनोवेशन, Entrepreneurship और Productivityमें सुधार करती है।